मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

" आधुनिक साहित्य "


भला बूंद की क्या औकात जो सागर के बारे में कुछ कह सके !


हिंदी साहित्य को चार भागों में विभाजित किया गया है - आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, और आधुनिककाल ! हर काल में साहित्य का अपना अलग महत्व रहा है ! आज का युग वैज्ञानिक युग है ! इस आधुनिक युग में अद्वितीय चिन्तक वैज्ञानिक अभिनव क्रान्ति के प्रस्तोता "आचार्य रजनीश" जिनको सारा विश्व आज "ओशो" के नाम से जानते है ! उनका साहित्य आज के युग की ख़ास पसंद है ! उनका साहित्य ज्यादा से ज्यादा भाषाओँ में अनुवादित होकर सारे विश्व के कोने कोने में पहुँच रहा है ! पूना स्थित उनके आश्रम में हर साल दूर दूर के देशों से साधक आते है और अपने आप को ध्यान और साधना में डूबोते  है ! कठिन से कठिन विषय को भी सरल बना कर सरस शब्दों में समझा कर नीरस विषय को भी मनोरंजक बना कर श्रोताओं को बहला फुसला कर अपने लक्ष्य की ओर प्रोत्साहित करना सचमुच ओशो जैसे शिक्षक को ही साध्य है ! वे अपने विचार किसी पर थोपते नहीं बल्कि उनको अंतर दृष्टी देकर सही मार्ग पर चलने को प्रेरित करते है ! बुद्ध, महावीर, मोहम्मद, जेसस, अष्टावक्र, कृष्ण, संत महात्माओं पर उनके अनेक प्रवचन प्रचलित है इतना ही नहीं राजनैतिक सामाजिक समस्याओं पर प्रकाश डाला है !
मजेदार बात यह है कि उनहोंने लिखा नहीं अपने शिष्यों प्रेमियों द्वारा संकलित किया हुआ है ! शिष्य और सद्गुरु के बीच बोला गया संभाषण है जैसे अभी सुबह सुबह खिले हुए ताज़े फूल !
ओशो का मतलब ओशोनिक (oceanic) याने कि सागर ! एक ऐसा महासागर जिसके गर्भ में भिन्न भिन्न अमूल्य रत्न भरे पड़े है ! यह महासागर कभी बुद्ध जैसा शांत गंभीर दीखता है तो कभी कभी रौद्र रूप धारण कर समाज में फैले अंधविश्वासों, झूठी परम्पराओं, पाखंडों को तेज रफ़्तार से बहा ले जाता है !
आज से पच्चीस साल पहले ओशो कि एक पुस्तक मेरे हाथ में पड़ी ! इस पुस्तक को मैंने पढ़ा तो फिर उनको पढ़ती ही गयी जैसे जैसे घर में विरोध बढता गया वैसे वैसे उनसे लगाव भी बढ़ता गया अंततः प्रेम कि जीत हुई ! आज मेरे घर में सभी उनसे प्रेम करते हैं उनके साहित्य को चाव से पढ़ते है ! उस महासागर कि मैं एक छोटी सी बूंद हु भला बूंद कि क्या औकात जो सागर के बारे में कुछ कह सके ! मैंने उस सागर को चखा है आप सब से एक बार चखने के लिए अनुरोध करती हूँ ! फिर आप आप नहीं रहेंगे बदल जायेंगे ! जीवन को देखने का दकियानूसी अंदाज़ भी बदल जाएगा ! उस प्यारे सदगुरु ओशो के चरणों में समर्पित मेरी यह रचना शायद आपको भी पसंद आ जाये !
" जब तुमसे प्रेम हुआ है "
तुमको अपना हाल सुनाने
लिख रही हु पाती
प्रिय प्राण मेरे
यकीन मानो
अपना ऐसा हाल हुआ है
जबसे मुझको प्रेम हुआ है !
जग का अपना दस्तूर पुराना
चरित्रहीन कहकर देता ताना
बिठाया चाहत पर
पहरे पर पहरा
नवल है प्रीत प्रणय कि
कैसे छुपाऊं
ह्रदय खोल कर अपना
कहो किसको बताऊँ
अपना भी जैसे
लगता पराया है
जबसे मुझको प्रेम हुआ है
कौन समझाए इन नैनों को
बात तुम्हारी करते है
पलकों पर निशिदिन
स्वप्न तुम्हारे सजाते है
जानती हूँ स्वप्नातीत
है रूप तुम्हारा
मन-प्राण मेरा
उस रूप पर मरता है
जबसे मुझको प्रेम हुआ है
तुम्हारी याद में,
तुम तक पहुंचाने को
नित नया गीत लिखती हूँ
भावों कि पाटी पर प्रियतम
चित्र तुम्हारा रंगती हूँ
किन्तु छंद न सधता
अक्षर-अक्षर बिखरा
थकी तूलिका बनी
आड़ी तिरछी रेखाएं
अक्स तुम्हारा नहीं ढला है
जबसे मुझको प्रेम हुआ है !

