सोमवार, 14 नवंबर 2016

मौन संगीत ...


ध्यान देकर सुनों तो
सन्नाटे की भी
अपनी जुबान होती है
जो बरसाती मेंढकों की
टर्र-टर्र में गुम हो
जाती है !

ध्यान देकर सुनों तो
शब्द,विचार,भावों से परे
मौन का भी अपना
मुखर संगीत होता है
जो अंतर्लीन
 होता है !

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.11.2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2529 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. मौन का अंतर्नाद! इतना मुखर कि जबतक न साधो, कुछ नहीं सधता!!

    जवाब देंहटाएं
  3. मौन का नाद तो कभी कभी इतना तेज़ होता है की कान फट जाते हैं ... चीख निकल जाती है ... और सन्नाटा भी अक्सर गूंजता है ...

    जवाब देंहटाएं