एक जंगल में सुबह-सुबह नाश्ता करने के इरादे से एक लोमड़ी शिकार की तलाश में निकल पड़ी ! धूप सेंकते खरगोश को उसने अपने मजबूत पंजों में दबा लिया ...खाने जा ही रही थी कि, खरगोश ने कहा, "रुको कौन हो तुम ? मै लोमड़ी हूँ और तुम्हारा नाश्ता करना चाहती हूँ उसने कहा ! लेकिन "प्रमाण क्या है कि, तूम लोमड़ी ही है" ? लोमड़ी सकते में आ गई पहली बार उसके भी मन में विचार आया खरगोश ठीक ही तो कह रहा है,"प्रमाण पत्र कहाँ है ? उसने खरगोश से कहा "तुम यही रुको मै अभी आती हूँ !" जंगल के राजा शेर सिंह के पास लोमड़ी गई और शेर सिंह से कहा, "एक खरगोश ने मुझे बहुत मुश्किल में डाल दिया है जब मैंने उसे पकड़ कर खाने जा ही रही थी तो उसने कहा, रुक, लोमड़ी होने का प्रमाण क्या है ? लोमड़ी की बात सुनकर सिंह ने अपने सिर पर जोर से पंजा मार लिया और कहा कि, यह आदमियों की बीमारी जंगल में कहाँ से आ गई ? प्रमाण मांगने की, कल मैंने एक गधे को अपने भोजन के लिए पकड़ लिया था वह भी इसी तरह मुझे सिंह होने का प्रमाण पत्र मांग रहा था ! मै भी तुम्हारी तरह सकते में आ गया था और मेरा ध्यान थोडा सा गधे पर से हट क्या गया इसी बीच वह गधा पलक झपकते ही कहीं गायब हो गया !
रुकिए रुकिए लोमड़ी ने कहा "कही वह "ताऊ टीवी फ़ोडके चैनल " का कैमरामैन रामप्यारे तो नहीं था ? भंग के नशे में इधर आया होगा शायद ! पता नहीं पर पहले कभी किसी गधे ने ऐसा सवाल नहीं पूछा था ! यह जंगल के जानवरों को हो क्या गया है ? कही आदमियों का सत्संग करने का नतीजा तो नहीं है ? सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा .. ! लोमड़ी भी मन ही मन कुछ सोचते रह गई ...और शेर सिंह ने लोमड़ी को लोमड़ी होने का प्रमाण पत्र लिख दिया कि, हाँ यह लोमड़ी ही है ! लोमड़ी प्रसन्न मन से प्रमाण पत्र लेकर वहां से चली गई पर शक था मन में कि, कही खरगोश भाग न गया हो ? लेकिन नहीं, खरगोश उसकी प्रतीक्षा कर रहा था ! जैसे ही लोमड़ी ने प्रमाण पत्र हाथ पर रख दिया खरगोश ने प्रमाण पत्र पढ़कर लोमड़ी के हाथ में थमा दिया और भाग खड़ा हुआ ! देखते ही देखते पास के ही बिल में अंतर्ध्यान हो गया ! प्रमाण पत्र लेने देने के चक्कर में वह खिसक गया था ! लोमड़ी बड़ी हैरान हुयी वापिस सिंह के पास लौट आई और कहा कि, यह तो बहुत बुरा हुआ प्रमाण पत्र तो मिल गया लेकिन वह बदमाश खरगोश भाग गया हाथ से, बिलकुल उस तुम्हारे गधे की तरह ...लेकिन शेर सिंह यह तो बताओ तुम्हे जब भूख लगती है तो क्या करते हो ? क्या किसी से प्रमाण पत्र मांगने जाते हो ?? शेर सिंह ने कहा कि, देख जब मुझे भूख लगती है तो मै किसी प्रमाण पत्र की फ़िक्र नहीं करता पहले भोजन करता हूँ वही काफी है प्रमाण कि, मै सिंह हूँ !
"साहित्तिक प्यास लगे तो पढो ...साहित्तिक भूख जगे तो लिखो बस वही काफी है प्रमाण कि, आप एक अच्छे रचनाकार हो "!
रामप्यारे को तो आपने सटीक पहचान लिया.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
आपकी कहानी का मर्म शेर के माध्यम से बहुत ही सुंदर है कि जब खाने की भूख लगे तो खाता हूं...इसी तरह साहित्य की भूख हो, जिज्ञासा हो, तब पढने से ही कुछ हाथ लगेगा, बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत बहुत आभार ताऊ जी, अच्छा हुआ आप नाराज नहीं हुए आपके रामप्यारे के इस पात्र को मैंने इस कहानी में बस थोडी रोचकता लाने के लिए प्रयोग किया ...आपने कहानी का मर्म बखूबी समझा है आभार इस टिपण्णी के लिए !
हटाएंबहुत बड़ी बात आपने कितनी सहजता से कह डाली दी.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट.
सादर
अनु
बहुत बढिया, बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंक्या बात!
ऐसे भी कही जा सकती है अपनी बात
सुन्दर -
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंताऊ टीवी फोडके चैनल को आप भी पहचान गयीं ..??
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंसही सन्दर्भ ढूंढ निकाले हैं आपने :)
जवाब देंहटाएंबड़ा तेज चैनेल है ताऊ टीवी का
जवाब देंहटाएंआभार स्वागत है :)
हटाएंकहानी के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया आपने ... सार्थक सटीक प्रसंग ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट.
जवाब देंहटाएं