हमारे भारतीय परिवारों में पालतू पशु-पक्षी पालना आम बात है जैसे की कुत्ते, बिल्ली, तोता वगैरे-वगैरे .....! कई तोते अपनी मीठी आवाज में घर के सदस्यों के नाम पुकारना राम-राम बोलना, सीटी मारना जैसी आदाओं से हर किसी का ध्यान अपनी और खींच लेते है ! हाल ही में इसी सन्दर्भ में एक कहानी पढ़ने को मिली वैसे भी तोतों पर बहुत सारे किस्से प्रचलित है ......!"एक पंडित जी ने एक तोता पाला था, बड़ा धार्मिक तोता था हमेशा राम-राम जपता रहता ! वह भी अपने मालिक की तरह राम नाम की चदरिया ओढ़े रहता, बगल में माला लिए बैठे रहता ! दूर-दूर तक उस तोते की ख्याति थी ! एक दिन पंडित जी के पास एक बूढी महिला आयी उस तोते को देखने ! पंडित जी के तोते को राम-राम जपते देख बड़ी खुश हुई और उसने भी एक तोता ख़रीदा ! लेकिन उस महिला का तोता बड़ा नालायक निकला ! जब महिला उसे अच्छी-अच्छी बाते सिखाने की कोशिश करती वह गन्दी गालियाँ बकने लगता ! दरअसल वह तोता एक अफीमची के पास से ख़रीदा गया था ! बूढी महिला कहती कहो बेटा राम-राम तो वह कहता मै नहीं कहूँगा मै तो यही गालियाँ बकुंगा ...महिला परेशान यह कैसा तोता है ? पंडित जी से इस बारे में बात की पंडित जी ने कहा ...."तू ऐसा कर तेरे उस तोते को यहाँ ले आ ! दस पन्द्रह दिन मेरे तोते के सत्संग में सब ठीक हो जायेगा ! मेरा तोता बड़ा ही ज्ञानी,गुणी है ""! बूढी महिला पंडित जी की बात सुन कर अपने तोते को ले आई दोनों को एक ही पिंजरे में बंद कर दिया ! सात-आठ दिन के बाद पंडित जी एकदम भागे हुए आये उस महिला के पास ...बूढी महिला से कहा गुस्से में ..."ले जा अपना तोता अपने घर जबसे तेरा तोता आया है मेरे तोते ने राम-राम कहना ही बंद कर दिया है चदरिया फ़ेंक दी है माला फेक दी है ...आज सुबह मैंने उसे कहा कि, भाई, राम-राम क्यों नहीं कहता ? तो लगा गालियाँ देने ...मैंने कहा लेकिन अब तक तो तू राम नाम जपता था अब क्यों नहीं ? कहने लगा जिस (प्रेयसी ) के लिए जपता था वह बात तो पूरी हो गई अब कैसा जपना " ?
जब से आधुनिक मनुष्य का सुख आत्म केन्द्रित हुआ है तब से वह बिलकुल अकेला उदास .. और तनाव में जी रहा है ..इसी वजह से या तो मशीनों के साथ या पालतू प्राणियों के साथ रहने में ही सुखी सुरक्षित महसूस करने लगा है ! घर है परिवार है भीड़ है फिर भी कही न कही भीतर बिलकुल खालीपन है इसी खालीपन को भरने के सारे प्रयास करता हो क्या पता ? पालतू प्राणी बहुत हद तक मनुष्य के अहंकार को तृप्ति देते है अपने स्वामी की आज्ञा पालन करके, प्रेम जताकर ...ऊपर दी हुयी कहानी केवल अविश्सनीय हंसी के योग्य भले ही लगती हो ..लेकिन इस विडियो में डांस करते इस अनोखे तोते के बारे मे आपका
क्या ख्याल है ?
आपकी बात पसंद आयी...वैसे जानवर दोस्त तो बहुत प्यारे होते हैं..ख़ास तौर पर कुत्ते .....जान छिड़कते हैं ....चाहे डांट दो..चाहे नाराज़ हो .....घूमकर फिर लौट आते है ...और Frostie तो लाजवाब. है ..:)
जवाब देंहटाएंप्रेरक, सीख देती सुंदर कहानी,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
सत्संग और कुसंग का अंतर दर्शाती प्रेरक कहानी सुमन जी ,बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट 31 - 01- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें ।
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कलयुगी तोता...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कहानी....
जवाब देंहटाएंतोताराम भी शानदार...
सादर
अनु
प्रभावित करती है कहानी..... बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसोचने को मज़बूर करती सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत मजेदार कहानी...और तोते का डांस और भी मजेदार लगा
जवाब देंहटाएंये कहीं ताऊ का तोता तो नही है?
जवाब देंहटाएंरामराम.
अब आपसे क्या कहना ताऊ जी,
हटाएंआप तो स्वयं अंतर्यामी हो :)
बढ़िया लगे तोता राम .... सार्थक संदेश देती कहानी
जवाब देंहटाएंतोता कलयुग की देन है ... मजेदार है तोते का डांस ...
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