मंगलवार, 22 मई 2012

और भगवान प्रयोगशाला की ओर चल दिए ! (व्यंग्य )


"सोने की चिड़िया कहलाने वाले हमारे भारत देश को भ्रष्टाचार के दीमक ने इस कदर खोकला कर दिया है की इस दीमक को ख़तम कर देश को बचाना मेरे हिसाब से अब मनुष्य के बस की बात नहीं रही ! इसीलिए मैंने भगवान् को माध्यम बना कर एक छोटा सा व्यंग्य किया है!"


हम सब भगवान् को जग के पालन हार साथ में सृष्टि के कुशल रचनाकार के रूप में जानते हैं ! उन्होंने धरती आकाश की रचना की पर वे खुश नहीं हुए ! चाँद तारें बनाये, पशु पक्षी,पेड़ पौधे सारी सुन्दर प्रकृति बनायीं फिर भी खुश नहीं हुए उनको इन सब में कुछ न कुछ कमी महसूस हुई तब जाके उन्होंने मनुष्य की रचना की, और कहते है की भगवान् अपनी इस अपूर्व रचना पर इतने प्रसन्न हुए कि तब से आज तक उन्हें फिर कुछ बनाने का मन ही नहीं हुआ अब तो वे आनंद मग्न ध्यान में लीन रहने लगे !
आज भी वे इसी तरह आँखें मूँद कर ध्यान मग्न बैठे हुए थे क़ी किसी के क़दमों क़ी आहट हुई ! उन्होंने अपनी आंखे  खोल कर देखा सामने अपने बूढ़े विश्वास पात्र मंत्री जी चिंता मग्न सिर झुकाए सामने खड़े थे ! उनके लम्बे सफ़ेद केश, झुकी हुई कमर घुटनों तक लहराती श्वेत शुभ्र दाढ़ी उनकी उम्र का अंदाजा लगाना कठिन था ! खैर, भगवान् ने मंत्री जी से आने का कारण पूछते हुए कहा - " कहिये मंत्री जी क्या बात है आपकी चिंता को देख कर लगता है क़ी कोई बहुत बड़ी समस्या है ! धरती पर सब ठीक तो है ना ?" ,भगवान् ने प्रश्न किया ! " नहीं प्रभु, धरती पर ख़ास कर के भारत में हालात कुछ ठीक नहीं हैं ! चोरी, डकैती, मिलावटखोरी, पृथक प्रान्तों को लेकर झगडे आन्दोलन, आसमान छूती महंगाई  ने आम जनता की कमर तोड़ दी है जनता त्राहि त्राहि पुकार रही है ऊपर से भ्रष्टाचार का वायरस मनुष्य के दिमाग में घुस कर मनुष्य की नैतीकता विचारशीलता मानवीय संवेदनाओं को तहस नहस कर रहा है ! लगभग धरती पर सारी मानव जाती भ्रष्टाचार के इस वायरस से प्रभावित हो रही है ! जिस प्रकार कंप्यूटर में वायरस उसके डाटा को नष्ट करता है उसी प्रकार मनुष्य के मस्तिष्क को भ्रष्टाचार का वायरस विकृत कर रहा है ! हे प्रभु, समय रहते इस वायरस का निवारण नहीं हुआ तो धरती पर मानवता खतरे में पड़ सकती है ! " मंत्री जी ने चिंता व्यक्त की ! इतनी देर से मंत्री जी की बातें बड़ी ध्यान से सुन रहे भगवान् ने कहा यह तो बड़ी चिंता का विषय है मंत्री जी ! हमारी प्रिय रचना जो की मनुष्य जिस पर हमें बहुत गर्व है उस रचना को ऐसे नष्ट होते हुए हम नहीं देख सकते किन्तु आप यहाँ वायरस का बार बार उल्लेख कर रहे है कंप्यूटर, डाटा , इन सब का क्या मतलब है? यह शब्द हमारे लिए नितांत अपरिचित है भगवान् ने कहा ! मंत्री जी तनिक मुस्कुराए और कहा हे इश्वर आप तो हमेशा अपने सृजन में व्यस्त रहते है ! मंत्री होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी को हम खूब जानते है तीनों लोकों की जानकारी मुझे ही तो रखनी पड़ती है आपने ही तो ये ज़िम्मेदारी हमे सौंपी  है ! उसी जानकारी के अनुसार बुद्धि जीवियों द्वारा ईजाद किया हुआ यह एक यन्त्र है जो की मानव मस्तिष्क जैसा है उसी को धरती वासी कंप्यूटर कहते है ! इसकी सहायता के बिना मनुष्य आज कुछ भी नहीं कर सकता ! मनुष्य कंप्यूटर का उपयोग हर क्षेत्र में करने लगा है जैसे की शिक्षा क्षेत्र बड़े बड़े प्रतिष्ठानों में, चिकित्सा क्षेत्र क़ी, अंतरिक्ष यात्रा इत्यादी की जानकारी कंप्यूटर पलक झपकते ही देता है वह भी त्रुटिहीन जानकारी ! इतना ही नहीं कंप्यूटर में गूगल इंजिन एक ऐसा खोजी इंजिन है जो की बच्चे, बड़ों में बहुत ही लोक प्रिय हो रहा है ! मुझे तो यह आशंका है की जल्द ही गूगल खोजते खोजते कही हम तक ना पहुँच पाय ! इसके साथ ही मंत्री जी ने कंप्यूटर की कार्य प्रणाली साथ में मेमोरी, कण्ट्रोल, विंडो , किबोर्ड , माउस डाटा क्या है वायरस कंप्यूटर में कैसे प्रवेश करता है इन सबकी जानकारी जो की हम सब जानते है मंत्रीजी ने सविस्तार जानकारी भगवान् को दी ! बहुत देर से कंप्यूटर की अजब गजब जानकारी सुन रहे भगवान् के मन में कई रोचक प्रश्न जागे ! अब तक वे स्वयं को बहुत बड़े रचनाकार समझते थे किन्तु मनुष्य के इस अविष्कार के बारे में सुन उनको मनुष्य के प्रति किंचित इर्ष्या सी हुई पर अपने चेहरे के भावों को बड़ी सफाई से छुपाते हुए मंत्री जी से प्रश्न किया क़ि मंत्री जी बताईये फिर मनुष्य और कंप्यूटर दोनों में श्रेष्ठ कौन है ?
निसंदेह मनुष्य ही श्रेष्ठ है प्रभु यह तो आप भी जानते है मनुष्य में मानवीय गुणों के साथ अच्छे - बुरे की परख चिंतन मनन करने की क्षमता अनुभव करने की जो चेतना आपने मनुष्य को प्रदान की वह कंप्यूटर में कहाँ ? वह तो अपने स्वामी द्वारा दिए हुए आदेश का पालन करने वाला यन्त्र मात्र है किन्तु भ्रष्टाचार का वायरस मनुष्य की इन तमाम योग्यताओं को नष्ट कर रहा है इस तकनिकी गड़बड़ को आपको ही सुधारना होगा नहीं तो धरती पर मानवता का नामोनिशान तक मिट सकता है मंत्रीजी ने आशंका व्यक्त की !
भगवान् अत्यंत चिंतित हुए क्या करना चाहिए उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था फिर उन्होंने अपने मंत्रीजी से ही सलाह लेना उचित समझा ! मंत्रीजी आप ही बताईये हमें क्या करना चाहिए ताकि मनुष्य जाती को इस भयंकर वायरस से बचाया जा सके तब मंत्री जी ने बड़ी प्रसन्नाता से कहा -हे प्रभु इस भ्रष्ठाचार के वायरस निवारण हेतु हमें तुरंत एंटी वायरस बनाना होगा तभी धरती पर नैतिक मूल्यों को बचाया जा सकता है ! भगवान् अपने बूढ़े मंत्रीजी की बात मानकर एंटी वायरस बनाने अपने प्रयोगशाला की ओर चल दिए !

