जीवन में शोक, चिंता और दुखों को भुलाकर मनुष्य सब के साथ बैठकर कुछ पल हँस सके, गा सके, नाच सके इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही हमारे त्यौहार बने होंगे! इसके अलावा हमारे हर त्यौहार अपना-अपना ऐतिहासिक, सामाजिक महत्त्व भी रखते है! अब कल से दस दिनों तक चलने वाला हमारा पवित्र त्यौहार है गणेश चतुर्थी! लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने गणेश पूजा की परंम्परा को संवारकर जनसंघर्ष का मार्ग प्रशस्त किया! धर्म, संस्कृति और अस्मिता को जीवंत कर तिलक जी ने राष्ट्रिय जनचेतना को एकसूत्र में आबद्ध किया! किन्तु आज त्योहारों के पीछे जो सदभावनाएँ है उसे भुलाकर त्यौहार केवल मौज, मस्ती और दिखावे भर के रह गए है! दस दिन के इस उत्सव के बाद आता है, हर साल की तरह गणपति विसर्जन! हमारे हैदराबाद शहर में हुसैन सागर, जिसे टैंक बंड भी कहते है सभी को देखने लायक मनोरंजक स्थल है! इस टैंक बंड के बिचोबीच भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा सारे परिसर को एक अनोखा सौन्दर्य प्रदान करती है! कभी मेरा यह प्रिय स्थान रहा है......! टैंक बंड के बस थोड़ी दूर पर ऊँची पहाड़ियों पर बसा है बिरला मंदिर! अगर आप रात के समय टैंक बंड के किनारे बैठ कर बिरला मंदिर को देखेंगे तो ऐसा लगेगा मानों स्वर्ग धरती पर उतर आया है! जगमग दीपों की रौशनी पानी पर देखते बनती है ! कई वर्षों से गणेश विसर्जन यहीं पर होता है! सो अब की बार भी यही होगा! भले ही इस सागर का पानी पीने के लिये उपयोग में नहीं लाया जाता पर, सुना है की यहाँ टैंक बंड पर जो लोग मोर्निंग वाक् के लिये जाते है उनके स्वास्थ्य पर जल प्रदूषण का बुरा असर पडने लगा है! प्रदूषित जल अनेक बिमारियों को न्योता भी देता है! हर शहरों में यही हो रहा है! भले ही गणेश विसर्जन की परंपरा लोकमान्य तिलक के ज़माने से आ रही है, पर आज वो पहलेवाली परिस्थितियाँ नहीं रही ! तब गणेश की छोटी-छोटी मूर्तियाँ बनाई जाती थी! वह भी नदी तट की गीली मिट्टी से बनाये जाते थे ! जो आसानी से विसर्जन के बाद पानी में घुल जाती थी! आज गणेश की मूर्तियाँ बड़ी-बड़ी और हजारों, लाखों रूपये की बनाई और खरीदी जाती है! इन मूर्तियों के प्रयोग में लगने वाला तत्व और रंगों में जो केमिकल्स का प्रयोग होता है वह अनैसर्गिक तो होता ही है उससे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण भी होता है! कितना अच्छा होता यदि हमारी मिडिया, हमारी सरकार, सामाजिक संस्थायें इसपर जनजागरूक अभियान चलाते!
सागर, नदियाँ, झीले हमारी प्राकृतिक धरोहर है इनकी रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है! आज त्यौहारों को अंधश्रद्धा की नजर से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने की जरुरत है! वर्ना यह एक गंभीर समस्या बन सकती है!
( सभी ब्लोगर मित्रों को ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें )