शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

अफवाह ने की है नींद हराम.....

"सो जाओगे तो मर जाओगे" ....यह मै नहीं कह रही हूँ अख़बार की दिलचस्प खबर कह रही है ! दरअसल सो जाओगे तो मर जाओगे वाली अफवाह ने लोगों की नींद हराम की हुई है ! जितनी जुबानी उतनी बाते उतनी ही कहानियाँ ! सेलफोन के जरिये लोग बिना सोच विचार किये इस अफवाह को एक दुसरे तक पहुंचा रहे है ! महाराष्ट्र के जिले अहमदनगर,लातूर,बीड, परभनी आदि शहरों में लगभग रात के बारह बजे के आस पास लोग एक दुसरे को फोन पर यह सुचना दे रहे है कि, भूकंम्प आने वाला है ! लोग दुसरे शहरों में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को फ़ोन कर रहे है ! इस तरह खुद जग रहे है और दूसरों को जगा रहे है ! अचानक किसी ने यह अफवाह फैलाई कि, एक प्रसूति गृह में एक नवजात बालिका ने कहा क़ी जो आज रात सोयेगा वह मर जायेगा ! यह अफवाह फैलते -फैलते हमारे शहर हैदराबाद तक पहुँच गई है ! यहा कुछ जगहों पर जगराता वाला माहोल है ! महाराष्ट्र में रहने वाली मेरी दोस्त ने मुझे कल रात फोन किया ! सारी बाते सुनने के बाद मैंने कहा कि,...इन बेकार क़ी अफवाओं पर ध्यान मत दे ! भूकंम्प से मरोगे क़ी नहीं यह मुझे पता नहीं पर बिना नींद के जरुर मरोगी मैंने कुछ नाराजगी से कहा ! लेकिन ये अफवाहे कौन फैला रहा होगा उसने कुछ चिंतित स्वर में कहा ...! अब ये तो कोई लाल बुझक्कड़ ही बता सकता है...मैंने खीजते हुये कहा ! क्यों बेतुका सा जवाब दे रही हो उसने कहा ! बेतुके सवाल के बेतुका ही जवाब होगा ना मैंने कहा .... लाल बुझक्कड़ कौन है ? उसने मासुम-सा सवाल किया ! फालतु के सवाल मत कर फ़ोन रख दे मुझे नींद आ रही मैंने उनींदी आँखों से जम्हाई लेते हुये कहा और फोन रख दिया ! जानती हूँ उसको दुःख हुआ होगा लेकिन मै भी क्या करूँ इतनी पढ़ी लिखी होकर बेकार क़ी अफवाओं पर विश्वास करती है ! पता नहीं कौनसे शताब्दी में रहते है लोग ! आपके मन में भी रोचकता जगी होगी न कि, यह लाल बुझक्कड़ कौन है ? क्यों न मै उसका एक किस्सा ही सुनाउ आपको, आईये सुनते है ...लाल बुझक्कड़ शर्लक होम्स से कम थोड़े ही है (ऐसा मै नहीं खुद लाल बुझक्कड़ का  और उन गांववालों का मानना है ) किस्सा कुछ यूँ हुआ था एक बार उस गांव में चोरी हो गई ! बहुत लोगों ने खोजबीन क़ी पर चोर का पता नहीं चला ! पुलिस आई पर उनको भी कुछ पता नहीं चला चोर का ! आखिर गांव वालों ने पुलिस इन्स्पेक्टर से कहा कि,"हमारे गांव में लाल बुझक्कड़ रहता है वो हर मसले को चुटकियों में बुझ देता है "! बहुत पहुंचे हुये ज्ञानी है हमारे लाल बुझक्कड़ ....एक दफा ऐसा हुआ कि ,गांव से हाथी नीकल गया था ! (गांव वालों ने हाथी देखा हुआ नहीं था कभी ) रात हाथी गांव से निकला और सुबह उसके पैरों के निशान दिखाई दिए ! सारे गांव में चिंता की लहर फैल गई कि .किसके पैर के निशान हो सकते है इतने बड़े बड़े ? पैर के निशान इतने बड़े है तो फिर वो जानवर कितना बड़ा होगा ? फिर लाल बुझक्कड़ ने सुझा दिया कि, घबराने क़ी बात नहीं है ....सीधी सी बात है जरुर हरिण रहा होगा ! उस हरिण ने ही अपने पैरों में चक्की बांध कर उछला होगा ! इस प्रकार लाल बुझक्कड़ ने मसले का हल कर दिया, कहकर गांव वालों ने पुलिस इन्स्पेक्टर को बता दिया ! इन्स्पेक्टर ने कहा यह भी ठीक है चलो देखते है शायद लाल बुझक्कड़ चोर का पता बता दे पूछते है ! लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया ! उसने कहा चोर के बारे में बता तो सकता हूँ पर सबके सामने नहीं बताऊंगा ! क्योंकि मै कोई झंझट मोल नहीं लेना चाहता ! चलिए किसी एकांत स्थान पर चलते है वही बताऊंगा पर, कसम खाओ क़ि, किसी को बताओगे तो नहीं ? "पुलिस इन्स्पेक्टर ने स्वीकृति दी क़ि किसी को नहीं बताऊंगा कसम खाता हूँ मगर तुम बता तो दो भैय्या "! पुलिस इन्स्पेक्टर को लेकर लाल बुझक्कड़ बहुत दूर जंगल में ले गया ! बहुत दूर जाने के बाद  इन्स्पेक्टर ने कहा ..."अब तो बता दो यहाँ तो कोई भी नहीं है पशु पक्षी तक नहीं है सुनने को " तब लाल बुझक्कड़ ने इन्स्पेक्टर के कान में फुसफुसाकर कहा क़ि, मुझे पक्का यकीन है देखो किसीको कहना मत चोरी किसी चोर ने क़ी है !

4 टिप्‍पणियां:

  1. काना फूसी से रहा, कानपूर हलकान |
    विगत वर्ष फैली यहाँ, इक अफवाह समान |
    इक अफवाह समान, अवध पूरा घबराया |
    शुभ चिन्तक की काल, काल से दिल घबराया |
    जागे सारी रात, रपट चोरी ना थाना |
    सोया घोड़ा बेच, पाय ना चोर ठिकाना ||

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (26-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  3. मजेदार बात तो ये है कि लोग अफवाह की चर्चा भी करते हैं और कहते है ये अफवाह है। भाई अफवाह है तो उस पर बात करने का मतलब क्या है..
    बढिया लेख...

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  4. मेरा विचार है कि अशिक्षा और अविकसित बुद्धि जिम्मेवार है ! आज भी हम भीड़ मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाए हैं नतीजा विश्व में हमारा अक्सर मजाक उड़ता है !आज भी हम आँख बंद कर मानने को तैयार है अगर कहीं उसको लिखा हुआ दिखा दें !
    भीड़ का पार्ट होना बंद कर अपना मन टटोलना चाहिए !
    आभार एक सामायिक एवं आवश्यक लेख के लिए !

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