सोमवार, 24 जून 2013

क्षणिकाएँ ....

हवा ,पानी ,प्रकाश 
काफी तो नहीं 
आत्मविश्वास के 
पंख दो उसे उड़ने को 
सुदूर आकाश ....!
    ***
सपने  उसके 
अपनी आँखों  से नहीं 
उसकी आँखों से देखे 
साकार करेगी 
हम सबके .....!
   ***
बोल तो 
दे दिए है हमने 
गीत उसीका 
गुनगुनाने दे उसीको 
प्रेम गीत कोई  ....!
    ***
इसके पहले कि ,
आदर्शों का मजबूत बांध 
झटके में तोड़ दे 
सहज बहने दे 
नदी की धार  को  ....!

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर .... सब कुछ सहजता से ही हो .... आमीन

    जवाब देंहटाएं
  2. बोल तो
    दे दिए है हमने
    गीत उसीका
    गुनगुनाने दे उसीको
    प्रेम गीत कोई ....!
    ***
    इसके पहले कि ,
    आदर्शों का मजबूत बांध
    झटके में तोड़ दे
    सहज बहने दे
    नदी की धार को ....!


    बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  3. पता नहीं मां सावन में,यह ऑंखें क्यों भर आती हैं !
    मंगल कामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी क्षणिकायें अपने आप में संपूर्ण है. सहज रूप से जीवन दर्शन का बोध कराती हुई, बहु शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं