मित्रो, अस्वस्थता के चलते बहुत दिनों के बाद आज अपने ब्लॉग पर आयी हूँ ....एक ऐसी नारी की सच्ची कहानी लेकर जो आज "अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस " पर नारी शक्ति का पर्याय बनी है !
जब हौसले बुलंद हो तो रास्ते भी अपने आप बनते चले जाते है ! हम ऐसी कितनी ही नारियों को नहीं जानते जिनका योगदान भी समाज में कुछ कम नहीं है .... उनके साहस की कार्यकुशलता की दाद देनी पड़ेगी ! भले ही उनकी गिनती किसी दिग्गज महिलाओं में न की जाती हो फिर भी उनका महत्व कम नहीं हो जाता ! वो भी बिलकुल ऐसी ही आम महिला है दुपहिया-चौपहिया वाहनों के पंक्चर जोड़ने वाली बिलकुल साधारण नारी लेकिन उसके जज्बे को देखिये काबिले तारीफ है ! स्वावलंबी, आत्मविश्वास से भरपूर वह और उसकी अपनी छोटी सी दुकान है शहर में, वाहनों के पंक्चर जोड़ने की ! सुबह सूरज जब सबके अपने अपने हिस्से की धुप बांटता फिरता जब उसके आँगन में आता है तब तक वह अपने दुकान पर पहुँच चुकी होती है ! सात साल की छोटी सी उम्र में अपने पिता के काम में हाथ बंटाते ...नट बोल्ट देना, पानी थमाना, टायर ट्यूब बदलना जैसे काम में मदद करते करते कब उसके खाने खेलने, पढ़ने-लिखने के दिन बीत गए पता ही नहीं चला ! वह कहती है पुरुषों के लिए भी जो काम करना कठिन लगे उसके लिए वही काम समय के साथ-साथ सरल होते गए ! तीन बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी वह पिता के गुजर जाने के बाद अपने बड़े होने का फर्ज बखूबी निभाया और अपने भाई को पंक्चर जोड़ने का काम सिखाकर अपने पैरो पर खड़ा किया आज उसकी खुद की दूकान है ! कड़ी धुप, छाँव, बारिश की परवाह किये बगैर अपने परिवार का गुजारा करती है ! अपने पति को भी इसी काम में लगाकर अपने दोनों बेटियों को एक निजी स्कूल में पढ़ा रही है ! यादम्मा कहती है जो जो कष्ट उसने उठाये है अपने बेटियों को वो कष्ट उठाने नहीं देगी ! खूब पढ़ा लिखाकर एक अच्छा भविष्य देगी अपने दोनों बेटियों को !
इस नारी शक्ति के जज्बे को सच में नमन करने का मन हुआ .... काम न छोटा होता है न बड़ा होता है, काम सिर्फ काम होता है यदि अपने काम के प्रति प्रेम और लगन हो तो छोटा काम भी बड़ा दिव्य बन जाता है ! हर नारी खुद का सम्मान करे जो खुद का सम्मान करती है वही औरो को भी सम्मान देती है ...अपनी योग्यता का, अपनी क्षमता का सम्मान करे तभी तो महिला दिवस का यह पर्व दिन सही मायने में सार्थक होग़ा !
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ...!
यदि अपने काम के प्रति प्रेम और लगन हो तो छोटा काम भी बड़ा दिव्य बन जाता है ! हर नारी खुद का सम्मान करे जो खुद का सम्मान करती है वही औरो को भी सम्मान देती है ...अपनी योग्यता का, अपनी क्षमता का सम्मान करे तभी तो महिला दिवस का यह पर्व दिन सही मायने में सार्थक होग़ा !
जवाब देंहटाएंRecent post: रंग गुलाल है यारो,
नारी सीमायें तोड़ रही हैं ...आने वाला समय और अच्छा साबित होगा !
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं आपके लिए !
बहुत प्रेरक प्रस्तुति...नारी शक्ति का अभिनन्दन...
जवाब देंहटाएंएक सराहनीय और प्रेरणादायी प्रसंग .....इस हौसले को सलाम
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक एवं भावपूर्ण प्रस्तुतिकरण,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक, ऐसे ही व्यक्तित्व प्रेरणाश्रोत बनते हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
नारी शक्ति का अभिनन्दन करती भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंशिवरात्रि की शुभकामनायें.
नारी ही नारी के उत्थान में सार्थक भूमिका निभा सकती है ... इस बात को पूर्णतः सत्य करती घटना बताई है आपने ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति... बधाई
जवाब देंहटाएं