एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं।अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिए !
किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।
सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया.. अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया !
करोना की इस महामारी के संकट में हम सबके उपर बहुत तरह के नकारात्मक विचार ऐसे ही फेंके जा रहे है ऐसे में हम सबको हतोत्साहित होकर भय के कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ इस संकट का सामना करते हुए हर तरह के हम पर फेंके जा रहे नकारात्मक विचारों को झटक कर आगे बढ़ना है यह दिन भी गुजर जाएँगे सो मित्रों, सकारात्मक सोंचे,सकारात्मक लिखे,सकारात्मक पढ़े ,सकारात्मक जिए !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-04-2021 को चर्चा – 4,044 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
please read me also http://againindian.blogspot.com/
हटाएंबहुत अच्छी कथा ... बिलकुल मन में सकारात्मकता रखनी चाहिए ... आप कैसी हैं ?
जवाब देंहटाएंआशा का संचार करती पोस्ट ..
इस आत्मीयता के लिए दिल से आभारी हूँ ! हमारा शहर भी कोरोना की चपेट में है रात का कर्फ़्यू
हटाएंलगा है ! डरना स्वाभाविक है मै भी डरी हुई हूँ बस फ़र्क़ इतना है कि कुछ लोग डर का इलाज बाहर खोजते है मै स्वयं के भीतर खोजती हूँ , ठीक ही हूँ !😊
शिक्षाप्रद कहानी।
जवाब देंहटाएंसही कह रही हैं आप, नकारात्मकता के अंधेरे में नहीं हमें सकारात्मकता के उजाले में जीना है और उसे ही सब तरफ फैलाना है
जवाब देंहटाएंबहुत सही और समयानुकूल लेख लिखा सुमन जी..बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर लेख लिखा आपने कहानी बहुत पसंद आई।
जवाब देंहटाएंसादर
"करोना की इस महामारी के संकट में हम सबके उपर बहुत तरह के नकारात्मक विचार ऐसे ही फेंके जा रहे है ऐसे में हम सबको हतोत्साहित होकर भय के कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ इस संकट का सामना करते हुए हर तरह के हम पर फेंके जा रहे नकारात्मक विचारों को झटक कर आगे बढ़ना है"
जवाब देंहटाएंइस शिक्षाप्रद कहानी को साझा करने के लिए हृदयतल धन्यवाद सुमन जी,आज इसी सोच की आवश्यकता है,आज या तो लोग लापरवाह हो रहे है या विचलित,खुद को सयमित रखने के बारे में सोच भी नहीं रहे। सादर नमन आपको
इस व्यापक महामारी के काल में प्रतिदिन नकारात्मकता का काल मुँह फाड़े हुये सामने खड़ा होता है... व्यक्ति महामारी से अधिक इस नकारात्मकता की चपेट में हैं, क्योंकि पीड़ित के साथ साथ यह नकारात्मकता, स्वस्थ व्यक्तियों को भी रोगी बना रही है!
जवाब देंहटाएंभगिनी सुमन, ऐसे में यह रचना सचमुच सकारात्मकता का एक शीतल झोंका बनकर आई है!
Hindi Story
जवाब देंहटाएंmeri baate
Bhoot Ki kahani
Akabar Birbal
MPPSC
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जवाब देंहटाएंStart Udyog
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railway group d today question paper
achhi baat kahani ke saath
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के बाद आपकी कोई पोस्ट नहीं आयी ।।अपनी कुशलता की सूचना दें ।
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