मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

"हैप्पी वैलेंटाइन डे"




मनुष्य के लिए प्रेम प्रकृति का दिया हुआ खुबसूरत वरदान है ! अनेकों ने अनेक रीतियों से प्रेम को परिभाषित किया है ! मीरा के लिए प्रेम है ...."सूली ऊपर सेज पिया की, किस विधि मिलना होय " तो महादेवी जी के लिए ..."विस्तृत नभ का कोना-कोना मेरा न कभी अपना होना, परिचय इतना " ! रविन्द्र नाथ टैगोर के उपन्यास की नायिका  अपने प्रियतम से कहती है .....हम विवाह तभी करेंगे जब दोनों के बीच स्वतंत्रता का भाव हो मै तैयार हूँ विवाह करने के लिए लेकिन तुम झील के उस पार रहो ...मै झील के इस पार रहूंगी ...बोलो मंजूर है ? ओशो जब प्रेम की व्याख्या करते है तो ओहो समझाना कठिन हो जाता है  ..फिर भी चंद शब्दों में कहूँ तो प्रेम के तीन प्रकार उन्होंने बताये है ! पहला प्रेम है "फालिंग इन लव, याने प्रेम में गिरना ! दूसरा प्रेम है ..."बीइंग इन लव, याने प्रेम में होना " ! तीसरे प्रकार का प्रेम है "बीइंग लव, याने प्रेम ही होना"! पहला प्रेम मनुष्य का मनुष्य से, दूसरा प्रकृति से , तीसरा प्रेम है समस्त अस्तित्व के प्रति ! फूल यदि लौकिक प्रेम है तो उसकी सुगंध अलौकिक प्रेम है ...लेकिन रास्ता तो पहले प्रेम से ही तय किया जा सकता है तीसरे तक ! लिओ टॉलस्टॉय अपनी "वार एण्ड पीस" में बताते है कि, आपको अगर सच्चे प्रेम की तलाश है तो आपमें रिश्तों को समझने की गहरी समझ होनी चाहिए तभी आप साथ रहने का फैसला कर सकते है ताकि, दोनों में एक दूसरे के प्रति सम्मान और आदर का भाव बराबरी का होगा ! प्रेम की तमाम बारीकियों को यदि बताने लग जाय तो विश्व साहित्य बनेगा इसलिए केवल संक्षिप्त परिचय दिया है अनावश्यक पोस्ट लंबी हो जाएगी इसलिए ...! सबके के लिए प्रेम की परिभाषा अलग-अलग हो सकती है लेकिन प्रेम तमाम परिभाषाओं के परे है ...मार्ग प्रेम का सदा से कठिन रहा है और रहेगा क्योंकि, शादी का रिश्ता समाज द्वारा परिवार द्वारा बना बनाया मार्ग है लेकिन प्रेम हमारी व्यक्तिगत पसंद है कठिन तो होगा ही इस मार्ग पर चलना ....परिवार, समाज के कायदे कानून के विरुद्ध जो है ! परिवार द्वारा चुना हुआ शादी का रिश्ता एक प्रकार से समझौता है और जहाँ समझौता हो वहां प्रेम मुश्किल है ! प्रेम का मार्ग हमेशा नया, अनोखा एवरेस्ट पर चढ़ने जैसा है परेशानियाँ भी है थ्रील भी है अगर शादी और प्रेम इन दोनों में कोई मुझे एक चुनने को कहे तो मै प्रेम को ही चुनुंगी ...पहले प्रेम फिर शादी !

