८ मार्च हर साल "महिला दिवस" के रूप में मनाया जाता है ! मुझे यह कहते हुये बड़ी ख़ुशी हो रही है कि, महिलाये आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है ! और अपनी जीत का परचम लहरा रही है ! पुरुष प्रधान समाज में कभी उसे लिंग भेद के चलते उसकी योग्यताओं को हमेशा पुरुषों से कमतर लेखा गया ! इसी हीन मानसिकता के चलते उसको पुरुषों से समान हक्क पाने के लिये प्रेरित किया ! और आज देखिये उसे वह सब हक्क प्राप्त है जिसकी वह हक़दार थी ! पढ़ लिख कर आत्मनिर्भर बनने का उसका मिशन लगभग पूरा हो रहा है ! सदियों तक उसे घर की अन्य वस्तुओं क़ी तरह समझा गया था, जिसपर किसी न किसी पुरुष का अधिकार था ! वह जीवन भर के लिये पुरुष क़ी संपत्ति बन गयी थी ! अपने स्वतंत्र निर्णय लेने क़ी स्वतंत्रता उसे नहीं थी ना ही देने क़ी, कभी भी उसे एक साथी क़ी तरह नहीं समझा गया ! लेकिन आज हर परिवार में महिलाये अपना हर प्रकार से सहयोग दे रही है ! सबसे बड़ी बात यह है क़ि वह आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बन गई है ! घर और ऑफिस क़ी दोहरी भूमिका बखूबी निभाते हुये उद्योग जगत में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है ! उच्च पदों पर काम करते हुये अपनी प्रतिभा से उद्योग जगत क़ी पारंपारिक तस्वीर ही बदल रही है ! जिनकी बदलौत हमारे देश क़ी अर्थ व्यवस्था मजबूत हुई है ! जिस तेजी से विकास दर बढ़ा है उसका सारा श्रेय उन महिलाओं को जाता है ! जानकारी के अनुसार आज भारत में तीन करोड़ से भी ज्यादा महिलाये विभिन्न उद्योग क्षेत्रों में कार्यरत है ! यह गर्व क़ी बात है ! और छह करोड़ से ज्यादा महिलायें खेती संबंधी गतिविधियों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है ! आज महिलायें सारे विश्व में महाशक्ति के रूप में उभर कर नया कीर्तिमान स्थापित कर रही है इसके साथ-साथ महिलाओं का एक और पहलु भी उभर कर सामने आ रहा है ! बहुत हद तक उसने कामयाबी तो हासिल की है, लेकिन इस संघर्ष में उसके भीतर बहुमूल्य प्रकृति ने दिए हुये कोमल गुण नष्ट होने लगे है ! प्रतिक्रिया स्वरूप वह पुरुषी स्वभाव अख्तियार करने लगी है ! पुरुषों के लिये श्रद्धा की कम उपेक्षा की ज्यादा पात्र बन गई है ! उसकी स्वाभाविक कोमलता,कमनीयता शुष्क और व्यक्तित्व कुंठित हो रहा है ! लगता है अपनी मुक्ति के लिये यही कीमत चुकाई है उसने ! यह मेरी व्यक्तिगत सोच है जरुरी नहीं !हर कोई इस विचारों से सहमत हो ! महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ .........जयशंकर प्रसाद जी के कविता की कुछ पंक्तियाँ है यह जो की मुझे हमेशा बहुत अच्छी लगती है !
नारी तुम केवल श्रद्धा हो
विश्वास रजत नग़ पग तल में
पियूष स्त्रोत सी बहा करो
जीवन के सुंदर समतल में !