शिक्षा मन पर
भार नहीं
अहंकार का
बोझ न हो
अहंकार का
बोझ न हो
चाहिए थी
एक ऐसी ही
पाठशाला मुझको
खेल-खेल में
समझाये सबको
मित्रों,
मित्रों,
जीवन भी एक
खेल ही है
कोई गोल करता है
कोई आउट होता है
ऐसा क्यों होता है ?
वैसा क्यों होता है ?
बेमानी सब तर्क है
जीवन कोई गणित
है क्या ?
जिसे तर्कों से
हल किया जा सके
बिना प्रतिस्पर्धा के
हार-जीत के बिना
जीवन एक खेल
है खिलाडियों का
जिसमे दो और दो
चार नहीं
भी होते है …
गजब शब्दावली-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरेया-
एक एक ग्यारह भले, तिकड़म दो दो पाँच |
जीवन भर संघर्ष कर, टेढ़े आँगन नाँच | |
बहुत बहुत आभार कविवर !
जवाब देंहटाएंशिक्षा की सार्थकता है भी तभी.....
जवाब देंहटाएंजीवन है एक खेल...कोई पास कोई फेल...
जवाब देंहटाएंअब दो और दो पाँच भला किसे पता :-)
सादर
अनु
जिसे तर्कों से
जवाब देंहटाएंहल किया जा सके
बिना प्रतिस्पर्धा के
हार-जीत के बिना
जीवन एक खेल
है खिलाडियों का
जिसमे दो और दो
चार नहीं
दो और दो पांच
भी होते है …
जीवन की सही व्याख्या की है आपने.
रामराम.
शिक्षा मन पर
जवाब देंहटाएंभार नहीं
अहंकार का
ब़ोझ न हो
चाहिए थी
सही कही... सही माएने में शिक्षित को अहंकार नहीं होना चाहिए....
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जवाब देंहटाएंचाहिए थी
जवाब देंहटाएंएक ऐसी ही
पाठशाला मुझको
खेल-खेल में
समझाये सबको
...
जीवन की डोर हाथ से कब छुट जाए किसी को नहीं पता मगर हम सब लोग इसे याद नहीं रखना चाहते , हँसते खेलते यह गिने चुने दिन कट जाएँ , तभी शुभ माना जाए !
मंगल कामनाएं आपको !
'दो और दो पांच' हार्दिकता को दिखाता है। जीवन कोई गणित है नहीं, उसमें तो हृदय से सोचना पढता है। इन्हीं भावों का प्रकटिकरण करती सार्थक कविता।
जवाब देंहटाएंसुमन,सच बहुत ही बढिया जीवन दर्शन समझाया ।
जवाब देंहटाएंऔर हार जीत की चिंता किए बगैर यह खेल खेलने
जवाब देंहटाएंका मजा ही कुछ और होता है
सादर !
जीवन के गणित को सीधे से हल नहीं कर सकते ... बहुत सी पेच होते हैं ...
जवाब देंहटाएंइसको खेलना ही होता है ...