" भ्रष्टाचार का वायरस "


"सोने की चिड़िया कहलाने वाले हमारे भारत देश को भ्रष्टाचार के दीमक ने इस कदर खोकला कर दिया है की इस दीमक को ख़तम कर देश को बचाना मेरे हिसाब से अब मनुष्य के बस की बात नहीं रही ! इसीलिए मैंने भगवान् को माध्यम बना कर एक छोटा सा व्यंग्य किया है!"


हम सब भगवान् को जग के पालनहार साथ में सृष्टि के कुशल रचनाकार के रूप में जानते हैं ! उनहोंने धरती आकाश की रचना की पर वे खुश नहीं हुए ! चाँद तारें बनाये, पशु पक्षी सारी सुन्दर प्रकृति बनायीं फिर भी खुश नहीं हुए उनको इन सब में कुछ न कुछ कमी महसूस हुई तब जा के उनहोंने मनुष्य की रचना की और कहते है की भगवान् अपनी इस अपूर्व रचना पर इतने प्रसन्न हुए की तब से आज तक उन्हें फिर कुछ बनाने का मन ही नहीं हुआ अब तो वे आनंद मग्न ध्यान में लीन रहने लगे !
आज भी वे इसी तरह आँखें मूँद कर ध्यान मग्न बैठे हुए थे कि किसी के क़दमों कि आहट हुई ! उन्होंने अपनी आखें खोल कर देखा अपने बूढ़े विश्वासपात्र मंत्री जी चिंता मग्न सिर झुकाए सामने खड़े थे ! उनके लम्बे सफ़ेद केश, झुकी हुई कमर, घुटनों तक लहराती श्वेत शुभ्र दाढ़ी, उनकी उम्र का अंदाजा लगाना कठिन था ! खैर, भगवान् ने मंत्री जी से आने का कारण पूछते हुए कहा - " कहिये मंत्री जी क्या बात है आपकी चिंता को देख कर लगता है कि कोई बहुत बढ़ी समस्या है ! धरती पर सब ठीक तो है ना ?" ,भगवान् ने प्रश्न किया ! " नहीं प्रभु, धरती पर ख़ास कर के भारत में हालात कुछ ठीक नहीं हैं ! चोरी, डकैती, मिलावटखोरी, पृथक प्रान्तों को लेकर झगडे आन्दोलन आसमान छूती महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है जनता त्राहि त्राहि पुकार रही है ऊपर से भ्रष्टाचार का वायरस मनुष्य के दिमाग में घुस कर मनुष्य की नैतीकता विचारशीलता मानवीय संवेदनाओं को तहस नहस कर रहा है ! लगभग धरती पर सारी मानव जाती भ्रष्टाचार के इस वायरस से प्रभावित हो रही है ! जिस प्रकार कंप्यूटर में वायरस उसके डाटा को नष्ट करता है उसी प्रकार मनुष्य के मस्तिष्क को भ्रष्टाचार का वायरस विकृत कर रहा है ! हे प्रभु, समय रहते इस वायरस का निवारण नहीं हुआ तो धरती पर मानवता खतरे में पड़ सकती है ! " मंत्री जी ने चिंता व्यक्त की ! इतनी देर से मंत्री जी की बातें बड़ी ध्यान से सुन रहे भगवान् ने कहा यह तो बड़ी चिंता का विषय है मंत्री जी ! हमारी प्रिय रचना जो की मनुष्य जिस पर हमें बहुत गर्व है उस रचना को ऐसे नष्ट होते हुए हम नहीं देख सकते किन्तु आप यहाँ वायरस का बार बार उल्लेख कर रहे है कंप्यूटर, डाटा , इन सब का क्या मतलब है? यह शब्द हमारे लिए नितांत अपरिचित है भगवान् ने कहा ! मंत्री जी तनिक मुस्कुराए और कहा हे इश्वर आप तो हमेशा अपने सृजन में व्यस्त रहते है ! मंत्री होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी को हम खूब जानते है तीनों लोकों की जानकारी मुझे ही तो रखनी पढ़ती है, आपने ही तो ये ज़िम्मेदारी हमे सौपी है ! उसी जानकारी के अनुसार बुद्धि जीवियों द्वारा ईजाद किया हुआ यह एक यन्त्र है जो की मानव मस्तिष्क जैसा है उसी को धरती वासी कंप्यूटर कहते है ! इसकी सहायता के बिना मनुष्य आज कुछ भी नहीं कर सकता ! मनुष्य कंप्यूटर का उपयोग