सोमवार, 21 जुलाई 2014

बदलाव प्रकृति का नियम है …

जीवन में हर चीज बदल रही है !
नाजुक चीजे कुछ ज्यादा ही,
प्रेम उतनाही नाजुक है 
जितना की गुलाब का फूल !
लेकिन गुलाब जितना नाजुक 
उतना ही आँधी,वर्षा, तेज धूप 
के विरुद्ध शक्तिशाली,संघर्षरत !
जो सुबह-सुबह सूरज की 
सुनहरी किरणों के साथ 
खिलता खिलखिलाता है !
हवा की सरसराती तालपर 
झूमता,डोलता, नाचता  है !
और साँझ होते ही मुरझाने 
लगता है    … 
बदलाव प्रकृति का नियम है !
चीजों को बदलकर नित नविन 
शक्ल में ढाल देती है प्रकृति !
इस प्राकृतिक प्रक्रिया से
प्रेम भी अछूता नहीं होता !
परिस्थितियों की आँधियों 
और वक्त की तेज धूप से 
वो भी मुरझाने लगता है 
बिलकुल इसी गुलाब की 
तरह   … 


www.youtube.com/watch?v=4nnJDMmjmxU

शुक्रवार, 11 जुलाई 2014

शत-शत नमन करे …

ओशो ने कभी 
न गीत लिखे 
न लिखी कभी 
कोई कविता 
लेकिन उनके 
एक-एक प्रवचन 
किसी गीत किसी 
कविता से कम नहीं 
वे स्वयं में गीत है 
कविता है 
अगर उसका एक 
छंद भी 
ढंग से हमारे दिल को 
छू ले तो परिवर्तन 
निश्चित है    …। 

   ****

जीवन की रिक्त 
    पाटी पर 
जिसने पूनम 
    बन कर 
इंद्रधनुषी शाश्वत 
     रंग भरे 
आओ,आज उस  
   सद्गुरु के 
    चरणों में 
शत-शत नमन 
      करे     .... !!

गुरुवार, 3 जुलाई 2014

जाने का उत्सव भी मनायें …

यदि,
जन्मदिन एक उत्सव है तो 
मृत्यु दिन का मातम क्यों ? 
उत्सव क्यों नहीं हम मनाते 
सोच कर देखा जाय तो 
न हम जन्म लेते है 
न हम कभी मरते है !
दरअसल हम एक ग्रह से 
दूसरे ग्रह पर केवल 
विजिट वीजा पर 
आते-जाते रहते है !
और इस आने जाने के 
बीच में हम हमारे 
नाम,धाम,जाती,धर्म 
उससे जुड़े सुख-दुःख 
उससे जुडी समस्याओं 
में फंस कर 
शब्द,विचार,शास्त्र,
सिद्धांतो के चक्कर में 
पड कर  
यह भूल ही जाते है 
कि तिथि के अनुसार 
हम पृथ्वी ग्रह पर
विजिट करने आये थे 
तो एक दिन जाना 
भी पड़ेगा  !
यदि आने का उत्सव 
मनाया है तो, क्यों न 
जाने का उत्सव भी 
हंसी ख़ुशी से मनायें 
क्योंकि,
और भी विजिटर्स 
लाईन में खड़े है यहाँ 
आने के लिये   .... !!