गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

चाँद ने सारे अस्तित्व पर एक तिलिस्म फैला दिया हो जैसे ...

सदियों से हमारी कल्पनाओं,सपनों,आस्थाओं,मान्यताओं का प्रतिक बना हुआ है चाँद ! किसी की कल्पना में उसमे चरखा कातती बुढ़िया दिखाई दी तो किसी को उसमे हिरन दिखाई दिया, तो किसी को उसमे अपने प्यारे मामा चंदामामा की छवि दिखाई दी ! कवियों, गीतकारों की लेखनी को चाँद में प्रेरणा स्त्रोत दिखाई दिया ! और किसी को करवा चौथ के व्रत का आराध्य जो उनके स्वामियों के दीर्घ जीवन की प्रार्थनाओं को सुनने वाला अस्थारूपी दैवत !

अरबों साल पहले हुई कुदरती उथल-पुथल से धरती से जो टुकड़े निकले चाँद उन्ही से बना हुआ है, वैज्ञानिकों ने इस प्रकार चाँद के अस्तित्व का पर्दाफाश किया ! चाँद को धरती का उपग्रह बना दिया ! पुरानी मान्यताएं, आस्थाएं बालू की भींत की तरह ढह गयी अब चाँद पर थे तो केवल पत्थर, धूल, और चट्टानें !

लेकिन आधुनिक पीढ़ी को एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण मिला चाँद को छूने की जिज्ञासा हुई ! अब वह दिन दूर नहीं जब आने वाले समय में चाँद पर बस्तियां भी बन जाएँगी ! जो भी हो एक बात सत्य है सूरज की रोशनी में जो चीजें खुरदुरी और आकर्षण विहीन दिखाई देती है वही चीजें हमें चाँद की दूधिया, रोशनी में बड़ी सम्मोहक और दिलचस्प दिखाई देने लगती है ऐसे लगता है चाँद ने सारे अस्तित्व पर एक तिलिस्म फैला दिया हो जैसे !