रविवार, 13 मई 2012

घूंघट-सी घनेरी पलकों में,....


सिगमंड फ्रायड ने कहा है 
मनुष्य को जिंदा रहने के लिये 
सपने चाहिए, .....सच है 
सबकी राते एक-सी काली 
पर सपनों के रंग अलग है 
किसी के सपने श्वेत शाम 
किसीके सपने इन्द्रधनुषी 
घूँघट सी घनेरी पलकों में,
किसी किसी के पीत गुलाबी 
अगर खुद को जिंदा रखना 
हो तो, एक प्यारा सा
सपना पाल कर देखिये 
बिना सपने के मुरझाता है 
मन मर जाती है जिंदगी 
एक ऐसा सपना जो 
देर तक खुद को
सुलाए नहीं, जिलाए ......


गुरुवार, 10 मई 2012

"सत्यमेव जयते" ......टी. वी. शो !


सत्यमेव जयते आमिर खान द्वारा प्रस्तुत टी.वी. शो जो आजकल स्टार प्लस पर रविवार सुबह  ११ बजे दिखाया जा रहा है ! कन्या भ्रूण हत्या को लेकर जब पहला ही एपिसोड देखा मै तो दंग रह गई !सभ्य समाज का एक घिनौना रूप सामने आया जिसे देखकर हर सवेदनशील इंसान का सर शर्म से झुक जाता है ! कन्याभ्रुण हत्या जैसे जघन्य अपराध में लिप्त ऐसे कई लोग शामिल है जिन्हें हम शहर के उच्चशिक्षित सम्मानित सभ्य लोग कहते है ! इस शो के दौरान गहलोत से कन्या भ्रूण हत्या को लेकर जिन पत्रकारों ने स्टिंग आपरेशन किया था वह छह सालों से आज भी अदालत में विचाराधीन है ! जिसपर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई और अपराधी खुलेआम अपनी प्रैक्टिश जारी रखे हुये है ! आमिर खान ने जनता को अश्वासन देते हुये कहा कि, वे इस बारे में राजस्थान उच्च न्यायलय के न्यायाधीश से इस बारे में बात करेंगे और इस मुकदमे को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जायेंगे ! और अपराधियों को उचित दंड भी दिलाएंगे !

