जरुरत से जादा वर्षा होने की वजह से इस साल फसल बहुत कम हुई थी ! यह देखकर एक किसान जोरजोर से रोने लगा चिल्लाने लगा भगवान् को भला बुरा कहने लगा हे निर्दयी ईश्वर तुम कितने निष्टुर हो फसलोंपर कभी जोरजोर से बारिश बरसाते हो तो कभी कम बरसाते हो, अधिक वर्षा से फसल तबाह हो जाती है तो कभी पानी के अभाव में सारी फसल मर जाती है कभी जादा धूप तो कभी आंधी ,तुफान तो कभी ओले बरसाकर सारी फसल नष्ट कर देते हो कैसे नादान हो तुम ईश्वर? तुम्हे तो यह भी पता नहीं की फसलों को कितनी धुप,कितनी वर्षा चाहिए! शायद तुम किसान नहीं हो ना इसलिए इन बातों का तुमको ज्ञान नहीं अगर मै तुम्हारी जगह होता तो फसलों को जरुरत के हिसाब से वर्षा करता ? संयोगवश वहांसे गुजरते अदृश्य ईश्वर की कानों मे किसान की बाते पड गयी ! वे ततक्षण किसान के सामने प्रगट हुये और कहा की हे किसान ऐसी बात है तो मै तुमको एक मन्त्र देता हूँ उस मन्त्र का उपयोग कर जितनी वर्षा चाहिए,धुप चाहिए तुम मन्त्र का जाप कर प्राप्त कर सकते हो और अपने मनमुताबिक फसल को प्राप्त कर सकते हो अगर कभी तुम्हे मन्त्र लौटाना हो तो मुझे याद कर लो मै तुम्हे यही मिलूँगा कहकर ईश्वर अन्तर्धान हुए ! किसान बहुत खुश हुआ इस वर्ष उसने गेहूं की बुआई की और जरुरत के मुताबिक फसलों को खाद, पानी धुप देने लगा देखते ही देखते बिज जमीन में टूटकर अंकुर बने,फिर पौधे होते -होते गेहूं की फसल लहलहाने लगी सारा खेत गेहूं की फसल से भर गया था ! किसान मन ही मन अति प्रसन्न हुआ क्योंकि इस बार खूब फसल होगी और अच्छी कमाई की अपेक्षा है किन्तु फसल जब पककर काटने आयी तो किसान को अश्चर्य का धक्का लगा क्योंकि गेहूं की बालीयों में बीज ठोस नहीं थे ! सारे बीज कमजोर मरे-मरे से थे किसान छाती पीटकर रोने लगा सारी मेहनत वर्ष भर की बेकार जो गयी ! उसने ईश्वर को याद किया कमजोर बिजोंके बारे में पूछा तब ईश्वर ने कहा अरे नादान किसान जब तुम जमीन में बीज बोते हो तो मै कभी धुप कभी छाँव कभी वर्षा तो कभी आंधी तुफान भेजता हूँ इन सबसे लड़कर हि तो बीज पकते है फसल बढती है ! संघर्ष से हि तो बीज पक्के और ठोस बनेंगे ! किसान को सारी बात समझ में आई उसने ईश्वर का दिया हुआ मन्त्र वापिस लौटा दिया !
छोटी-छोटी असफलता के चलते आयेदिन पत्रिकाओं की सुर्खियोंमे किसी पढेलिखे युवा द्वारा आत्महत्या की खबर पढ़ती हूँ तो मुझे यह कहानी याद आती है ! जीवन की हर छोटी बड़ी समस्याओं से हिम्मत से लड़कर ही तो कोई समाधान पाया जा सकता है ! हर मुश्किल का हल केवल आत्महत्या तो नहीं हो सकता संघर्ष से हि तो जीवन में परिपक्वता आती है !