शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

बोन्साई जीवन ...

वन्य पेड़
की ही तरह
जीवन का पेड़ भी
फैलने फूलने की
विराट क्षमता
रखता है लेकिन,
बागवानी के कुछ
शौक़ीन लोग
ठीक ढंग से
कटाई, छंटाई कर
देखने में
सुन्दर,आकर्षक
बोन्साई बना
देते है उसे  … !

11 टिप्‍पणियां:

  1. जी ये भी एक सच है ..काट छांट शार्ट कट बहुत कुछ तो आज दिख रहा है ..सुन्दर
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  2. हाँ दुखदायी है , कष्टदायक है !

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  3. भगिनी सुमन! यदि कटाई छँटाई कर बोंसाई बना दिया जाता तो कोई दु:ख नहीं होता. बोनसाई तो मूलत: किसी भी पौधे के प्राकृतिक विकास को रोककर उसे बौना बना दिया जाना है. लोग उसपर पैसा ख़र्च करते हैं और ड्राइंग रूम में सजाते हैं.
    ऐसा लगता है किसी स्वस्थ बच्चे को बढने की उम्र में विकलांग बनाकर भीख माम्गने बिठा दिया गया हो. जब पहली बार मैंने वट वृक्ष का बोनसाई देखा तो आँखें भर आई थीं!
    बहुत ही कोमल विषय है भगिनी!!

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  4. और यह भारतीय ग्रामीण महिलाओं को जीवन को भी चित्रित करता है. सुन्दर रचना.

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  5. बहुत सुन्दर। बॉनसाई फिर भी प्रसन्न है। संक्षिप्त हो जाना, विलुप्त होने से कहीं बेहतर है।

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  6. एक कडुआ सच है ... अगर खुद को ही काटो तो कोई बात नहीं ... मगर दूसरों को, ख़ास कर बच्चों को अपनी इच्छा के लिए बोनसाई बना कर रख देते हैं हम ... बहुत ही अच्छा बिम्ब संयोजन है ..

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  7. बोन्साई... सच ही तो है । बच्चों के प्राकृतिक विकास को हमारी आकांक्षाओं के अनुरूप छांट कर रोक ही तो देते हैं हम सब ।

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