सोमवार, 27 अगस्त 2012

क्या आपका मूड ख़राब है ?

जब भी आपका मूड ख़राब होता है तब आप किसे दोष देते है ...स्वयं को ? परिस्थितियों को या आपके आस पास रहने वाले व्यक्तियों को ! इसके पहले की आप किसी को दोष दे एक बहुत अर्थपूर्ण झेन कहानी पढ़ लीजिये शायद आपका मूड  ठीक हो ! एक मंदिर के द्वार पर दो बौद्ध भिक्षु लड़ रहे थे ! मंदिर पर लगी हुई पताका को देखकर एक भिक्षु कह रहा था कि,पताका को हवा हिला रही है !दूसरा भिक्षु कह रहा था नहीं पताका हिल रही है , इसलिए हवा कंपित हो रही है ! विवाद चल रहा था दोनों में तय करना मुश्किल था, इतनेमे मंदिर से गुरूजी बाहर आये उन्होंने कहा....तुम दोनों नासमझ हो न पताका हिल रही और न हवा हिल रही है, तुम्हारा मन हिल रहा है !
मूड का ख़राब होने का मूल कारण है मन का भटक जाना ! मन अपने केंद्र से भटक कर रज,तम,सत्व इन तीन गुणों से युक्त परिधि पर गोल-गोल घूम रहा है !इसीलिए हम देखते है कि, भावनात्मक बदलाव हो रहे है ! कभी सुख कभी दुःख कभी तनाव तो कभी हमारा मूड आफ हो जाना ! यह सारी मन की ही स्थिति है ! जब भी आपको लगे कि आपका मुड ख़राब है समझ जाना कि यह एक संक्रमण काल है थोड़ी देर में गुजर जायेगा !ऐसे समय में कोई अच्छा साहित्य पढने क़ी कोशीश कोई अच्छा संगीत सुनने क़ी कोशीश आपको बहुत हद तक ख़राब मूड को बाहर फेंकने में मदद करेगी! बिन बुलाये मेहमान के जाने की जैसे घरवाले प्रतीक्षा करते है, ऐसेही कुछ देर प्रतीक्षा कीजिये ! आप पायेंगे कि मन पूर्ववत स्थिति में आ गया है !जब भी हमारा मूड ख़राब हो हम किसी इमोशनल सपोर्ट की जरुरत महसूस करते है ! लेकिन जितनी हो सके भावनात्मक आत्मनिर्भर होने की कोशिश हमें और मजबूत बनाती है ! 


शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

अफवाह ने की है नींद हराम.....

