आज क्यों दर्द भरे है
स्वर वीणा के !
चाहे हंसकर गाओ
चाहे गाओ रोकर
जीवन है एक
सरगम !
नित जीवन गीत
सुनाने वाले
सरगम के
आज क्यों दर्द भरे है
स्वर वीणा के !
प्रात कभी एक
हंसा गए
साँझ कभी एक
रुला गए
रूठे सहज-सरल
भाव मन के !
आज क्यों दर्द भरे है
स्वर वीणा के !
जब ढीले-ढाले
कुछ अधिक कसे
हुये हो तार मन के
कैसे हो स्वरसाधन ?
बिखर-बिखर गए
तार वीणा के !
आज क्यों दर्द भरे है
स्वर वीणा के !
रोज की हमारी भागदौड़, एकदुसरेसे आगे होने की प्रतियोगिता,जीवन के संघर्ष में न जाने हमारे ह्रदय का संगीत कहीं खो गया है ! विचारोंके अराजक कोलाहल में मन वीणा के तार बिखर गए है !
स्वर वीणा के !
चाहे हंसकर गाओ
चाहे गाओ रोकर
जीवन है एक
सरगम !
नित जीवन गीत
सुनाने वाले
सरगम के
आज क्यों दर्द भरे है
स्वर वीणा के !
प्रात कभी एक
हंसा गए
साँझ कभी एक
रुला गए
रूठे सहज-सरल
भाव मन के !
आज क्यों दर्द भरे है
स्वर वीणा के !
जब ढीले-ढाले
कुछ अधिक कसे
हुये हो तार मन के
कैसे हो स्वरसाधन ?
बिखर-बिखर गए
तार वीणा के !
आज क्यों दर्द भरे है
स्वर वीणा के !
रोज की हमारी भागदौड़, एकदुसरेसे आगे होने की प्रतियोगिता,जीवन के संघर्ष में न जाने हमारे ह्रदय का संगीत कहीं खो गया है ! विचारोंके अराजक कोलाहल में मन वीणा के तार बिखर गए है !