सोमवार, 26 अगस्त 2013

गाओ इसलिए कि जीवन है गीत … !

जो गीत 
हम गा रहे है 
वही तो गा रहे है 
ये पेड़,ये पौधे 
ये पंछी,ये निर्झर 
निष्प्रयोजन 
किसी खास 
लौकिक प्रयोजन 
के लिए नहीं, 
सृजन 
अपने आप में 
आनंद है ख़ुशी है 
अपने होने का 
प्रकृति के प्रति 
धन्यता का 
काव्यमय जीवन
प्रकृति का सुन्दर 
वरदान है हमारे लिए 
यही प्रयोजन भी,
गाओ इसलिए कि
कर्म है गीत 
गाओ इसलिए कि 
धर्म है गीत 
गाओ इसलिए कि 
प्रेम है गीत 
गाओ इसलिए कि 
अहोभाव है गीत
गाओ इसलिए कि 
जीवन है गीत  …. !!

रविवार, 18 अगस्त 2013

जीवन क्या है ? चाय की प्याली !

सुबह कभी अख़बार देर से आता है तो कुछ लोग बड़े परेशान, बेचैन हो जाते है ! सुबह का अख़बार और सुबह की चाय इन दोनों का हमारे जीवन में बडा गहरा नाता बन गया है इनके बिना लगता है जिंदगी अधूरी और फीकी-फीकी सी है ! फिर राजनितिक मुद्दों पर बहस, चर्चाये व्यर्थ की बकवास करने में सुहानी सुबह उनके हिसाब से तभी सार्थक हो जाती  है !

आपको पता है झेन गुरु सुबह की चाय भी मजे से ध्यान में पीते है उनके लिए चाय भी महज चाय नहीं है, बहुत महत्वपूर्ण बात है ! एक ऐसे ही झेन गुरु सुबह की अपनी चाय पी रहे थे इतने में एक आगंतुक ने उनसे पूछा, जीवन क्या है ? लगता है आने वाला कोई बहुत बड़ा विचारक रहा होगा, गुरु ने कहा   … "चाय की प्याली" आगंतुक को बड़ा आश्चर्य हुआ यह कैसा जवाब है ? चाय की प्याली ! उसने कहा मैंने बहुत सारी किताबे पढ़ी पर ऐसा जवाब कही नहीं मिला यह भी कोई बात हुई भला ? मै आपके इस जवाब से राजी नहीं हो सकता ! गुरु ने कहा, तुम्हारी मर्जी राजी हो या मत होना ! जीवन की प्याली को चाहे चाय की प्याली कहो, अथवा चाय की प्याली मत कहो क्या फर्क पड़ता है !जीवन विराट है और हमारी बुद्धि जीवन की अपेक्षा में बहुत ही छोटी है ! एक नहीं दो नहीं यक्ष सवाल हमारे दिमाग में रोज मचलते रहते है और जवाब एक भी सटीक नहीं मिलता ! तब हम कुछ जवाब रट लेते है और समझते है कि, 
जवाब सटीक दिए है, नतीजा ? जिवंत सवाल और मुर्दा जवाब ! 

जीवन की सार्थकता सवालों को सुलझाने में नहीं पल-पल जीवन के अनुभव से गुजरने में है,हंसी,ख़ुशी से जीने में है, सबके साथ इस अनुभव को बांटने में है ! अनुभव भरी अभिव्यक्ति पर कभी कूड़ा, कचरा कहकर निंदित मत करो जो अपने विचारों का सम्मान करता है वही दूसरों के विचारों का सम्मान कर सकता है !सम्मान और अहंकार बहुत भिन्न बाते है स्मरण रहे ! 

जीवन यदि कोई सवाल होता तो हमने अब तक इसका जवाब दर्शन शास्त्र में खोज लिया होता ! जीवन को जब तक जियेंगे नहीं जानेगे कैसे कि, क्या है ? फिर कैसे सवाल कैसे जवाब, जीवन न सवाल है न जवाब है मेरे हिसाब से रोज एक नये अनुभव से गुजरने का नाम जीवन है !

सोमवार, 12 अगस्त 2013

ऐलिस इन वंडरलैंड ….

 ऐलिस भाग रही थी परियों के देश जाने के लिए ! जहाँ कल्पवृक्ष होगा, खाने को बहुत सारे पकवान,मिठाइयाँ,बहुत से प्रकार के फल जो कभी उसने सपने में भी देखे नहीं थे,मीठे पानी के झरने आहा स्वर्ग सा आनंद क्या कुछ नहीं मिलेगा वहां ? वह भागती गई भागती गई आखिर परियों के देश पहुच गई  … उसने देखा दूर कल्पवृक्ष की छाया में परियों की रानी खड़ी मुस्कुरा रही है और उसे पास आने के लिए इशारा कर रही है ! उसने अपने आस पास देखा कितना सुन्दर है परियों का देश बिलकुल मेरे देश से अलग,वह सब है यहाँ जिसकी उसने कभी कल्पना की थी ! इसीलिए तो जमीन से स्वर्ग तक आने के लिए बड़े प्रयास किये है ! सूरज उग रहा था वह परियों की रानी की दिशा में भागने लगी, सुबह से दोपहर हो गई भागते-भागते उसने खड़े होकर देखा अभी भी रानी और उसके बीच में उतने का उतना ही फासला है !भूखी प्यासी ऐलिस थक गई थी उसने जोर जोर से चिल्लाकर रानी परी से कहा "मै थक गई हूँ भागते-भागते लेकिन अभी तक तुम तक पहुँच नहीं पायी क्या बात है रानी परी "? 

