२४ जनवरी की सुबह गाँव से बड़े भाई साहब ( जेठ जी ) का फ़ोन आया था ! यह कहते हुये की, २६ जनवरी के दिन एक छोटासा फॅमिली फंक्शन का आयोजन किया हुवा है ! इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिये उन्होंने हम सब को आदेशात्मक स्नेह भरा निमंत्रण दिया था ! और जोर देकर कहा की बच्चों को भी साथ लेकर आना ! इस बार तुम दोनों का कोई बहाना नहीं चलेगा ! उन्होंने अपना अंतिम निर्णय सुना दिया ! खैर बच्चों ने अपनी-अपनी मज़बूरी बताकर गाँव चलने से इनकार कर दिया ! पर मै बहुत खुश हुयी अपने ससुराल जाने के लिये ! मैंने सोचा ....चलो इसी बहाने थोडा चेन्ज हो जायेगा ! इनको भी अदालत की चार दिन की छुट्टियाँ थी ! चलो चलते है इन्होने भी खुश होते हुये कहा ! बहुत सालों के बाद मै अपने ससुराल जा रही थी ! गाँव में बहुत बड़ा परिवार है हमारा ! जमीन, जायजाद है ! बड़ी दीदी ( जिठानी ) मेरे लिये तो माँ समान है ! और बड़े भाई साहब पिता समान, भला उनका आदेश हम कैसे टाल पाते ? सो अगले दिन बड़े तडके हि, हम दोनों हैदराबाद से गाँव जाने के लिये लक्जरी बस से रवाना हो गए ! बहुत सारी पूरानी यादों को ताज़ा करते हुये, हंसी ख़ुशी करीब दोपहर के एक बजे स्टेशन पहुँच गए ! स्टेशन पर जीप हमारा इंतजार कर रही थी !
बड़े भाई, दीदी ने आगे बढ़कर प्यार से हमारा स्वागत किया ! हमने उनके पैर छुए तो दीदी ने मुझे प्यारसे गले लगा लिया ! इस कार्यक्रम में हमारा सारा परिवार एकत्रित हुवा था ! गाना,बजाना खाने-पीने और गपशप में चार दिन कैसे बीत गए पता ह़ी न चला !
पता है गाँव में अब भी सर्दी अपने पुरे शबाब पर है ! सुबह-सुबह कोहरा गन्नों के खेतों पर सफ़ेद चादर सा फैल जाता है ! हमारे गाँव से होती हुई कल-कल बहती मांजरा नदी का दृष्य देखने लायक था ! इसी नदी का पानी हैदराबाद शहर को सप्लाई किया जाता है ! बहुत सारी मीठी यादों को ह्रदय में संजोकर लौटी हूँ !
जब से गाँव से लौटी हूँ फिल गुड अनुभव कर रही हूँ ! कहते है की "फील गुड" इस शब्द का जन्म राजदरबार में हुआ है ! जो भी हो मनुष्य के जीवन में सिर्फ जीना ह़ी काफी नहीं होता, तन को और मन को प्रसन्न रख्नने के लिये, थोडा रूटीन से हटकर बदले हुये माहोल में साँस लेना भी उतना ह़ी जरुरी होता है !