मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

किसी से उनका प्यार न छीनो ..


अंग्रेजी का 
  रोज 
बंगाली का 
 गोलाप 
गुजराती का 
 सेबोती 
तेलुगु का 
 गुलाबी 
संस्कृत का 
 सतपत्री 
उर्दू,हिंदी का 
 गुलाब 
चमन में 
अमन फैला
  कर 
क्या खूब 
मुस्कुराते है 
कंटकों में भी 
ये सुमन ....!

 ***
मत छीनों 
किसी से 
उनका प्यार
न छीनो 
सुन्दर सपनों 
का संसार 
न छीनो 
भौरों से 
फूलों का 
आराधन 
परवानों से 
शमा पर 
मर मिटने का 
अधिकार 
न छीनों 
इश्क के 
ठेकेदारों ...!

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

"हैप्पी वैलेंटाइन डे"




मनुष्य के लिए प्रेम प्रकृति का दिया हुआ खुबसूरत वरदान है ! अनेकों ने अनेक रीतियों से प्रेम को परिभाषित किया है ! मीरा के लिए प्रेम है ...."सूली ऊपर सेज पिया की, किस विधि मिलना होय " तो महादेवी जी के लिए ..."विस्तृत नभ का कोना-कोना मेरा न कभी अपना होना, परिचय इतना " ! रविन्द्र नाथ टैगोर के उपन्यास की नायिका  अपने प्रियतम से कहती है .....हम विवाह तभी करेंगे जब दोनों के बीच स्वतंत्रता का भाव हो मै तैयार हूँ विवाह करने के लिए लेकिन तुम झील के उस पार रहो ...मै झील के इस पार रहूंगी ...बोलो मंजूर है ? ओशो जब प्रेम की व्याख्या करते है तो ओहो समझाना कठिन हो जाता है  ..फिर भी चंद शब्दों में कहूँ तो प्रेम के तीन प्रकार उन्होंने बताये है ! पहला प्रेम है "फालिंग इन लव, याने प्रेम में गिरना ! दूसरा प्रेम है ..."बीइंग इन लव, याने प्रेम में होना " ! तीसरे प्रकार का प्रेम है "बीइंग लव, याने प्रेम ही होना"! पहला प्रेम मनुष्य का मनुष्य से, दूसरा प्रकृति से , तीसरा प्रेम है समस्त अस्तित्व के प्रति ! फूल यदि लौकिक प्रेम है तो उसकी सुगंध अलौकिक प्रेम है ...लेकिन रास्ता तो पहले प्रेम से ही तय किया जा सकता है तीसरे तक ! लिओ टॉलस्टॉय अपनी "वार एण्ड पीस" में बताते है कि, आपको अगर सच्चे प्रेम की तलाश है तो आपमें रिश्तों को समझने की गहरी समझ होनी चाहिए तभी आप साथ रहने का फैसला कर सकते है ताकि, दोनों में एक दूसरे के प्रति सम्मान और आदर का भाव बराबरी का होगा ! प्रेम की तमाम बारीकियों को यदि बताने लग जाय तो विश्व साहित्य बनेगा इसलिए केवल संक्षिप्त परिचय दिया है अनावश्यक पोस्ट लंबी हो जाएगी इसलिए ...! सबके के लिए प्रेम की परिभाषा अलग-अलग हो सकती है लेकिन प्रेम तमाम परिभाषाओं के परे है ...मार्ग प्रेम का सदा से कठिन रहा है और रहेगा क्योंकि, शादी का रिश्ता समाज द्वारा परिवार द्वारा बना बनाया मार्ग है लेकिन प्रेम हमारी व्यक्तिगत पसंद है कठिन तो होगा ही इस मार्ग पर चलना ....परिवार, समाज के कायदे कानून के विरुद्ध जो है ! परिवार द्वारा चुना हुआ शादी का रिश्ता एक प्रकार से समझौता है और जहाँ समझौता हो वहां प्रेम मुश्किल है ! प्रेम का मार्ग हमेशा नया, अनोखा एवरेस्ट पर चढ़ने जैसा है परेशानियाँ भी है थ्रील भी है अगर शादी और प्रेम इन दोनों में कोई मुझे एक चुनने को कहे तो मै प्रेम को ही चुनुंगी ...पहले प्रेम फिर शादी !

आज चारो और हर क्षेत्र में बदलाव आया है, प्यार भी इन बदलाओं से अछूता नहीं है ! इंटरनेट के इस युग में नई पीढ़ी के लिए प्रेम भी इन्स्टंट फुड,कॉफी की तरह तुरत-फुरत वाला हो गया है ! नई पीढ़ी के लिए प्रेम पहले की तुलना में ज्यादा प्रैक्टिकल हुआ है ! नई पीढ़ी बहुत जल्दबाजी में है सब कुछ जल्द से जल्द हासिल करना चाहती है ! उनके लिए प्यार लैला-मजनू, हीर-रांझा वाले स्टाइल का बिलकुल  नहीं है उनके लिए प्रेम भी जितना दोगे उतना पाओगे वाले सिद्धांत पर चलता है "गिव एण्ड टेक" वाला है ! पढ़ लिखकर, आर्थिक दृष्टी से आत्मनिर्भर बनी आज की पीढ़ी बिंदास जीवन को जीना चाहती है ....हर बात उनके लिए बेफिक्री की हो गई है शायद यही कारण रहा हो प्यार भी इनके लिए गंभीर बात नहीं रही है ! कुछ लोगों को खास कर पुरानी पीढ़ी को इनका रवैय्या अखर सकता है रुखा-रुखा सा  लग सकता है ! जो भी हो इन दिनों हमारे चारो और बहुत बड़ा बदलाव आया हुआ है इस बदलाव को मन से स्वीकारने के सिवा और कोई रास्ता भी नहीं है ! 

