गुरुवार, 10 मई 2012

"सत्यमेव जयते" ......टी. वी. शो !


सत्यमेव जयते आमिर खान द्वारा प्रस्तुत टी.वी. शो जो आजकल स्टार प्लस पर रविवार सुबह  ११ बजे दिखाया जा रहा है ! कन्या भ्रूण हत्या को लेकर जब पहला ही एपिसोड देखा मै तो दंग रह गई !सभ्य समाज का एक घिनौना रूप सामने आया जिसे देखकर हर सवेदनशील इंसान का सर शर्म से झुक जाता है ! कन्याभ्रुण हत्या जैसे जघन्य अपराध में लिप्त ऐसे कई लोग शामिल है जिन्हें हम शहर के उच्चशिक्षित सम्मानित सभ्य लोग कहते है ! इस शो के दौरान गहलोत से कन्या भ्रूण हत्या को लेकर जिन पत्रकारों ने स्टिंग आपरेशन किया था वह छह सालों से आज भी अदालत में विचाराधीन है ! जिसपर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई और अपराधी खुलेआम अपनी प्रैक्टिश जारी रखे हुये है ! आमिर खान ने जनता को अश्वासन देते हुये कहा कि, वे इस बारे में राजस्थान उच्च न्यायलय के न्यायाधीश से इस बारे में बात करेंगे और इस मुकदमे को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जायेंगे ! और अपराधियों को उचित दंड भी दिलाएंगे !

कन्याभ्रुण हत्या पर अंकुश लगाने जैसे जनता से जुड़े १३ और गंभीर मुद्दे वे जनता के बीच ला रहे है ! सच में आमिर खान द्वरा यह एक अच्छी शुरुवात तो हुई है पर संदेह है की कही यह शो फ्लाप शो ना बनकर रह जाए ! सत्यमेव जयते नाम किस आधार पर रखा गया है इस शो को, यह तो देख कर ही पता चलेगा ! इस धारावाहिक से क्या समाज में कुछ तो बदलाव आएगा यह तो आनेवाला समय ही बता पायेगा ! अभी तो इंतजार है अगली कड़ियों का, कृपया आप भी देखियेगा !

11 टिप्‍पणियां:

  1. पहला शो तो नहीं देख पाए हम मगर चर्चाएं सब सुनी.......
    उम्मीद है बदलाव की.................
    एक इंसान भी बदला तो बहुत है.....

    सादर.

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  2. आमिर खान का बेहतरीन सार्थक सराहनीय प्रयास,....
    पहली कड़ी तो नही देख पाया,इस बार जरूर देखूगां,....

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

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  3. बढ़िया आवश्यक आलेख ...आभार आपका !

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  4. ऐसे कार्यक्रम और उनकी चर्चा सदेव जीवित रहनी चाहिए ... तभी समाज में धीरे धीरे बदलाव की चिंगारी जलेगी ...

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  5. Nice post.
    http://commentsgarden.blogspot.in/2012/05/blog-post.html

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  6. शो और उसका विषय अच्छा है। फिर भी विवाद हो रहा है। कुछ तो कारण होगा।

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  7. भ्रूण-हत्या एक गंभीर समस्या है जिसके लिए डाक्टर भी जिम्मेदार हैं। जीवन में ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं जिन्हें हम न सिर्फ गलत मानते हैं,बल्कि वैसा करने वालों को भी नैतिकता के उपदेश देते हैं। परन्तु,अधिकतर मामलों में यही होता है कि जब मामला खुद से जुड़ता है तो हम भी वैसी ही गलती दोहराते देखे जाते हैं। इसलिए,कहना मुश्किल है कि ऐसे कार्यक्रमों से समाज में कुछ बदलाव आएगा। अलबत्ता,चर्चा ही शुरू हुई,इसे भी सफलता माना जाना चाहिए।

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  8. इस विषय पर मैने भी एक लेख लिखा है।

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