करोड़ों लोग यूँही
ईश्वर की प्रार्थना
नहीं करते !
प्रार्थना शायद हमें
मनवांछित परिणाम
देती है !
प्रार्थना शायद हमें
थोड़ा सा सुकून देती है !
किंतु,
जिन तथ्यों को जैसी है वैसी ही
स्वीकार करने की बजाय
उन तथ्यों से,अपने आप से
प्रार्थना के माध्यम से
क्या हम
पलायन नहीं करते ?
एक सुविधाजनक पलायन !
सत्य है।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१७-१०-२०२०) को 'नागफनी के फूल' (चर्चा अंक-३८५७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
सटीक सुन्दर एवं सार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत सुंदर।
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