रविवार, 14 फ़रवरी 2016

जिंदगी ...

 जिंदगी भी न 
मुझे कभी-कभी
जिद्दी अड़ियल 

छोटे बच्चे
जैसी लगती है !
जब तक उसे
दो चार कविता
कहानियाँ सुना
बहला फुसला
पुचकार न लूँ
तब तक
टस से मस्स
नहीं होती ... !

7 टिप्‍पणियां:

  1. कविता और जिंदगी में नाता है ... अनकहा ... अनबूझ ...

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  2. खूब उकेरा इस ज़िन्दगी के इस पहलू को

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  3. बहुत सुंदर सच है जिन्दगी वाकई छोटे बच्चे की तरह होती है .बहुत खूब .

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  4. जिंदगी सचमुच अडियल बिलकुल छोटे बच्चे की तरह।

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  5. बहुत दिन हुए नई, पोस्ट आनी चाहिये अब तो।

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