सोमवार, 30 जुलाई 2012

बहन भाई के प्यार की परिभाषा .....



सह शिक्षा ने हमारी लड़कियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के समान अवसर दिये है ! अपने भाइयों के मुकाबले किसी भी बात में कमतर नहीं है आज की लड़कियाँ ! पढ़लिख कर आत्मनिर्भर बन रही है इतना ही नहीं, अपने भाइयों की अपेक्षा ज्यादा जिम्मेदार बनकर माता-पिता का सहारा भी बन रही है ! सुबह से लेकर देर रात हर क्षेत्र मे यहाँ तक की मल्टी नेशनल कम्पनियों में भी बखूबी अपना योगदान दे रही है ! वह जमाना अब बीत गया है कभी वह बेटी बनकर पिता के संरक्षण में, पत्नी बनकर पति के संरक्षण में और बुढ़ापे में बेटे के संरक्षण में अपना जीवन बिताती रही है ! आज वह किसी की दया की पात्र नहीं खुद कमाती है मनमुताबिक खर्च करती है अपना हर छोटा बड़ा फैसला खुद करती है ! आज के माता-पिता भले ही अपने बच्चों में कोई फर्क नहीं करते पर जब बहन के हक्क की बात आती है तो, बहन भाई के प्यार भरे रिश्ते में खटास आ ही जाती है ! अभी भी अनेक परिवारों में पैतृक संम्पत्ति पर भाई अपना एकाधिकार समझता है ! अगर गलतीसे बहन अपना हक्क मांगती है तो भाई को बुरा लगता है ! पैतृक संपत्ति को लेकर जब विवाद होता है तो पहले वाला स्नेह, प्यार पल भर में गायब हो जाता है ! कानून ने भले ही दोनों को पैतृक संम्पत्ति पर समान अधिकार दिए हो लेकिन भाइयों को बिलकुल बर्दाश नहीं होता कि, बहने अपना हक्क मांगे ! इसे ध्यान में रखकर माता-पिता को चाहिए कि, अपने जीते जी संपत्ति का समान बंटवारा अपने बच्चों में विल के जरिये कर दे ताकि, आगे चलकर कोई विवाद न हो ! कुछ समाज में आज भी  परंपराओं के नाम पर घर कि इज्जत के नाम पर ऑनर किलींग जैसा भयानक रोग उग्र रूप धारण कर रहा है ! ज्यादातर लड़कियों की हत्या उनके भाइयों ने क़ी हुई है ! जिन बहनों ने रक्षा हेतु अपने भाइयों क़ी कलाई पर राखी बांधी होगी वही हाथ अपने बहनों क़ी हत्या करते हुए एक क्षण भी नहीं काँपे होंगे आश्चर्य होता है ! परंपराएँ व्यक्ति के जीवन से ज्यादा नहीं हो सकती ! समय के साथ बदलाव आने चाहिए और उसे स्वीकार करने क़ी मानसिकता हर मनुष्य में होनी चाहिए !

रक्षाबंधन सिर्फ एक दिन भाई क़ी कलाई पर राखी बांधने और प्रेम जताने का पर्व नहीं है ! आज के दिन हर बहन अपने निस्वार्थ मन से अपने भाई के यश क़ी मंगल कामना करे, और हर भाई यह प्रण करे क़ि, अपने बहन को हर वो ख़ुशी हर वो अधिकार दूंगा जिसकी वह हक्कदार है ! तभी सही मायने में रक्षाबंधन का यह त्यौहार सार्थक होगा !  जाते-जाते एक़ प्यारी सी बात .........." सात वर्ष क़ी बहन ने अपने नऊ वर्षीय भाई से कहा ....भैय्या प्यार क्या होता है ? तो भाई ने कहा ....जब तुम मेरे स्कुल बैग से चॉकलेट नीकाल लेती हो, तब मै उस जगह दूसरी चॉकलेट रखता हूँ इसी को प्यार कहते है "! भाई-बहन के प्यार क़ी परिभाषा इससे सुंदर और कोई  हो सकती है क्या भला ?  सोचकर बताना .....

