मानसून के आते ही, सर्द हवाएँ बहने लगी है ! नभ में आषाढ़ के मेघ घिरने लगे है ! पुरवाई के हर झोंके में एक अपरमित उल्हास भरा हुआ है ! नभ से लेकर धरती तक जन-जीवन बारिश के नैसर्गिक आनंद में डुबने लगा है ! मौसम कुछ-कुछ गुलाबी होने लगा है !
सर्द हवाएँ कुछ यूँ
कहने लगी है
ठंडे-ठंडे स्पर्श से
तन-मन भिगोने लगी है !
बारिश में बच्चों को भीगना, कागज की नाव बनाकर आसपास के जमे हुए पानी में उनको तैराना बहुत अच्छा लगता है ! आंगन में रिमझिम बरखा बरस रही हो,आपने घर के सब खिड़की, दरवाजे बंद कर दिए हो, ताकि बच्चों के स्कूल के होमवर्क में कोई व्यवधान न पड़े ! किन्तु आंगन में ,
जोरजोरसे बरसती बरखा का शोर बच्चों को बाहर आने के लिए निमंत्रण ही दे रही है ! ऐसे में स्कूल का होमवर्क कैसे होगा भला ? आखिर कर
लाडली बिटिया ने अपनी मम्मी से कह ही दिया ........
ममा छोड़ो होमवर्क कल कर लुंगी
ऐसी रिमझिम जाने फिर कब होगी
छम-छम पानी में खेलूंगी
मुखड़े पर मोती झेलूंगी
भोली-सी नादानी करने दो
मम्मी बारिश में जाने दो !
वैसे भी आजकल के बच्चे हमेशा टी.वी., कंप्यूटर से चिपके रहते है ! आज कुछ बारिश में भीगने का मजा लुटने दीजिये उनको! आसमान में उमड़ते घटाओं को देखकर किसी के भी मन में हिलोर उठना स्वाभाविक है ! छमा-छम बारिश हो,चारोओर खुशगवार नज़ारे हो, ऐसे में हर चीज शराबी सी लगने लगती है !किसी कवि ह्रदय पति का मन भी रूमानी हो गया है ! अपने पत्नी के साथ छतपर बारिश में भीगने का आनंद लेना चाहता है,वह है की घर-गृहस्थी के कामो में उलझी है !
छोड़ो भी काम गृहस्थी के
जैसे भी हो आओ छत पर
देखो तो क्या यौवन उमडा
मेघो वाली अल्हड रुतु पर
जामुनी घटा घिर आई है
पछुआ ने लट बिखराई है
बूंदे तिर आयी नयनों में इन बूंदों की अगवानी मे
हम दोनों साथ भीगे बरखा के पहले पानी में !
ऐसे कविहृदय पति बहुत कम होते है ! इसबार उनकी ओर से ऐसा कोई निवेदन आये तो झट से मान लीजिये ! दूर देश में रहने वाला प्रियतम अपनी प्रेयसी के मन में अपने यादोंकी बहुत सारी सौंधी-सौंधी महक छोड़ गया है ! जो बारिश के इस मौसम में उसकी याद बनकर उमड़ रहे है ! अपने घर की बालकनी में प्रिय के विरह में उदास सी खड़ी बारिश से मन बहलाने की कोशिश कर रही है ! रिमझिम बरसती बूंदों ने, काली -काली घटाओं ने, मदमस्त बहती हवाओं ने उसके मन को बहलाने की खूब कोशीश की पर सब व्यर्थ.......
प्यार से भीगा गगन है
दर्द से भीगा हुआ ये मन है
बरसे बरखा रिमझिम-रिमझिम
आज नयन भी खूब बरसे
रिमझिम-रिमझिम!
बारिश के इस सुहाने मौसम में कविताओं से भीगी हुई यह रचना, किसी के यादों की बारिश बन कर आप सब के अंतर तक को भिगोये बस यही कामना है!
(छोड़ो भी काम गृहस्थी के..... ओशो साहित्य से साभार)
सर्द हवाएँ कुछ यूँ
कहने लगी है
ठंडे-ठंडे स्पर्श से
तन-मन भिगोने लगी है !
बारिश में बच्चों को भीगना, कागज की नाव बनाकर आसपास के जमे हुए पानी में उनको तैराना बहुत अच्छा लगता है ! आंगन में रिमझिम बरखा बरस रही हो,आपने घर के सब खिड़की, दरवाजे बंद कर दिए हो, ताकि बच्चों के स्कूल के होमवर्क में कोई व्यवधान न पड़े ! किन्तु आंगन में ,
जोरजोरसे बरसती बरखा का शोर बच्चों को बाहर आने के लिए निमंत्रण ही दे रही है ! ऐसे में स्कूल का होमवर्क कैसे होगा भला ? आखिर कर
लाडली बिटिया ने अपनी मम्मी से कह ही दिया ........
ममा छोड़ो होमवर्क कल कर लुंगी
ऐसी रिमझिम जाने फिर कब होगी
छम-छम पानी में खेलूंगी
मुखड़े पर मोती झेलूंगी
भोली-सी नादानी करने दो
मम्मी बारिश में जाने दो !
वैसे भी आजकल के बच्चे हमेशा टी.वी., कंप्यूटर से चिपके रहते है ! आज कुछ बारिश में भीगने का मजा लुटने दीजिये उनको! आसमान में उमड़ते घटाओं को देखकर किसी के भी मन में हिलोर उठना स्वाभाविक है ! छमा-छम बारिश हो,चारोओर खुशगवार नज़ारे हो, ऐसे में हर चीज शराबी सी लगने लगती है !किसी कवि ह्रदय पति का मन भी रूमानी हो गया है ! अपने पत्नी के साथ छतपर बारिश में भीगने का आनंद लेना चाहता है,वह है की घर-गृहस्थी के कामो में उलझी है !
छोड़ो भी काम गृहस्थी के
जैसे भी हो आओ छत पर
देखो तो क्या यौवन उमडा
मेघो वाली अल्हड रुतु पर
जामुनी घटा घिर आई है
पछुआ ने लट बिखराई है
बूंदे तिर आयी नयनों में इन बूंदों की अगवानी मे
हम दोनों साथ भीगे बरखा के पहले पानी में !
ऐसे कविहृदय पति बहुत कम होते है ! इसबार उनकी ओर से ऐसा कोई निवेदन आये तो झट से मान लीजिये ! दूर देश में रहने वाला प्रियतम अपनी प्रेयसी के मन में अपने यादोंकी बहुत सारी सौंधी-सौंधी महक छोड़ गया है ! जो बारिश के इस मौसम में उसकी याद बनकर उमड़ रहे है ! अपने घर की बालकनी में प्रिय के विरह में उदास सी खड़ी बारिश से मन बहलाने की कोशिश कर रही है ! रिमझिम बरसती बूंदों ने, काली -काली घटाओं ने, मदमस्त बहती हवाओं ने उसके मन को बहलाने की खूब कोशीश की पर सब व्यर्थ.......
प्यार से भीगा गगन है
दर्द से भीगा हुआ ये मन है
बरसे बरखा रिमझिम-रिमझिम
आज नयन भी खूब बरसे
रिमझिम-रिमझिम!
बारिश के इस सुहाने मौसम में कविताओं से भीगी हुई यह रचना, किसी के यादों की बारिश बन कर आप सब के अंतर तक को भिगोये बस यही कामना है!
(छोड़ो भी काम गृहस्थी के..... ओशो साहित्य से साभार)