"सो जाओगे तो मर जाओगे" ....यह मै नहीं कह रही हूँ अख़बार की दिलचस्प खबर कह रही है ! दरअसल सो जाओगे तो मर जाओगे वाली अफवाह ने लोगों की नींद हराम की हुई है ! जितनी जुबानी उतनी बाते उतनी ही कहानियाँ ! सेलफोन के जरिये लोग बिना सोच विचार किये इस अफवाह को एक दुसरे तक पहुंचा रहे है ! महाराष्ट्र के जिले अहमदनगर,लातूर,बीड, परभनी आदि शहरों में लगभग रात के बारह बजे के आस पास लोग एक दुसरे को फोन पर यह सुचना दे रहे है कि, भूकंम्प आने वाला है ! लोग दुसरे शहरों में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को फ़ोन कर रहे है ! इस तरह खुद जग रहे है और दूसरों को जगा रहे है ! अचानक किसी ने यह अफवाह फैलाई कि, एक प्रसूति गृह में एक नवजात बालिका ने कहा क़ी जो आज रात सोयेगा वह मर जायेगा ! यह अफवाह फैलते -फैलते हमारे शहर हैदराबाद तक पहुँच गई है ! यहा कुछ जगहों पर जगराता वाला माहोल है ! महाराष्ट्र में रहने वाली मेरी दोस्त ने मुझे कल रात फोन किया ! सारी बाते सुनने के बाद मैंने कहा कि,...इन बेकार क़ी अफवाओं पर ध्यान मत दे ! भूकंम्प से मरोगे क़ी नहीं यह मुझे पता नहीं पर बिना नींद के जरुर मरोगी मैंने कुछ नाराजगी से कहा ! लेकिन ये अफवाहे कौन फैला रहा होगा उसने कुछ चिंतित स्वर में कहा ...! अब ये तो कोई लाल बुझक्कड़ ही बता सकता है...मैंने खीजते हुये कहा ! क्यों बेतुका सा जवाब दे रही हो उसने कहा ! बेतुके सवाल के बेतुका ही जवाब होगा ना मैंने कहा .... लाल बुझक्कड़ कौन है ? उसने मासुम-सा सवाल किया ! फालतु के सवाल मत कर फ़ोन रख दे मुझे नींद आ रही मैंने उनींदी आँखों से जम्हाई लेते हुये कहा और फोन रख दिया ! जानती हूँ उसको दुःख हुआ होगा लेकिन मै भी क्या करूँ इतनी पढ़ी लिखी होकर बेकार क़ी अफवाओं पर विश्वास करती है ! पता नहीं कौनसे शताब्दी में रहते है लोग ! आपके मन में भी रोचकता जगी होगी न कि, यह लाल बुझक्कड़ कौन है ? क्यों न मै उसका एक किस्सा ही सुनाउ आपको, आईये सुनते है ...लाल बुझक्कड़ शर्लक होम्स से कम थोड़े ही है (ऐसा मै नहीं खुद लाल बुझक्कड़ का  और उन गांववालों का मानना है ) किस्सा कुछ यूँ हुआ था एक बार उस गांव में चोरी हो गई ! बहुत लोगों ने खोजबीन क़ी पर चोर का पता नहीं चला ! पुलिस आई पर उनको भी कुछ पता नहीं चला चोर का ! आखिर गांव वालों ने पुलिस इन्स्पेक्टर से कहा कि,"हमारे गांव में लाल बुझक्कड़ रहता है वो हर मसले को चुटकियों में बुझ देता है "! बहुत पहुंचे हुये ज्ञानी है हमारे लाल बुझक्कड़ ....एक दफा ऐसा हुआ कि ,गांव से हाथी नीकल गया था ! (गांव वालों ने हाथी देखा हुआ नहीं था कभी ) रात हाथी गांव से निकला और सुबह उसके पैरों के निशान दिखाई दिए ! सारे गांव में चिंता की लहर फैल गई कि .किसके पैर के निशान हो सकते है इतने बड़े बड़े ? पैर के निशान इतने बड़े है तो फिर वो जानवर कितना बड़ा होगा ? फिर लाल बुझक्कड़ ने सुझा दिया कि, घबराने क़ी बात नहीं है ....सीधी सी बात है जरुर हरिण रहा होगा ! उस हरिण ने ही अपने पैरों में चक्की बांध कर उछला होगा ! इस प्रकार लाल बुझक्कड़ ने मसले का हल कर दिया, कहकर गांव वालों ने पुलिस इन्स्पेक्टर को बता दिया ! इन्स्पेक्टर ने कहा यह भी ठीक है चलो देखते है शायद लाल बुझक्कड़ चोर का पता बता दे पूछते है ! लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया ! उसने कहा चोर के बारे में बता तो सकता हूँ पर सबके सामने नहीं बताऊंगा ! क्योंकि मै कोई झंझट मोल नहीं लेना चाहता ! चलिए किसी एकांत स्थान पर चलते है वही बताऊंगा पर, कसम खाओ क़ि, किसी को बताओगे तो नहीं ? "पुलिस इन्स्पेक्टर ने स्वीकृति दी क़ि किसी को नहीं बताऊंगा कसम खाता हूँ मगर तुम बता तो दो भैय्या "! पुलिस इन्स्पेक्टर को लेकर लाल बुझक्कड़ बहुत दूर जंगल में ले गया ! बहुत दूर जाने के बाद  इन्स्पेक्टर ने कहा ..."अब तो बता दो यहाँ तो कोई भी नहीं है पशु पक्षी तक नहीं है सुनने को " तब लाल बुझक्कड़ ने इन्स्पेक्टर के कान में फुसफुसाकर कहा क़ि, मुझे पक्का यकीन है देखो किसीको कहना मत चोरी किसी चोर ने क़ी है !

बुधवार, 22 अगस्त 2012

क्रोध का रूपांतरण ......