रानी परी ने कहा,सोचो मत, जो सोचता है फिर वह दौड़ नहीं पाता इसलिए सोच म़त बस दौड़ती चलो घबराओ मत, दौड़ो जरुर पहुँच जाओगी ! ऐलिस फिर से दौड़ने लगी सूरज ढलने लगा साँझ से रात होने लगी दौड़ते-दौड़ते उसने फिर चिल्लाकर पूछा रानी परी से "रानी परी यह कैसी समस्या है दौड़ते दौड़ते थक गई हूँ अब तो साँझ से रात भी होने लगी है फिर भी तेरे मेरे बीच फासला ज्यों का त्यों बना हुआ है ! रास्ता अभी भी उतने का उतना ही पार करना है !यह मामला क्या है ? यह कैसी तुम्हारी दुनिया है जहाँ कितना ही कोई दौड़े रास्ता कभी ख़तम ही नहीं होता ? रानी परी ऐलिस की बाते सुनकर हंसने लगी, उसने कहा पागल लड़की किसी भी दुनिया में कोई कितना भी दौड़े कहीं नहीं पहुंचता ! कोई भी रास्ता कभी पूरा नहीं होता, जो भी पाना था  उसके पीछे दौड़ते दौड़ते एक दिन खड़े होकर देखोगी तो फासला उतना ही रहेगा जहाँ से शुरू किया था !

आज मै भी इस वंडरलैंड की ऐलिस बन गई हूँ ! शब्दों के पीछे दौड़ते दौड़ते थकान सी महसूस होने लगी है ! रुकने का मतलब है फिर से कोई तनाव पाल लेना ! दौड़ने का मतलब है बहुत सारा तनाव पाल लेना ! तय नहीं कर पा रहीं हूँ कि क्या करू ? यह कैसी दुनिया है फंतासियों की ? यह कैसा शब्दों का जादुई सम्मोहन है जिससे दूर रहा नहीं जाता !क्या जिंदगी के बासीपन से दूर रखने के लिए हमेशा इसी प्रकार से खुद को गतिमान रखे ? नकारात्मक उर्जा के पनपने के डर से,साफ सुथरे विचारों की अभिव्यक्ति कर ,सकारात्मक उर्जा स्त्रोत से जुड़े रहे ? क्या करे, कोई समाधान है ? क्या  इस ऐलिस के लिए इस वंडरलैंड के किसी रानी परी के पास इन सब प्रश्नों का कोई सटीक जवाब है   …. ??




बुधवार, 7 अगस्त 2013

मौसमी फूल …

कुछ फूल 
मौसमी होते है 
जो विशेष मौसम 
में ही पौधों पर  
खिलते है 
अपने रूप,रंग,
गंध से माली को 
ही नहीं, भौरों,
तितलियों को 
आते-जाते राह 
पथिकों को अपने 
सौन्दर्य से पल भर 
आवाक कर 
देते है  … !
कुछ फूल पौधों पर 
सदाबहार खिलते है 
अपनी विशेष 
खुशबु से भौरों,
तितलियों को 
आकर्षित तो करते 
ही है लेकिन 
आस पास के 
सारे परिसर को 
प्रदूषण मुक्त भी  
रखते  है  … !
इन,
मौसमी फूलों का 
पौधों पर खिलना 
सदाबहार फूलों का 
सदाबहार होना 
क्या इसे प्रकृति की 
भूल माने या की 
चमत्कार  …. ??

गुरुवार, 1 अगस्त 2013

"दो और दो पांच"

शिक्षा मन पर 
भार नहीं
अहंकार का
बोझ न हो 
चाहिए थी 
एक ऐसी ही 
पाठशाला मुझको 
खेल-खेल में 
समझाये सबको
मित्रों, 
जीवन भी एक 
खेल ही है 
कोई गोल करता है 
कोई आउट होता है 
ऐसा क्यों होता है ?
वैसा क्यों होता है ?
बेमानी सब तर्क है 
जीवन कोई गणित
है क्या ?
जिसे तर्कों से 
हल किया जा सके 
बिना प्रतिस्पर्धा के 
हार-जीत के बिना 
जीवन एक खेल 
है खिलाडियों का 
जिसमे दो और दो 
चार नहीं 
भी होते है   …