सुबह कभी अख़बार देर से आता है तो कुछ लोग बड़े परेशान, बेचैन हो जाते है ! सुबह का अख़बार और सुबह की चाय इन दोनों का हमारे जीवन में बडा गहरा नाता बन गया है इनके बिना लगता है जिंदगी अधूरी और फीकी-फीकी सी है ! फिर राजनितिक मुद्दों पर बहस, चर्चाये व्यर्थ की बकवास करने में सुहानी सुबह उनके हिसाब से तभी सार्थक हो जाती है !
आपको पता है झेन गुरु सुबह की चाय भी मजे से ध्यान में पीते है उनके लिए चाय भी महज चाय नहीं है, बहुत महत्वपूर्ण बात है ! एक ऐसे ही झेन गुरु सुबह की अपनी चाय पी रहे थे इतने में एक आगंतुक ने उनसे पूछा, जीवन क्या है ? लगता है आने वाला कोई बहुत बड़ा विचारक रहा होगा, गुरु ने कहा … "चाय की प्याली" आगंतुक को बड़ा आश्चर्य हुआ यह कैसा जवाब है ? चाय की प्याली ! उसने कहा मैंने बहुत सारी किताबे पढ़ी पर ऐसा जवाब कही नहीं मिला यह भी कोई बात हुई भला ? मै आपके इस जवाब से राजी नहीं हो सकता ! गुरु ने कहा, तुम्हारी मर्जी राजी हो या मत होना ! जीवन की प्याली को चाहे चाय की प्याली कहो, अथवा चाय की प्याली मत कहो क्या फर्क पड़ता है !जीवन विराट है और हमारी बुद्धि जीवन की अपेक्षा में बहुत ही छोटी है ! एक नहीं दो नहीं यक्ष सवाल हमारे दिमाग में रोज मचलते रहते है और जवाब एक भी सटीक नहीं मिलता ! तब हम कुछ जवाब रट लेते है और समझते है कि,
जवाब सटीक दिए है, नतीजा ? जिवंत सवाल और मुर्दा जवाब !
जवाब सटीक दिए है, नतीजा ? जिवंत सवाल और मुर्दा जवाब !
जीवन की सार्थकता सवालों को सुलझाने में नहीं पल-पल जीवन के अनुभव से गुजरने में है,हंसी,ख़ुशी से जीने में है, सबके साथ इस अनुभव को बांटने में है ! अनुभव भरी अभिव्यक्ति पर कभी कूड़ा, कचरा कहकर निंदित मत करो जो अपने विचारों का सम्मान करता है वही दूसरों के विचारों का सम्मान कर सकता है !सम्मान और अहंकार बहुत भिन्न बाते है स्मरण रहे !
जीवन यदि कोई सवाल होता तो हमने अब तक इसका जवाब दर्शन शास्त्र में खोज लिया होता ! जीवन को जब तक जियेंगे नहीं जानेगे कैसे कि, क्या है ? फिर कैसे सवाल कैसे जवाब, जीवन न सवाल है न जवाब है मेरे हिसाब से रोज एक नये अनुभव से गुजरने का नाम जीवन है !
वाह यह तो गुरु सत्संग हो गया ,
जवाब देंहटाएंकुछ अधिक गंभीर नहीं हो गया यह लेख ? कई बार विद्वानों की मज़ाक उड़ाने का दिल करता है ! :)
शुभकामनायें !
व्यंग्य को गंभीर क्यों लें ?
हटाएंमजाक में उड़ाने से स्थिति बदलती हो तो यही सही :)
हटाएंआप लेख को गंभीर कह रहे है ? मै तो जीवन को ही गंभीर मत समझो
कह रही हूँ !
सच जिंदगी एक जर्नी है जो हर रोज नए अनुभव से गुजरती है ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना !!
जिसने भी जीवन को एक सवाल समझ लिया, बस समझ लिजीये वो जीवन जीने से चूक गया. जीवन तो निरापद हंसी खुशी जीने के लिये है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सहज सरल किंतु जटिल सोच वाला विचार व्यक्त किया आपने, समझना ना समझना अपनी योग्यता पर है, शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुती, आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन सार्थक प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : सुलझाया नही जाता.
बात तो आपकी सही है.....
जवाब देंहटाएंसच है, बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं"जीवन को जब तक जियेंगे नहीं जानेगे कैसे कि, क्या है ?"
जवाब देंहटाएंउम्दा बात कही आपने !
रक्षाबंधन पर्व की आपको भी मंगलमय कामनाये!
"जीवन की सार्थकता सवालों को सुलझाने में नहीं पल-पल जीवन के अनुभव से गुजरने में है,हंसी,ख़ुशी से जीने में है, सबके साथ इस अनुभव को बांटने में है ! "...बिलकुल सही बात है.
जवाब देंहटाएंनए अनुभव से रोज़ गुज़ारना ही जीवन है ... उस अनुभव से सीखना, जीवन जीना ओर उसका एहसास करना ही जीवन है ...
जवाब देंहटाएंगहरा दर्शन सहज ही दे दिया ....
सच में जीवन कोई सवाल नहीं बस एक अनुभव ही है
जवाब देंहटाएंबस जीये जाइए और खुशियाँ बाँटिये
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सादर आभार !
शानदार रचना..
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