हर क्षेत्र में करने लगा है जैसे की शिक्षा क्षेत्र, बड़े बड़े प्रतिष्ठानों में, चिकित्सा क्षेत्र,अंतरिक्ष यात्रा इत्यादी की जानकारी कंप्यूटर पलक झपकते ही देता है वह भी त्रुटिहीन जानकारी ! इतना ही नहीं कंप्यूटर में गूगल इंजिन एक ऐसा खोजी इंजिन है जो की बच्चे बड़े,बूढ़ों में बहुत ही लोक प्रिय हो रहा है ! मुझे तो यह आशंका है की जल्द ही गूगल खोजते खोजते कही हम तक ना पहुँच पाय ! इसके साथ-साथ मंत्री जी ने कंप्यूटर की कार्य प्रणाली साथ में मेमोरी, इनपुट, ओउटपुट, कण्ट्रोल, मेमोरी , विंडो , किबोर्ड , माउस डाटा क्या है वायरस कंप्यूटर में कैसे प्रवेश करता है इन सबकी जानकारी जो की हम सब जानते है मंत्रीजी ने सविस्तार जानकारी भगवान् को दी ! बहुत देर से कंप्यूटर की अजब गजब जानकारी सुन रहे भगवान् के मन में कई रोचक प्रश्न जागे ! अब तक वे स्वयं को बहुत बड़े रचना कार समझते थे किन्तु मनुष्य के इस आविष्कार के बारे में सुन उनको मनुष्य के प्रति किंचित इर्ष्या सी हुई पर अपने चेहरे के भावों को बड़ी सफाई से छुपाते हुए मंत्री जी से प्रश्न पुछा की मंत्री जी बताईये फिर मनुष्य और कंप्यूटर दोनों में श्रेष्ट कौन है ?
निसंदेह मनुष्य ही श्रेष्ठ है प्रभु यह तो आप भी जानते है मनुष्य में मानवीय गुणों के साथ अच्छे बुरे की परख चिंतन मनन करने की क्षमता अनुभव करने की जो चेतना आपने मनुष्य को प्रदान की वह कंप्यूटर में कहाँ ? वह तो अपने स्वामी द्वारा दिए हुए आदेश का पालन करने वाला यन्त्र मात्र है किन्तु भ्रष्टाचार का वायरस मनुष्य की इन तमाम योग्यताओं को नष्ट कर रहा है इस तकनिकी गड़बड़ को आपको ही सुधारना होगा नहीं तो धरती पर मानवता का नामोनिशान तक मिट सकता है मंत्रीजी ने आशंका व्यक्त की !
भगवान् अत्यंत चिंतित हुए क्या करना चाहिए उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था फिर उन्होंने अपने मंत्रीजी से ही सलाह लेना उचित समझा ! मंत्रीजी आप ही बताईये हमें क्या करना चाहिए ताकि मनुष्य जाती को इस भयंकर वायरस से बचाया जा सके तब मंत्री जी ने बड़ी प्रसन्नाता से कहा -हे प्रभु इस ब्र्श्ताचार के वायरस निवारण हेतु हमें तुरंत एंटी वायरस बनाना होगा तभी धरती पर नैतिक मूल्यों को बचाया जा सकता है ! भगवान् अपने बूढ़े मंत्रीजी की बात मानकर एंटी वायरस बनाने अपने प्रयोगशाला की ओर चल दिए !
आज भारत में अनेक समस्याएं विकराल रूप धारण कर रहे है ! यहाँ वहां प्रांतीय पृथकता  को लेकर झगडे आन्दोलन साम्प्रदायिक झगडे काला बाजारी महंगाई कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध भारत की समृधि विकास के लिए घातक बनते जा रहे है ! स्वार्थ साधन ही आज के नेताओं का लक्ष बना हुआ है ! इनके मन में राष्ट्रीय भावनाओं का कोई महत्व नहीं है ! नाही ये देश के हित के बारे में सोचते है उनको तो बस अपनी अपनी कुर्सी से लगाव है ! इसीलिए भारतीय नागरिक होने के नाते हमारा दायित्व बनता है की सही नेताओ का चयन करने की कोशिश करे ! राष्ट्रीय एकता के लिए सही दायित्व का निर्वाह कर अपने संकीर्ण विचारों को त्याग कर राष्ट्र के हित में सोचे समझे मनन चिंतन करे और देश की समृधि के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे 
 !