रविवार, 24 मार्च 2013

प्रेम का ऐसा रंग डालो ....


शब्दों के भीतर शब्द 
अर्थों के भीतर गूढ़ 
अर्थ हुआ करते है 
बैठ घडी भर गुन ले तो
समय सार्थक हो जाए .....!

होली का उत्सव तो 
वर्ष में एक बार 
आता है कुछ ऐसा
काम करो तो जीवन 
उत्सव हो जाए .....!

बाहर के रंग तो 
साबुन,पानीसे धुल जाते है 
प्रेम का ऐसा गाढ़ा रंग 
डालो तो, तन मन भीतर
आत्मा तक रंग जाए .....!

भांग का नशा क्या 
घडी दो घडी में उतर जाता है 
परमार्थ सुख का भांग पियो तो 
होश भी रहे बाकी
खुमारी भी चढ़ जाए ....!

मिठाई गुझियों से परहेज नहीं 
गीत ही ऐसा रच दो कि,
मिठास भी हो और 
स्वाद भी आ जाए ....!

उत्सव हो, रंग हो, मस्ती हो, 
तभी सुर सधते जीवन 
वीणा  के, गायक मन 
गंधर्व बन जाए ....!




मंगलवार, 19 मार्च 2013

प्रमाण पत्र ...


एक जंगल में सुबह-सुबह नाश्ता करने के इरादे से एक लोमड़ी शिकार की तलाश में निकल पड़ी ! धूप सेंकते खरगोश को उसने अपने मजबूत पंजों में दबा लिया ...खाने जा ही रही थी कि, खरगोश ने कहा, "रुको कौन हो तुम ? मै लोमड़ी हूँ और तुम्हारा नाश्ता करना चाहती हूँ  उसने कहा ! लेकिन  "प्रमाण क्या है कि, तूम लोमड़ी ही है" ? लोमड़ी सकते में आ गई पहली बार उसके भी मन में विचार आया खरगोश ठीक ही तो कह रहा है,"प्रमाण पत्र कहाँ है ? उसने खरगोश से कहा "तुम यही रुको मै अभी आती हूँ !"  जंगल के राजा शेर सिंह के पास लोमड़ी गई और शेर सिंह से कहा, "एक खरगोश ने मुझे बहुत मुश्किल में डाल दिया है जब मैंने उसे पकड़ कर खाने जा ही रही थी तो उसने कहा, रुक, लोमड़ी होने का प्रमाण क्या है ? लोमड़ी की बात सुनकर सिंह ने अपने सिर पर जोर से पंजा मार लिया और कहा कि, यह आदमियों की बीमारी जंगल में कहाँ से आ गई ?  प्रमाण मांगने की, कल मैंने एक गधे को अपने भोजन के लिए पकड़ लिया था वह भी इसी तरह मुझे सिंह होने का प्रमाण पत्र मांग रहा था ! मै भी तुम्हारी तरह सकते में आ गया था और मेरा ध्यान थोडा सा गधे पर से हट क्या गया इसी बीच वह गधा पलक झपकते ही कहीं गायब हो गया ! 

रुकिए रुकिए लोमड़ी ने कहा  "कही वह "ताऊ टीवी फ़ोडके चैनल " का कैमरामैन रामप्यारे तो नहीं था ? भंग के नशे में इधर आया होगा शायद ! पता नहीं पर पहले कभी किसी गधे ने ऐसा सवाल नहीं पूछा था ! यह जंगल के जानवरों को हो क्या गया है ? कही आदमियों का सत्संग करने का नतीजा तो नहीं है ? सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा .. ! लोमड़ी भी मन ही मन कुछ सोचते रह गई ...और शेर सिंह ने लोमड़ी को लोमड़ी होने का प्रमाण पत्र लिख दिया कि, हाँ यह लोमड़ी ही है ! लोमड़ी प्रसन्न मन से प्रमाण पत्र लेकर वहां से चली गई पर शक था मन में कि, कही खरगोश भाग न गया हो ? लेकिन नहीं, खरगोश उसकी प्रतीक्षा कर रहा था ! जैसे ही लोमड़ी ने प्रमाण पत्र हाथ पर रख दिया खरगोश ने प्रमाण पत्र पढ़कर लोमड़ी के हाथ में थमा दिया और भाग खड़ा हुआ ! देखते ही देखते पास के ही बिल में अंतर्ध्यान हो गया ! प्रमाण पत्र लेने देने के चक्कर में वह खिसक गया था ! लोमड़ी बड़ी हैरान हुयी वापिस सिंह के पास लौट आई और कहा कि, यह तो बहुत बुरा हुआ प्रमाण पत्र तो मिल गया लेकिन वह बदमाश खरगोश भाग गया हाथ से, बिलकुल उस तुम्हारे गधे की तरह ...लेकिन शेर सिंह यह तो बताओ तुम्हे जब भूख लगती है तो क्या करते हो ? क्या किसी से प्रमाण पत्र मांगने जाते हो ??  शेर सिंह ने कहा कि, देख जब मुझे भूख लगती है तो मै किसी प्रमाण पत्र की फ़िक्र नहीं करता पहले भोजन करता हूँ वही काफी है प्रमाण कि, मै सिंह हूँ !

"साहित्तिक प्यास लगे तो पढो ...साहित्तिक भूख जगे तो लिखो बस वही काफी है प्रमाण कि, आप एक अच्छे रचनाकार हो "!

गुरुवार, 14 मार्च 2013

क्षणिकाएँ ...


