सनातन शाश्वत गीत
हृदय के तारों पर
वही तो गाता है
सेकडों कंठों को
अपना उपकरण बनाकर !
जिसमें से कोई एक कंठ
किसी के
सोए पड़े तारों को
झनझना कर जगाता है !
हृदय के तारों पर
गीत वही तो गाता है !
करोड़ों लोग यूँही
ईश्वर की प्रार्थना
नहीं करते !
प्रार्थना शायद हमें
मनवांछित परिणाम
देती है !
प्रार्थना शायद हमें
थोड़ा सा सुकून देती है !
किंतु,
जिन तथ्यों को जैसी है वैसी ही
स्वीकार करने की बजाय
उन तथ्यों से,अपने आप से
प्रार्थना के माध्यम से
क्या हम
पलायन नहीं करते ?
एक सुविधाजनक पलायन !