गुरुवार, 25 जून 2015

उथली सांत्वनाएँ ...


दुःख,
मेरे अपने है
खरे है !
समस्यायेँ
मेरी अपनी है
खरी है !
काम कैसे आयेंगे
समाधान
उथली सांत्वनाएँ
मित्र,
किसी और की    ... !

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर और सटीक...हर व्यक्ति को अपने हिस्से का दुःख खुद ही झेलना पड़ता है. समस्याओं का समाधान खुद निकलना पड़ता है, लोग तो सिर्फ़ सांत्वना ही दे सकते हैं...

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  2. सांत्वना किसी काम की नहीं , अपने अपने दुःख और अपने अपने सुख !

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  3. बहुत उम्दा .....सबका साझा सा दर्द है ये

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  4. सच है। समस्या अपनी, हल भी खुद ही ढूँढना है। फिर भी अक्सर डूबते को तिनके का सहारा काम आ सकता है।

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  5. अपनी समस्यओं का हल खुद ही ढूँढना पड़ता है

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  6. आपकी कविता पढ़कर मन अभिभूत हो गया.......भावपूर्ण अच्छी प्रस्तुति

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  7. सच है..रहीम के बातें सब सुनते और अमल करते तो कितना अच्छा होता.

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