भीड़ के साथ 
मिलकर व्यक्ति 
भीड़ ही बन जाता है 
और भीड़ का कोई 
व्यक्तित्व नहीं होता 
न ही कोई 
उत्तरदायित्व होता है 
सामूहिक हत्याओं में 
विध्वंस में ....!

  ***

मन मंथन 
आत्म चिंतन से 
बेहतर उपाय 
अब हमने 
सोच लिया है 
सामूहिक 
विरोध स्वरूप 
कैंडल मार्च 
करना ....!

रविवार, 10 मार्च 2013

आया गर्मी का महिना ....


जैसे ही गर्मी ने दस्तक दी सारी परेशानियां हर साल की तरह एक बार फिर से साकार हुई पानी की किल्लत बिजली की किल्लत मच्छरों का बढ़ गया उत्पात बहुत ! हमारे देश में समस्याओं की कोई कमी नहीं है किसे गिने किसे छोड़े ! बिजली विभाग ने परसों ही रोज चार-चार घंटे की पॉवर कट की घोषणा कर दी है ! वैसे बिजली अपने मर्जी की मालिक है कभी भी आती है कभी भी जाती इसका कोई भरोसा नहीं है ! पहले समस्याओं को बढाओ उसे हवा देकर सुलगाओ उन्ही के बलबूते पर सत्ता पर बैठे शासन करो वाह इसे कहते है राजनीति नहीं कूटनीति ! आने वाले दिनों में हम पानी और बिजली की गंभीर समस्या से घिरने वाले है ! चिंता की बात है समय रहते कोई उपाय नहीं सोचे गए तो बहुत गंभीर परिणामों का हमें सामना करना पड़ सकता है !

रात नींद में 
अचानक बिजली 
गुल हो गई हो तो 
ऐसे में ...
गुस्सा होने की 
कोई जरुरत नहीं है 
संगीत से सराबोर 
मच्छरों का संगीत    
सुन सकते है 
कभी अकेले तो 
कभी कोरस में 
क्या खूब गाते है ....!

एक मच्छर ने 
दुसरे मच्छर से 
कहा ...
यार हममे और 
नेताओं में 
क्या फर्क है ?
दुसरे मच्छर ने 
कहा ...
कुछ भी फर्क नहीं 
मनुष्य का खून 
चूसने की आदत 
हममे उनमे 
दोनों में सेम है ....!

गुरुवार, 7 मार्च 2013

इस नारी शक्ति के जज्बे को नमन !



मित्रो, अस्वस्थता के चलते बहुत दिनों के बाद आज अपने ब्लॉग पर आयी हूँ ....एक ऐसी नारी की सच्ची कहानी लेकर जो आज "अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस " पर नारी शक्ति का पर्याय बनी है !
जब हौसले बुलंद हो तो रास्ते भी अपने आप बनते चले जाते है ! हम ऐसी कितनी ही नारियों को नहीं जानते जिनका योगदान भी समाज में कुछ कम नहीं है  .... उनके साहस की कार्यकुशलता की दाद देनी पड़ेगी !  भले ही उनकी गिनती किसी दिग्गज महिलाओं में न की जाती हो  फिर भी उनका महत्व कम नहीं हो जाता ! वो भी बिलकुल ऐसी ही आम महिला है दुपहिया-चौपहिया वाहनों के पंक्चर जोड़ने वाली बिलकुल साधारण नारी लेकिन उसके जज्बे को देखिये काबिले तारीफ है ! स्वावलंबी, आत्मविश्वास से भरपूर वह और उसकी अपनी छोटी सी दुकान है शहर में, वाहनों के पंक्चर जोड़ने की ! सुबह सूरज जब सबके अपने अपने हिस्से की धुप बांटता फिरता जब उसके आँगन में आता है तब तक वह अपने दुकान पर पहुँच चुकी होती है ! सात साल की छोटी सी उम्र में अपने पिता के काम में हाथ बंटाते ...नट बोल्ट देना, पानी थमाना, टायर ट्यूब बदलना जैसे काम में मदद करते करते कब उसके खाने खेलने, पढ़ने-लिखने के दिन बीत गए पता ही नहीं चला ! वह कहती है पुरुषों के लिए भी जो काम करना कठिन लगे उसके लिए वही काम समय के साथ-साथ सरल होते गए ! तीन बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी वह पिता के गुजर जाने के बाद अपने बड़े होने का फर्ज बखूबी निभाया और अपने भाई को पंक्चर जोड़ने का काम सिखाकर अपने पैरो पर खड़ा किया आज उसकी खुद की दूकान है ! कड़ी धुप, छाँव, बारिश की परवाह किये बगैर अपने परिवार का गुजारा करती है ! अपने पति को भी इसी काम में लगाकर अपने दोनों बेटियों को एक निजी स्कूल में पढ़ा रही है ! यादम्मा कहती है जो जो कष्ट उसने उठाये है अपने बेटियों को वो कष्ट उठाने नहीं देगी ! खूब पढ़ा लिखाकर एक अच्छा भविष्य देगी अपने दोनों बेटियों को ! 

इस नारी शक्ति के जज्बे को सच में नमन करने का मन हुआ .... काम न छोटा होता है न बड़ा होता है, काम सिर्फ काम होता है यदि अपने काम के प्रति प्रेम और लगन हो तो छोटा काम भी बड़ा दिव्य बन जाता है ! हर नारी खुद का सम्मान करे जो खुद का सम्मान करती है वही औरो को भी सम्मान देती है ...अपनी योग्यता का, अपनी क्षमता का सम्मान करे तभी तो महिला दिवस का यह पर्व दिन सही मायने में सार्थक होग़ा !
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ...!