इन दिनों बाजारों में भी खासी रौनक दिखाई दे रही है दुकानों में फूलों के गुलदस्ते, गिफ्ट्स, गुलाब के फूल ही फूल ...फूलों की महक मुहब्बत करने वालों को अपनी और आकर्षित कर रही है क्यों न हो भई प्यार का मौसम जो लगा है ! इस दिन को प्रेम दिवस कहे या वैलेंटाइन डे क्या फर्क पड़ता है प्रेमियों के लिए प्रेम चाहत भी है और जरुरत भी ...हमें विरोध नहीं सम्मान तो करना ही होगा ! आप भी अपने चाहने वाले / वाली को एक प्यारा सा लाल गुलाब देकर अपने प्यार का इजहार कीजिये सच कहती हूँ ...दिल की जिन बातों को शब्द बयाँ नहीं कर पाते उसे यह लाल गुलाब कर देता है ! अरे हाँ जाते-जाते मेरी पसंद का यह गीत भी सुनकर जाइये आपको निश्चित पसंद आएगा ! सभी मित्रों को वैलेंटाइन डे" की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ...!



गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

चमचासन .....


"सबसे पहले सीधे खड़े हो जाओ, चेहरे पर भोलापन और आँखों में मक्कारी लाओ ! धीरे-धीरे भोलेपन को दीनता में बदलो, टांगों को सीधा रखकर धीरे से झुककर नाक को अपने आका के जूतों पर रगड़ों ! गहरी-गहरी सांस लेकर कुहनियों को पेट से सटाकर दोनों हाथ जोड़ो, प्रणाम की मुद्रा बनाओ ! शुरू-शुरू में थोड़ी तकलीफ होगी स्वाभिमान आड़े आएगा लेकिन घबराओ नहीं, निरंतर आभ्यास से स्वाभिमान का सत्यानाश होकर साधक योग्य चमचा बनकर अनेक लाभ पायेगा " ! दुनिया में एक से एक योगासन प्रचलित है लेकिन हमारे देश में एक ही आसन है जो काफी प्रख्यात, विख्यात है वह है यह चमचासन ! यह कैसा योगासन है ? और मै आपको यह क्यों सिखा रही हूँ यही सोच रहे है ना आप ? माफ कीजिये यह आसन हमारे सुधी पाठकों के लिए नहीं है ! लेकिन नेता बनने के लिए चमचासन की बहुत जरुरत पड़ सकती है !

 दरअसल आज किचन में खाना बनाते हुए मै सोच रही थी ये फोर्क, स्पेचुला, छोटे-बड़े हर आकार प्रकार के स्टील के चमचे न होते तो गृहिणी भी कभी "अन्नपूर्णा" का सम्मान  पाती भला ? नहीं ना ..अपने किचन में घंटों खपती है भांति-भांति के स्वादिष्ट व्यंजन बनाती है इन्ही चमचों की बदौलत ! पाक शास्त्र का सारा ज्ञान और सारा कौशल लगा देती है इन चमचों की बदौलत ! मन का सारा स्नेह उंडेल देती है पकवानों में इन चमचों की बदौलत ! लेकिन मै जिन चमचों का जिक्र कर रही हूँ वो है नेताओं के चमचे, जिसे हम सब चेला, चाटुकार, चापलुस वगैरे नामों से जानते है ! यदि देखा जाय तो सबको चमचों की जरुरत पडती है ..सबके ही अपने-अपने चमचे होते है लेकिन नेताओं के चमचे कुछ अनोखे और खास होते है ! कहीं तोड़-फोड़ करनी हो कि, आग लगानी हो चमचे सदा तत्पर रहते है अपने स्वामी की आज्ञा पालन करने ! इन्ही चमचों की बदौलत विभिन्न प्रकार के विवाद और तनाव उत्पन्न होते रहते है ... शहर में अशांति फैल जाती है ! अपने आकाओं की हर गलत बात को सही सिद्ध करना इनका एकमेव उद्देश होता है ! अपने आका की नमक अदायगी करते ऐसे चमचे आपको हर शहर में मिल जायेंगे ....भक्त और भगवान का रिश्ता होता है इन दोनों में !  चमचासन एक ऐसा ही आसन है जिससे गुजरे बिना कोई साधक योग्य चमचा नहीं बन सकता ..... कैश और ऐश करने का बड़ा आसान आसन है यह चमचासन ......!!