बुधवार, 19 दिसंबर 2012

मानवता यूँ ही शर्मसार होती रहेगी ....


हमने सुना है कि,
वासना अंधी और 
कुरूप होती है 
और इसका ताजा उदाहरण 
हम देख भी रहे है 
सामूहिक बलात्कार काण्ड 
दिल्ली में जो हुआ 
इस घटना से 
मानवता जैसे 
शर्म से पानी-पानी 
हो गई है !
जवान बेटियों के 
माता-पिताओं को 
इस घटना ने 
अन्दर तक 
हिला कर रख दिया है ...
मानवता से विश्वास 
उठने लगा है ..
लडकियां घर से 
बाहर निकलने को 
डरने लगी है असुरक्षित 
महसूस करने लगी है 
खुद को,
सबके मन में 
यक्ष प्रश्न प्रताड़ित करते 
क्या होगा उस पीड़ित 
लड़की का ?
क्या वह बच पाएगी ?
अगर बच भी गई तो 
शारीरिक मानसिक पीड़ा से 
कभी उभर पायेगी ?
स्वस्थ जीवन जी पायेगी कभी ?
गली से लेकर संसद तक 
कई सवाल उठने लगे है 
अपराधियों के 
सजा को लेकर 
उन दरिंदों के साथ कैसा 
सलूक किया जाए ?
कैसी सजा दी जाए ?
लेकिन 
मेरा असली सवाल 
सारी मानव जाती से, 
आदमी को 
इंसान कैसे बनाया जाए ?
अन्यथा मानवता 
यूँ ही 
शर्मसार होती रहेगी 
बार-बार लगातार .....

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति बधाई फाँसी :पूर्ण समाधान नहीं

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  2. वे आदमी नहीं थे, जानवर थे, अफ़सोस यह है कि हम लोग जानवरों के मध्य रहते हैं ! ५ या ६ जानवरों ने उस बच्ची को नोचा और यह सब अलग अलग मानव परिवारों से सम्बंधित थे ! उन परिवारों में लडकियां अवश्य रही होंगी ...
    क्या यह जानवर हर जगह नहीं जो मानवों और हमारे मित्रों के रूप में हर जगह देखे जाते है सिर्फ उन्हें मौके नहीं मिल पाते ??

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  3. is samaz ka ghinanuna roop hai ye....shayad ye bhool jaate hain ki inhen iss sansaar mein laane wali nari hi hai .....

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