जैसे ही गर्मी ने दस्तक दी सारी परेशानियां हर साल की तरह एक बार फिर से साकार हुई पानी की किल्लत बिजली की किल्लत मच्छरों का बढ़ गया उत्पात बहुत ! हमारे देश में समस्याओं की कोई कमी नहीं है किसे गिने किसे छोड़े ! बिजली विभाग ने परसों ही रोज चार-चार घंटे की पॉवर कट की घोषणा कर दी है ! वैसे बिजली अपने मर्जी की मालिक है कभी भी आती है कभी भी जाती इसका कोई भरोसा नहीं है ! पहले समस्याओं को बढाओ उसे हवा देकर सुलगाओ उन्ही के बलबूते पर सत्ता पर बैठे शासन करो वाह इसे कहते है राजनीति नहीं कूटनीति ! आने वाले दिनों में हम पानी और बिजली की गंभीर समस्या से घिरने वाले है ! चिंता की बात है समय रहते कोई उपाय नहीं सोचे गए तो बहुत गंभीर परिणामों का हमें सामना करना पड़ सकता है !
रात नींद में
अचानक बिजली
गुल हो गई हो तो
ऐसे में ...
गुस्सा होने की
कोई जरुरत नहीं है
संगीत से सराबोर
मच्छरों का संगीत
सुन सकते है
कभी अकेले तो
कभी कोरस में
क्या खूब गाते है ....!
एक मच्छर ने
दुसरे मच्छर से
कहा ...
यार हममे और
नेताओं में
क्या फर्क है ?
दुसरे मच्छर ने
कहा ...
कुछ भी फर्क नहीं
कुछ भी फर्क नहीं
मनुष्य का खून
चूसने की आदत
हममे उनमे
दोनों में सेम है ....!
बिजली, मच्छर, संगीत और नेताओं की सटीक जुगलबंदी है.पर अफ़्सोस ये है कि मच्छर तो मच्छर अगरबत्ती से भाग जाते हैं पर नेताओं को अगरबत्ती लगाओ तो और ज्यादा सर पर चढ आते हैं.:)
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग.
रामराम.
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुतिकरण,आभार.
जवाब देंहटाएंदोनों में सेम है ..
जवाब देंहटाएंRecent post: रंग गुलाल है यारो,
बहुत बढ़िया सुमन जी ,
जवाब देंहटाएंवैसे बिजली और पानी
दोनों हिसीमित संसाधन ,
किफायत से ही उपयोग
होने चाहिए तभी गर्मियों
में साथ देंगे.......
साभार.......
तीखा व सुन्दर व्यंग्य ...
जवाब देंहटाएंसादर !
मच्छरों से सहमत हूँ.... :)
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
जवाब देंहटाएंआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
सही है ...
जवाब देंहटाएंमच्छर खुश !
सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.कितने खुबसूरत जज्बात .बहुत खूब,
जवाब देंहटाएंएक गहरे अर्थ के साथ, विषयपरक-----बधाई
मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों----आग्रह है
jyoti-khare.blogspot.in