ली तजु हु तजु के साथ पढाई कर रहा था ! हु तजु ने उससे कहा, "जब तुम पीछे रहना जानोगे तब मै तुम्हे सिखाना शुरू करूंगा कि कैसा आचरण हो !"
"कृपा कर मुझे पीछे रहना सिखायें !"
"तुम्हारी छाया को देखो, और तुम समझ जाओगे !"
ली तजु ने पीछे मुड़कर अपनी छाया का निरिक्षण किया ! जब उसका शरीर झुका तब उसकी छाया
तिरछी थी, जब उसका शरीर सीधा था, तब छाया सीधी थी ! तो झुकना या सीधे खड़े रहना शरीर पर निर्भर करता है न कि छाया पर ! और हम सक्रिय हो या निष्क्रिय यह दूसरों पर निर्भर करता है, न कि स्वयं पर !
"पीछे रहकर आगे रहने" का यही मतलब है !
कल ताओ पर बहुत सारी बोध कथाएं, हास्य कथाएं पढने का सौभग्य मिला उनमे से एक यह कहानी है ! जैसे "ताऊ डाट इन" पर इन दिनों मै बहुत सारी रचनाएँ पढ़ती रही मुझे इन दोनों में ताओवाद और ताऊवाद में बहुत सारी साम्यता दिखाई दी ! कैसे ? आईये जानते है !
ताओवाद चीन की बहुत बड़ी दार्शनिक परंपरा है ! ईसापूर्व तीसरी शताब्दि में ताओ दर्शन प्रौढ हुआ, और तभी से ताओ ग्रंथों में किसी "ली तजु" नाम के रहस्यदर्शी का उल्लेख मिलता है ! ली तजु की ऐतिहासिकता भी हमारे ताऊ डाट इन के रचयिता "ताऊ रामपुरिया" जी की तरह संदिग्ध दिखाई देती है कुछ सूत्रों के अनुसर ली तजु ईसापूर्व ६०० में हुआ और कुछ लोग कहते है ४०० में हुआ ! जो भी हो इनके नाम से जो रचनाएँ प्रचलित है वह कहानियों द्वारा किताब में संकलित है ! ताओ का मतलब होता है मार्ग, या यह कहे कि ऐसा नियम जिससे अस्तित्व की हर चीज संचालित होती है !
ताओवादी बनने के लिए दार्शनिक होने की जरुरत नहीं है उसे बौद्दिक तर्क-वितर्क में पड़ने की भी जरुरत नहीं है वह लोगों को सूत्रों,कहानियों और कविताओं द्वारा मार्ग दर्शन करता है ! ली तजु का व्यक्तित्व उसकी जीवंत अदभुत हास्यपूर्ण कहानियों में मिलता है !
हमारी तरह पश्चिम के विद्वानों ने भी ली तजु के बारे जानने के लिए परेशान थे या उत्सुक थे ! जैसे हम ताऊ के बारे में जानने को उत्सुक रहते है, उन्हें लगा कि सचमुच ऐसा कोई व्यक्ति है भी या नहीं उन्होंने जानने की कड़ी मेहनत की परन्तु अंत तक एक अनसुलझा रहस्य ही बना रहा !
हमारे ब्लॉग जगत में भी कबसे ताऊ रामपुरिया जी के बारे में जानना भी कुछ इसी प्रकार विवादास्पद रहा है और आज भी है ! यदि कोई मुझसे पूछे ताऊ कौन है ? यह मेरे लिए गैर जरुरी है लेकिन एक बात तय है जो भी दिमाग है इन रचनाओं के पीछे कमाल का है ! एक ऐसा दिमाग जो जीवन के अनुभवों को संपूर्णता में जीना जानता है अभिव्यक्त करना जानता है ! जिसके पास जीवन का बेहतरीन जीवन दर्शन है जो पाठकों के मनपर पढने के बाद एक अमिट छाप छोड़ देता है !
सच में हम हँसना भूलते जा रहे है या ऐसा कुछ नहीं है हमारे आस पास जिससे हम हंस सके,हँसते भी है तो केवल लगता है औपचारिकता निभा रहे है ! ऐसे में आने वाले समय में भी "ताऊ डाट इन" पर ताऊ की रचनाएँ आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत काम आएगी औषधि की तरह,पुराना उबाऊ लगता है मन को यहाँ तक की विचार भी, ऐसे में कुछ नया पढने जैसा लगा मुझे इन दिनों "ताऊ डाट इन" पर !