बुधवार, 25 जुलाई 2012

"यत्र नारी पूज्यंते" ...


मैंने कही पढ़ा था कि, जब इंदिरा गांधी भारत कि प्रधान मंत्री थी तब गोल्डामेयर (Golda Meir ) इजरायल क़ी प्रधानमंत्री थी ! हुआ यूँ क़ी इंदिरा जी एक बार इजरायल गई हुई थी ! दोनों के बीच बातों के दौरान उन्होंने गोल्डा मेयर से कहा कि, और सभी चीजे दिखाई लेकिन यहूदी मंदिर नहीं दिखाया ? गोल्डा मायर थोड़ी सकुचाई कि, कैसे यह बात कहे कि यहूदी मंदिर में स्त्रियों को प्रवेश नहीं है ! एक छज्जा दूर ...ऊपर उनके लिये अलग से बनाया है ! मगर जब इंदिरा जी ने जोर दिया देखने के लिये तो गोल्डा मेयर लेकर गई उन्हें, दोनों छज्जे पर बैठी ! इंदिरा जी जब वापस लौटी तो दिल्ली में किसी ने उनसे पूछा क़ी कुछ खास चीजे वहाँ पर देखी ? तो इंदिरा जी ने जवाब दिया और सब तो देखा ही देखा है पर खास बात यह देखी कि, इजरायल में प्रधान मंत्री छज्जों पर बैठ कर प्रार्थना करते है मंदिर में नहीं ! इंदिरा जी ने समझा होगा कि, इस प्रकार का आयोजन प्रधान मंत्रियों के लिये खास किया जाता होगा ! लेकिन यह आयोजन स्त्रियों को  मंदिर में जाने से रोकने का उपाय था !
     इतिहास के पन्ने पलटकर देखे तो पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं कि स्थिति कभी बेहतर नहीं थी ! उसके साथ परिवार वालों ने, समाज ने हमेशा भेद भाव वाला रवैय्या  अपनाया है ! कुछ महान कवियों ने उसकी प्रशंसा में कविता, गीत लिखे तो कहीं पर "यत्र नारी पूज्यन्ते " जैसे महान सूत्रों का हमारे शास्त्रों में समावेश किया है! साथ ही साथ कुछ असम्मान जनक बाते भी लिखी है संदर्भ जो भी रहा हो ! जिन्होंने भी ऐसा लिखा  होगा  मै तो कहती हूँ ...स्त्री से भयभीत रहा होगा या फिर स्त्री को समझ ही नहीं पाया होगा ! अगर स्त्रियों ने शास्त्र लिखे होते तो स्थति उलट होती, लिखना तो दूर कि बात स्त्रियों को पुरुषोने शास्त्र पुरानों को पढने  तक नहीं दिया !
धीरे-धीरे ही सही आज परिस्थिति बदल रही है !स्त्री को अपनी स्थिति का भान होने लगा है ! पुरुषों से समान हक्क पाने का उसका सपना साकार होने लगा है !बस एक बात कहना चाहती हूँ ....कमसे कम अपने परिवार और देश क़ी सामाजिक सांस्कृतिक  उत्थान के लिये महिलाओं के प्रति अशोभनीय व्यवहार में सूधार होना अत्यन्त जरुरी है !

सोमवार, 16 जुलाई 2012

मन रिक्त न रह ....


रात भर 
हुई वर्षा 
बारिश में 
पेड़-पौधे 
भीगे 
पंछियों के 
पंख भीगे
नीड़ में,
चारो ओर 
बारिश के 
नैसर्गिक आनंद में 
हुलसे मानव,
वन-उपवन !
मत झिझक
तू भी हठी 
शिकायती मन 
रिक्त न रह 
भर भावों की 
गागर
भाव सरिता में 
तू भी उन्मुक्त 
भीग !

बुधवार, 11 जुलाई 2012

विनाश और सृजन का चमत्कारिक खेल .....


