मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

चाय के साथ ...


हो न हो 
रिश्तों, नातों का 
प्यार, मुहब्बत का 
एक अटूट नाता है 
चाय के साथ ...

लड़ते-झगड़ते 
रुठते-मनाते 
बातों-बातों में, एक दिन 
प्यार की बात बनी थी 
चाय के साथ ....

चाय पीते हुए 
उसने कहा ..आज 
चाय अच्छी बनी है 
फीकी सुबह मिठास घोल 
गई चाय के साथ ...

प्यार की वही 
पुरानी मीठी खुशबु
चली आई है आज 
एक अर्से बाद
चाय के साथ ....

15 टिप्‍पणियां:

  1. मानो कोई खोया लम्हा चाय के प्याले में बंधा था

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  2. उम्दा रचना, विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. विजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं

    बढिया, बहुत सुंदर
    क्या बात

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  4. बहुत खूब,,,,सुंदर प्रस्तुति,,,

    विजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
    RECENT POST...: विजयादशमी,,,

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  5. चाय संजीवनी बूटी का काम कर देती है ...रिश्तों में भी ।

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  6. Bahut sundar...
    Isi Chaay par yahan bhi luch padhein http://www.poeticprakash.com/2012/09/blog-post.html

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  7. आप कह रही हैं तो मान लेते हैं। वरना तो बाघ-बकरी ब्रांड की लोकप्रियता देख विश्वास उठने लगा था।

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    2. Red Label,.... ब्रांड आजमा कर देखिये :)

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    3. वाकई चाय पीते समय अनेकों यादें... रिश्ते...संबंध...जीवंत हो उठते हैं. बस पीने वाले की पकड चाहिये पर इसका यह मतलब भी नही कि सारे दिन चाय की प्याली थामें ही बैठे रहें.:)

      रामराम.

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  8. बेहतरीन प्रस्तुति....यादों और रिश्तों का अनूठा सम्बन्ध है संग संग पी जाती इस चाय चाय की प्याली के साथ ...सादर !!!

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