आज चारो और हर क्षेत्र में बदलाव आया है, प्यार भी इन बदलाओं से अछूता नहीं है ! इंटरनेट के इस युग में नई पीढ़ी के लिए प्रेम भी इन्स्टंट फुड,कॉफी की तरह तुरत-फुरत वाला हो गया है ! नई पीढ़ी के लिए प्रेम पहले की तुलना में ज्यादा प्रैक्टिकल हुआ है ! नई पीढ़ी बहुत जल्दबाजी में है सब कुछ जल्द से जल्द हासिल करना चाहती है ! उनके लिए प्यार लैला-मजनू, हीर-रांझा वाले स्टाइल का बिलकुल  नहीं है उनके लिए प्रेम भी जितना दोगे उतना पाओगे वाले सिद्धांत पर चलता है "गिव एण्ड टेक" वाला है ! पढ़ लिखकर, आर्थिक दृष्टी से आत्मनिर्भर बनी आज की पीढ़ी बिंदास जीवन को जीना चाहती है ....हर बात उनके लिए बेफिक्री की हो गई है शायद यही कारण रहा हो प्यार भी इनके लिए गंभीर बात नहीं रही है ! कुछ लोगों को खास कर पुरानी पीढ़ी को इनका रवैय्या अखर सकता है रुखा-रुखा सा  लग सकता है ! जो भी हो इन दिनों हमारे चारो और बहुत बड़ा बदलाव आया हुआ है इस बदलाव को मन से स्वीकारने के सिवा और कोई रास्ता भी नहीं है ! 

इन दिनों बाजारों में भी खासी रौनक दिखाई दे रही है दुकानों में फूलों के गुलदस्ते, गिफ्ट्स, गुलाब के फूल ही फूल ...फूलों की महक मुहब्बत करने वालों को अपनी और आकर्षित कर रही है क्यों न हो भई प्यार का मौसम जो लगा है ! इस दिन को प्रेम दिवस कहे या वैलेंटाइन डे क्या फर्क पड़ता है प्रेमियों के लिए प्रेम चाहत भी है और जरुरत भी ...हमें विरोध नहीं सम्मान तो करना ही होगा ! आप भी अपने चाहने वाले / वाली को एक प्यारा सा लाल गुलाब देकर अपने प्यार का इजहार कीजिये सच कहती हूँ ...दिल की जिन बातों को शब्द बयाँ नहीं कर पाते उसे यह लाल गुलाब कर देता है ! अरे हाँ जाते-जाते मेरी पसंद का यह गीत भी सुनकर जाइये आपको निश्चित पसंद आएगा ! सभी मित्रों को वैलेंटाइन डे" की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ...!



21 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम सद्भाव बना रहे..... शुभकामनायें आपको भी

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  2. सामयिक और सकारात्मक लेख
    शुभकामनाएं...

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  3. सुन्दर आलेख।

    रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
    प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना साप्यार रा ये संसार है

    प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए है सभी
    प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

    प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
    प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है

    प्यार से अपना जीवन सभारों जरा ,प्यार से रहकर हर पल गुजारो जरा
    प्यार से मंजिल पाना है मुश्किल नहीं , इन बातों से बिलकुल न इंकार है

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  4. बहुत प्यारी पोस्ट लिखी है सुमन जी...
    "being love" is the best philosophy....like it!!!

    happy valentines day to u too....
    <3

    anu

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  5. सामायिक सार्थक सुंदर आलेख,,,,शुभकामनाए,,,,

    RECENT POST... नवगीत,

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  6. आपकी पोस्ट 14 - 02- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें ।

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  7. बहुत ही सुन्दर सार्थक लेख.
    मेरे ब्लोग्स संकलक (ब्लॉग कलश) पर आपका स्वागत है,आपका परामर्श चाहिए.
    "ब्लॉग कलश"

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  8. फूल यदि लौकिक प्रेम है तो उसकी सुगंध अलौकिक प्रेम है

    बहुत सार्थक सुंदर आलेख ...सुमन जी ॥

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  9. भला प्यार के लिये एक दिन मुकरर क्यों? प्यार तो नित्य है.

    पर आजकल प्यार प्यार ना होकर इंस्टेंट काफ़ी हो गया है जिसे साल में एक दिन बेलन टाईन वाले दिन ही पाया जा सकता है.:)

    रामराम.

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  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  11. प्रेम सदा के लिए होता है ओर वैसा ही बना रहे चाहे जिस भी रूप में ....

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