कन्याभ्रुण हत्या पर अंकुश लगाने जैसे जनता से जुड़े १३ और गंभीर मुद्दे वे जनता के बीच ला रहे है ! सच में आमिर खान द्वरा यह एक अच्छी शुरुवात तो हुई है पर संदेह है की कही यह शो फ्लाप शो ना बनकर रह जाए ! सत्यमेव जयते नाम किस आधार पर रखा गया है इस शो को, यह तो देख कर ही पता चलेगा ! इस धारावाहिक से क्या समाज में कुछ तो बदलाव आएगा यह तो आनेवाला समय ही बता पायेगा ! अभी तो इंतजार है अगली कड़ियों का, कृपया आप भी देखियेगा !

मंगलवार, 8 मई 2012

रविवार, 6 मई 2012

चलने में जो मजा है मंज़िल में नहीं .......


जीवन में अगर कोई रूचि ना हो तो जीवन नीरस और बोरियत से भरा लगता है ! ऐसे लगता है जैसे जीवन में कोई चैलेन्ज नहीं कुछ नहीं यह भी कोई जीना है भला ? जब रूचि की बात आती है तो, रूचि सबकी अलग-अलग होती है ! किसी को संगीत में रूचि है !किसी को डान्स में रूचि है ! किसी को दूसरों की निंदा करने में रूचि है लड़ाई झगड़े में रूचि है ! किसीको पढाई लिखाई में रूचि है ! मान लीजिये की रूचि का नाम ही जिंदगी है ! मैंने कही पढ़ा था कि, अमेरिका में एक प्रसिद्ध दार्शनिक हुआ था ! नाम था  "जान डैबी" वे भी यही कहा करते थे क़ी जीवन में रूचि का नाम ही जीवन है ! जिस दिन तह रूचि समाप्त हुई समझ लो जीवन ख़तम हुआ ! ओशो कहते है अगर कोई साधक सत्य क़ी खोज पर है, खोज में जो मजा है मंजील में नहीं ! जान डैबी से उनकी नब्बे वी वर्षगाँठ पर उनसे बातचीत करते हुये मित्र ने पूछा कि दर्शन शास्त्र का जीवन में क्या उपयोग है बताओ ? डैबी ने शांतिपूर्वक अपने डाक्टर मित्र से कहा क़ी, दर्शन के अध्ययन से पहाड़ों पर चढ़ाई संभव हो जाती है ! मित्र ने न समझते हुये कहा ......लेकिन पहाड़ों पर चढ़ने से कौन से लाभ है ? डैबी खूब हँसे और बोले क़ि, लाभ यह है क़ि एक पहाड़ के बाद दूसरा फिर तिसरा फिर चौथा ! जब तक यह सिलसिला जारी रहेगा जीवन में चुनौती कायम रहेगी ! और जब तक चुनौती है जीने में आकर्षण है रूचि है ! और जिस दिन यह आकर्षण खो जाता है जीने क़ी रूचि भी समाप्त हो जाती है !

अनछुए पहलुओं पर अच्छेसे अच्छा लिखना सच में एक रायटर को पहाड़ों पर चढने जैसी चुनौती है ! पता नहीं कब कैसी प्रतिक्रिया मिले कब माहोल ख़राब हो कहा नहीं जा सकता ! बहुत बार लिखने की रूचि बन बिगड़ रही है ! एक न एक दिन हम सबको यहाँ से विदा होना ही है किन्तु जब तक यहाँ पर है यक़ीनन एक सुखद यात्रा रहेगी !

मंगलवार, 1 मई 2012

कैसी है पहचान तुम्हारी ......



सुख,
कहाँ हो तुम 
कैसी है पहचान 
तुम्हारी 
बहुत खोजने
पर भी नहीं
मिलते हो !
रोज तुम्हे ही 
खोजती हूँ 
यहाँ वहाँ घर के 
कोने-कोने में 
इंटरनेट  पर 
किस गाँव किस 
शहर किस गली में 
रहते हो 
अपना पता तो 
बतलाओ !
सुख तुम सच में   
महान हो
क्या इसीलिए 
प्रशंसा,पद,प्रतिष्ठा की 
ऊंची शाखों पर 
खिलते हो ?
कैसी है पहचान
तुम्हारी 
बहुत खोजने 
पर भी नहीं 
मिलते हो !