कुछ दिनों से शहर में आषाढ़ी मेघ छाने लगे है ! सर्द हवाएं बहने लगी है ! मौसम गुलाबी होने लगा है ! पुरवाई के हर झोंके में अपरमित उल्लास भर गया है ! लेकिन मानसून की पहली बरसात कल हुई ,वह भी जोरदार !
साँझ तक घुमड़-घुमड़ कर जोरों की बरसात होती रही ! कुछ बच्चे घर में बैठकर होम वर्क करने की बजाय ,टी .वी .,कंप्यूटर के सामने बैठने की बजाय बारिश का मजा लेने आँगन में आ गए ! इधर उधर जमा हुए पानी में कागज की नाव बनाकर तैराते उन बच्चों को देखकर मुझे भी अपना बचपन याद आ गया और अनायास याद आ गई कविता की यह पंक्तियाँ ....
डगमग डोले डगमग डोले
पानी ऊपर नाव रे
कागज की ये नाव रे
पानी बरसा तन-मन हरषा
खुशियों का इन्द्रधनुष खिला
तट के उस पार लिए चली
सुन्दर सपनों का संसार रे
कागज की ये नाव रे ...........!
नभ से लेकर धरती तक जन-जीवन बारिश के इस नैसर्गिक आनंद में डूब गया है ! ऐसे में बारिश को देखकर किसी के भी मन में हिलोर उठनी स्वाभाविक है ! अचानक आई झमाझम बारिश ने शहर की सड़के तलैया जैसी बन गई है ! फिर भी अपने बाइक पर गुजर रहा एक प्यारा सा जोड़ा गा उठा .....
हम तुम कितने दीवाने निकले
भरी बरसात में भीगने निकले !
कितना सच है न , बारिश छोटे-बड़े सबको दीवाना बना ही देती है ! चारोओर खुशगवार नज़ारे सब कुछ शराबी सा लगने लगता है ! लेकिन कुछ लोग अचानक हुई इस बारिश से परेशान हो गए ! क्योंकि बरसाती नाले उफन उफन कर उनके घरों में घुस गए थे , बारिश को कोसते , बुरा भला कहते इन लोगों को देखकर अनायास हमारे प्रसिद्ध रचनाकार की यह पंक्तिया होठों पर आ गई ....
लोगों का क्या,चलते फिरते ,सूरज पर थूका करते है
रोशनी भूल कर गर्मी पर,कोहराम मचाया करते है !
देखा कल तक जो गरमी -गरमी कहकर कोहराम मचा रहे वही लोग आज बारिश पर कोहराम मचा रहे थे ! सच है कुछ लोग हर हाल में कोहराम मचाते देखे जा सकते है !मेरी जैसी कुछ गृहिणियां बारिश को देखकर इसलिए खुश हो रही थी कि ,चलो टमाटर, भिंडी कुछ तो सस्ते होंगे ! महंगाई की वजह से पिछले कुछ दिनों सब्जियों के दाम आसमान छू रहे थे !कोई भी सब्जी ६० रुपये किलो से कम नहीं थी !खैर जो भो हो कुछ कम ज्यादा सभी ने इस मौसम की पहली बारिश का मजा लिया !
जाते-जाते ....यह तो हुई बाहर की बारिश जो हर साल अपने नियमित समय पर आती है जाती है ! एक और भी बारिश होती है ,सद्गुरु की कृपावृष्टि की बारिश जिसपर भी बरसती है तन-मन आत्मा तक को भिगो देती है !और जीवन को हरा भरा कर देती है ....इस बारिश को संत कबीर कुछ इस प्रकार कहते है ....
कबीर बादल प्रेम का, हम पर बरसा आई
अंतर भीगी आत्मा, हरी भई बनराई ....!!
वाह, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
सत्यम शिवम् सुंदरम ...
जवाब देंहटाएंपहली बरसात आते ही सबको बचपन याद आता है. और बचपन ऐसी याद होता है जिसे किसी भी उम्र में भूला नही जा सकता, मेरी समझ से तो इंसान मूलत: जिंदगी भर बच्चा ही रहता है, ये अलग बात है कि ऊपरी तौर पर समझदार होने का नाटक करता रहता है, बहुत ही सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
लोगों का क्या,चलते फिरते ,सूरज पर थूका करते है
जवाब देंहटाएंरोशनी भूल कर गर्मी पर,कोहराम मचाया करते है !
सतीश जी का उपरोक्त शेर तो कालजयी हो गया है, जो उन्होंने किसी ध्यानस्थ अवस्था में रच डाला. जीवन की सच्चाई है इसमे. अब देखिये ना, बरसात में हम कितना खुश होते हैं? नाचते गाते हैं, चहुं ओर एक प्रकृति एक रंगीनी बिखेर देती है. वहीं दूसरी ओर बाढ, नदी नालों से कुछ लोग परेशान होते हैं, कुछ बिलों में रहने वाले जीव भी बे घर हो जाते हैं.
यानि सबकी अपनी अपनी सुविधाएं हैं, पर इन सबसे ऊपर जीवन के लिये बरसात जरूरी है. सतीश जी ने जैसा सुरज पर कहा वह कटु सत्य है, बिना सूरज जीवन की कल्पना ही बेमानी है, भले गर्मी लगती हो...
यही जीवन और आत्मा का भी द्वंद है. द्वंद के बिना यह संसार नही चल सकता, जब तक द्वंद है, यह संसार है. द्वंद गया कि गुणातीत हुए.
रामराम.
कबीर बादल प्रेम का, हम पर बरसा आई
जवाब देंहटाएंअंतर भीगी आत्मा, हरी भई बनराई ....!!
यहां आपका कबीर को कोट करना सुंदर लगा. यहां भी द्वंद ही है, बरसात जीवन दायिनी है यह एक पहलू हुआ, पर कबीर का यहां दुसरे पहलू की बात भी कर रहे हैं, उनका प्रेम का बादल वह परमात्मा है, जिससे मिलकर उनकी आत्मा भीग गई है...यानि वो मोक्ष की स्थिति में हैं.
आपकी यह पोस्ट दोनों ही द्वंद अभिव्यक्त करते हुये प्रफ़ुल्लता देती है, आभार.
रामराम.
अपने आप में पूर्णता लिए हुए है आपकी पोस्ट ....!!बहुत अच्छा लिखा है सुमन जी ...
जवाब देंहटाएं.बेहतरीन अभिव्यक्ति आभार . सब पाखंड घोर पाखंड मात्र पाखंड
जवाब देंहटाएंआप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?
आपकी यह रचना कल शनिवार (15 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पोस्ट.....
जवाब देंहटाएंसराबोर कर दिया मन...
सादर
अनु
यहाँ भी हल्की फुलकी फुहार पड़ गयी है ..... सुंदर पोस्ट
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएं:-)
वाह बरसात का सुंदर स्वागत
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
सादर
आग्रह है- पापा ---------
कबीर बादल प्रेम का, हम पर बरसा आई
जवाब देंहटाएंअंतर भीगी आत्मा, हरी भई बनराई ....
बरसात आते ही मन में तरंग और प्रेम के अंकुर अनायास ही फूट जाते हैं ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति है ...
बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जिन्दगी,
मन को छूती पोस्ट . बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकबीर बादल प्रेम का, हम पर बरसा आई
जवाब देंहटाएंअंतर भीगी आत्मा, हरी भई बनराई ....!!
वारिश खुशियाँ लाती परन्तु वारिश की अधिकता प्रलय भी.
सामयिक और सटीक प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