  •  सच्चे सरल व्यक्ति को कौन पसंद नहीं करता, वह भी ऐसा ही है सभी उसे पसंद करते है ! उसकी दिनचर्या भगवान की प्रार्थना से शुरू होती है ! लेकिन कुछ दिन पूर्व दुर्घटना में उसके दोनों पैर आहत हो गए ! हालत इतनी ख़राब हो गई कि, उसके दोनों पैरों को काट देना पड़ा ! और सर्जरी करते हुये डॉक्टरों को यह पता चला कि,उसके पैर क़ी एक हड्डी में कैंसर था ! यदि उसके पैर को नहीं काटा जाता तो, कुछ ही समय में वह कैंसर पैर क़ी दूसरी हड्डियों में फैल जाता ! परिवार और मित्रों ने उसके दोनों पैरों को काटना भगवान के चमत्कार से कम नहीं समझा !
  • कुछ महीने पूर्व वह विश्व मिडिया क़ी सुर्ख़ियों में छाया रहा ! उसके कंप्यूटर्स व इलेक्ट्रानिक जगत के सृजनात्मक योगदान क़ी सराहना होती रही ! आई मैक,आई फोन, आई ट्यून्स, आई पॉड.....इलेक्ट्रानिक्स के इस युग में गैजेट्स डिजाईन के क्षेत्र में वह प्रेरणा स्त्रोत रहा ! ऐपल इनकारपोरेशन का यह सह संस्थापक और चेअरमन हास्पिटल के एक वार्ड में कैंसर जैसे भयंकर जानलेवा बीमारी से हिम्मत से लड़ रहा था लड़ ही नहीं रहा था बल्कि,बिस्तर पर लेटे-लेटे एक्स रे जैसे उपकरणों और अन्य मशीनों के बेहतर से बेहतर डिजाईन अपने पैड पर स्केच कर रहा था ! क्योंकि वो अपने आस-पास क़ी दुनिया को बेहतर और सुंदर देखना चाहता था ! जब डॉक्टरों ने कहा क़ि यह उसके जिंदगी क़ि आखरी रात है तो,उस रात सब के साथ हंसी मजाक करते हुए ...अपनी आँखे मूंद ली ! जीवन क़ी इस सच्चाई को हँसते -हँसते स्वीकारते अंतिम बार आँख खोल कर सबकी ओर मुस्कुराकर देखा ओर संतुष्ट आखरी सांस ली !
  • लगभग तीस यात्रियों को ले जा रही बस अचानक हिचकोले खाकर उसका संतुलन बिगड़ गया और बस गहरे खाई में गिर गई ! सारे के सारे यात्री मारे गए सिर्फ एक नन्ही सी बच्ची को छोड़कर ! सारे देखने वाले लोग अस्तित्व के इस चमत्कार पर चमत्कृत रह गए !
भूकंप सुनामी कभी-कभी इतना रौद्र रूप धारण कर लेते है क़ि, पलक झपकते ही हजारों लाखों क़ी संख्या में  घर परिवार धरती में समां जाते है ! एक नहीं दो नहीं सेंकडो ऐसी घटनायें है जो हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है ! हर मनुष्य अपने अपने तर्कों से उत्तर पाने क़ी कोशीश करता है ! उत्तर तो नहीं मिलते पर थोड़ी सांत्वना मिल जाती है जीने के लिये ! इस रहस्यमय अस्तित्व में चमत्कार एक के साथ ही क्यों हुआ ? दुसरे उनतीस का क्या कसूर था ? कैंसर उनको क्यों होता है जो शराब सिगरेट नहीं पीते है ? एक नहीं पुरे तीस यात्री बच जाते तो कितना बड़ा चमत्कार होता है ना ? कैसे एक व्यक्ति ही इश्वर के आशीर्वाद का हक़दार होता है ? तमाम ऐसे प्रश्न है जो अस्तित्वगत पहेलियों से कम नहीं है ! हम सब उस परमात्मा के असीम रहस्यमय उर्जा से आविष्ट है उससे भाग नहीं सकते ! अस्तित्व के गर्भ में अनेक ऐसे रहस्य छुपे हुये है जिसको जान पाना हम मानव मन के बस क़ी बात नहीं है ! विनाश ओर सृजन का यह खेल सदियों से चलता आ रहा है चलता रहेगा ! लेकिन  इसकी सतह पर फलता -फूलता जीवन हर पल गतिमान भी होता रहेगा !

शनिवार, 7 जुलाई 2012

समय तेज गति से भाग रहा है !


ऐसे बैंक की कल्पना कीजिए, जो आपके खाते में प्रतिदिन ८६,४००/- जमा करता हो ! इस खाते में अगले दिन के लिए कोई राशी शेष नहीं रहती हो ! यह आपको पूरी रकम खर्च करने की अनुमति देता है तथा दिनभर में खर्च न की गई रकम को प्रत्येक शाम समाप्त कर देता हो ! तब आप क्या करेंगे ?
निश्चित रूप से आप सारा धन नीकाल लेंगे ! हम सभी के पास ऐसा बैंक है ! इसका नाम "समय" है ! प्रतिदिन सुबह आपके जीवन में ८६,४०० सेकेण्ड समय जमा हो जाता है ! इसमें से जितना समय आपने भले काम में खर्च नहीं किया, उसे प्रत्येक शाम को हानि के रूप में खाते में से हटा दिया जाता है ! इसमें कुछ भी शेष या अतिरिक्त नहीं रहता ! प्रतिदिन सुबह आपका एक नया खाता खोला जाता है !
प्रत्येक शाम आपका दिनभर का सारा रिकॉर्ड समाप्त कर दिया जाता है ! दिनभर के लिए जमा इस धन का यदि आप उपयोग नहीं कर पाते, तो नुकसान आपका है !
इसमें वापस नहीं जा सकते, यानि भूतकाल में जाने की कोई व्यवस्था नहीं है ! इसमें आने वाले कल का या भविष्य के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है ! आपको दिनभर के लिए जमा राशी के अनुसार वर्तमान में जीना है ! इसका निवेश इस तरह करे क़ि आपको स्वस्थ,सुख और सफलता हासिल हो !   
"समय तेज गति से भाग रहा है ! अपने समय का अधिकतम उपयोग करे"


                                                                                                             साभार .......

सोमवार, 2 जुलाई 2012

तस्मै श्री गुरुवे नमा: !!


गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्‍वरः !
गुरु साक्षात्‌ परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः ॥"

आज गुरुपूर्णिमा है ! हमारे शास्त्रों में गुरु का विशेष महत्व बताया गया है !माता-पिता, शिक्षक, मित्र यह सब हमें पूज्यनीय और गुरुसमान है इनके सहाय्यता के बिना हम आज कुछ भी नहीं होते ! हमारे व्यक्तित्व निर्माण में इन सबकी महत्वपूर्ण भूमिका है !व्यक्तित्व निर्माण में यह सब लोग नीव की तरह है तो सद्गुरु शिखर के समान है !पता नहीं सद्गुरु का सही मतलब क्या होता है लेकिन मै व्याख्या मेरे अनुसार ही करूंगी ! सद्गुरु वह होता है जिसने इस अस्तित्व में व्याप्त उस परमात्मा के स्वाद को चखा है और अपने शिष्य को चखने के लिये साधना से प्रेरित किया है ! प्रकृति के कण-कण में व्याप्त उस दैवी उर्जा को आप कॉस्मिक एनर्जी भी कह सकते हो ! जिस सद्गुरु के चरणों में बैठकर हंसते-हंसते कैसे जिया जा सकता है जीने की कला सीखी ! उस सद्गुरु के प्रति,पृथ्वी,आप,तेज,वायु और आकाश इन पंच तत्वों के प्रति अनंत अनंत आभार !

" गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी गुरुजनों को,मित्रों को  सादर चरण वंदन.. नमन.. अभिनन्दन .." 
आप सभी को'गुरु पूर्णिमा' के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाये एवं  बधाईयाँ...