कल किसी कारणवश बाहर जा रही थी ! सड़क के चौराहे पर ग्रीन सिग्नल मिलते ही वाहनों का काफिला चल पड़ा ! इतने में एक कार ने दूसरी कार को धक्का मारा ! जरासा धक्का क्या लगा कि,गाडी में बैठे दोनों युवक अपनी अपनी कार से उतर पड़े और वही हुआ जो होना था तू-तू मै-मै से लेकर गालियों से लेकर मार-पिट तक मामला चला ! ट्राफिक जैम हुआ लोग उतर कर तमाशा देखने लगे ! तमाशा देखने वालों क़ी कमी थोड़े ही है दुनिया में ? कुछ लोगों को हिंसा फैलाने में मजा आता है तो कुछ को देखने में ! कारण चाहे छोटे हो या बड़े हो लेकिन हर मनुष्य क्रोध से जैसे उबल रहा है ! सुबह उठकर कोई भी समाचार पत्रिका उठाकर देखिये ज्यादातर खबरे अपराध, हिंसा से भरी पड़ी है ! हम जिसे प्रगतिशील युग कह रहे है आज के इस युग पर नजर डालिए तो, हर छोटे-बड़े शहरों में हिंसा हो रही है ! कुछ दिन पूर्व पुणे में एक के बाद एक बम ब्लास्ट हो, या फिर हाल ही में अमेरिका में हुये गुरुद्वारे में निर्दोष लोगों क़ी मारे जाने खबर, थियेटर में जेम्स द्वारा अंधाधुन्द गोलिया चलाकर कई मासूम लोगों क़ी जान लेने क़ी खबर ! इस प्रकार क़ी हिंसा करने वाले विक्षिप्त अपराधियों को यह पता नहीं क़ि कौन मरा है और कितने मरे है ! उन्हें तो बस अपना क्रोध प्रकट करना है ! हर रोज सारे विश्व में होने वाली इन घटनाओं पर हम अपनी-अपनी बौद्धिक क्षमता के अनुसार सोचते है तर्क देते है क़ि, इन हिंसाओं के पीछे कारण क्या है ? दूषित माहोल? आधुनिक शिक्षा ? अच्छी परवरिश की कमी ? मानसिक असंतुलन ....बहुत हद तक ये सब बाते सही होते हुये भी क्रोध का बुनियादी कारण है ध्यान का अभाव! सनातन काल से हमारे बुद्ध पुरुष ध्यान क़ी देशना देते आ रहे है ! महावीर क़ी करूणा हो चाहे बुद्ध क़ी अहिंसा हो किसी क़ी थोपी हुई नहीं बल्कि ध्यान के सूत्रों पर आधारित है ! हमेशा हिंसा क़ी ओर प्रेरित करने वाली क्रोध क़ी उर्जा को ध्यान से रूपांतरित किया जा सकता है ! हिंसक अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देकर कानून यह सोचता हो क़ि, अपराध कम होंगे हिंसा कम होगी लेकिन यह कभी हुआ था न कभी होगा ! इसका मतलब यह नहीं क़ि अपराधियों को खुला छोड़ दे ! लेकिन एक बड़े पैमाने पर आज मनुष्य को ध्यान याने मेडिटेशन क़ी जरुरत है !

शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

हे कृष्ण...



हे कृष्ण,
इनके कहने पर आज 
तुम्हारे मंदिर में आई हूँ 
तुम्हारे चरणों पर चढाने 
कुछ ताजे फूल लाई हूँ 
मंदिर में बढती भीड़ 
और इस भीड़ में 
क्या दम तुम्हारा 
घुटता नहीं ? 
दूध,घी,तेल से 
नहलाने पर देह तुम्हारी 
चिपचिपी होती नहीं ?
सदियों से बांसी प्रार्थनायें
सुन-सुनकर उबता नहीं 
मन तुम्हारा ?
ऐसे में हे कृष्ण,
कैसे खड़े रह सकते हो 
पाँव पर पाँव धरे हुये 
होंटों पर पथराई-सी 
मुस्कुराहट और बांसुरी 
लिये हुये !
बस इतनी सी कृपा कर दो 
स्विस बैंक में कबसे बंद पड़ी 
लक्ष्मी जी को मुक्त कर दो 
ताकि हम सब यह यकीं
कर ले क़ि, तुम हो 
यहीं  कहीं हो ......

शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

एक कविता को छोड़कर .....


कभी-कभी जीवन में किसी बहुत ही निकट स्नेहीजन की मृत्यु पर व्यक्ति का मन बहुत गहरे तक पीड़ा से आहत हो जाता है ! दुःख के इस आघात से कई बार जीवन अर्थहीन व्यर्थ सा लगने लगता है ! जीवन सबंधी कुछ बुनियादी प्रश्न मन को झकझोरने लगते है ! पल में सुख तो पल में दुःख जीवन की ये कैसी पहेली है ? जीवन और मृत्यु का क्या रहस्य है ? कौन हूँ मै ? मेरे होने का क्या प्रयोजन है ? ऐसे कई सवाल मनुष्य को जीवन को जानने संबंधी जिज्ञासा से भर देते है ! और यही जिज्ञासा जीवन क़ी गहरी खोज तक ले जाती है !  

हमने जीवन को
        कब समझा कब जाना 
                यूँ ही जीवन को व्यर्थ गँवाया
  किन्तु जीते-जीते 
    एक दिन पता चला 
                 जिसको हमने जीवन समझा 
वह जीवन नहीं 
 मृत्यु के द्वार पर 
      खड़ी हुई मनुष्य की 
लंबी कतारे है 
         कोई आज गया कोई 
              कल कोई परसों जायेगा 
         देर सवेर की बात है 
          खोजने पर भी उनके 
         नहीं मिलेंगे निशान
          जैसे पानी पर खींची
  गई हो लकीरें 
       बन भी नहीं पाती 
      कि मिट जाती है 
              ऐसे ही पल में सब कुछ 
        मिटा देती है मृत्यु  
                        एक कविता को छोड़कर .......