गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

"जोरबा-बुद्ध"



कभी हमने काल्पनिक मनुष्य सुपर मैन की कल्पना की थी ! उसी मनुष्य को महर्षि अरविंद कहते है अतिमानव, ओशो कहते है जोरबा बुद्ध !
जोरबा बुद्ध एक ऐसा मनुष्य जो न किसी जाती का होगा,.. न  किसी धर्म का होगा ! जोरबा बुद्ध केवल एक मनुष्य होगा.... उसकी भावनाएं हार्दिक होगी !
वो पृथ्वी को घर, आकाश को छत बनाएगा ! जीवन का आनंद मनायेगा, नाचेगा गायेगा , मृत्यु का उत्सव मनायेगा ! वह बाहर से धनवान भीतर से ध्यानवान होगा ! जोरबा बुद्ध हर दृष्टी से समृद्ध होगा, संपुर्ण होगा ! बुद्ध के बिना जोरबा अधुरा होगा, और जोरबा के बिना बुद्ध अधुरा होगा ! जोरबा बुद्ध के आने से  पृथ्वी का भविष्य सुनहरा होगा ! हवाओं में सुगबुग हो रही है उसके आने की .....!! 

9 टिप्‍पणियां:

  1. अहा!!!
    सुख की आमद ??
    स्वागत है.........

    सादर
    अनु

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  2. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार ...
      आपने नए पन का स्वागत किया है वर्ना मै तो डर रही थी :)

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  3. नवल... प्रज्ञ.....आध्यात्मिक ...मार्गदर्शित करता हुआ ...
    आभार ॥

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  4. बढिया, मुझे कुछ नई जानकारी मिली
    आभार


    मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए नया लेख
    http://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html

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  5. काश जोरबा बुद्ध दिखें ....
    शुभकामनायें !

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    उत्तर
    1. वो हम ही है
      या हम हो सकते है
      वो है हमारे नृत्य में
      करो तो जानो !
      वो है हमारे गीतों में
      गाओ तो जानों !
      वो है हमारी ह्रदय की
      धडकनों में,सांस-सांस में
      महसूस तो करो !
      वो है हमारी ध्यान की
      गहराइयों में
      मौन वहन करो !
      जोरबा बुद्ध उद्घोषणा है
      अभिनव मनुष्य के
      जन्म का !
      वो कोई प्राणी नहीं है
      मंगल ग्रह का !

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  6. जाति और धर्म हमारे ही बनाए हुए हैं। धर्म जिस आनंद के लिए था,उसमें हम उतर नहीं पाए। ज़ाहिर है,हमें नया धर्म चाहिए जिसमें प्रतिपल जीवन का उत्स हो। ऐसे धर्म का रास्ता भीतर की ओर जाता है। वहीं हमारा बुद्ध उनींदी अवस्था में है। उसी का जगना हवाओं में सुगबुगाहट और भविष्य के सुनहरेपन का प्रतीक है।

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