बुधवार, 27 मई 2015

वाह रे रिश्तेदार ...

जिंदगी भर
जिनकी पीठ पीछे
बुराई करने वाले
आज अचानक
शवयात्रा में उनकी
अच्छाईयों की चर्चा
कर रहे थे बार-बार
वाह रे रिश्तेदार !
इसे ही कहते है
जीवित का निरादर
मुरदे का सम्मान … !