बुधवार, 12 अप्रैल 2017

सुहाना मौसम है !

ऊंघ रहे क्यों मन
मछुआरे ?
चलो नदी तट पर चले
सुहाना मौसम है !

खूबसूरत शब्दों का
आकर्षक जाल बुने
भावनाओं के आटे से
बनी गोलियां
सुनहरी मछलियों को
खिलायें !


छपाक से डालकर
पानी में जाल
खूब सारी मछलियों को
फंसाये !
चलो नदी तट पर चले
सुहाना मौसम है !


बुधवार, 29 मार्च 2017

कुछ विचार ऐसे भी होते है ...

विचारों की भी अपनी
उम्र होती है !
कुछ विचार जन्म
लेते ही सिकुड़ने
लगते है देर सवेर
मरने के लिए !
कुछ तो जन्म लेने से
पहले गर्भ में ही मर
जाते है !
कभी-कभार कुछ
किसी ब्लॉटिंग पेपर पर
गिरी स्याही के समान
फैलकर देश,समय,
सीमाओं के पार
कालजयी हो जाते है ... !

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

मन एक "प्रिज्म" है !

आत्मा की 
किरणे श्वेत रंग की
जब तिमिर आवरण 
को चीरकर 
मन नाम के
प्रिज्म से टकराती है 
तब यह 
ब्लैक एण्ड व्हाईट दुनिया 
इंद्रधनुषी दिखाई देने 
लगती है  !
खूबसूरत खयाली 
घूँघट की ओट में 
छिप जाती है प्रकृति 
सुंदरता अवर्णनीय 
है जिसकी  !