रविवार, 14 फ़रवरी 2016

जिंदगी ...

 जिंदगी भी न 
मुझे कभी-कभी
जिद्दी अड़ियल 

छोटे बच्चे
जैसी लगती है !
जब तक उसे
दो चार कविता
कहानियाँ सुना
बहला फुसला
पुचकार न लूँ
तब तक
टस से मस्स
नहीं होती ... !