हो न हो
रिश्तों, नातों का
प्यार, मुहब्बत का
एक अटूट नाता है
चाय के साथ ...
लड़ते-झगड़ते
रुठते-मनाते
बातों-बातों में, एक दिन
प्यार की बात बनी थी
चाय के साथ ....
चाय पीते हुए
उसने कहा ..आज
चाय अच्छी बनी है
फीकी सुबह मिठास घोल
गई चाय के साथ ...
प्यार की वही
पुरानी मीठी खुशबु
चली आई है आज
एक अर्से बाद
चाय के साथ ....
कहाँ है चाय :)
जवाब देंहटाएंchay acchi ho to subah ki shuruaat acchi hoti hai ....
जवाब देंहटाएंमानो कोई खोया लम्हा चाय के प्याले में बंधा था
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना, विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंविजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबढिया, बहुत सुंदर
क्या बात
बहुत खूब,,,,सुंदर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
RECENT POST...: विजयादशमी,,,
चाय संजीवनी बूटी का काम कर देती है ...रिश्तों में भी ।
जवाब देंहटाएंBahut sundar...
जवाब देंहटाएंIsi Chaay par yahan bhi luch padhein http://www.poeticprakash.com/2012/09/blog-post.html
rishton ko tazagi de gayee chai...bahut khoob.
जवाब देंहटाएंआप कह रही हैं तो मान लेते हैं। वरना तो बाघ-बकरी ब्रांड की लोकप्रियता देख विश्वास उठने लगा था।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंRed Label,.... ब्रांड आजमा कर देखिये :)
हटाएंवाकई चाय पीते समय अनेकों यादें... रिश्ते...संबंध...जीवंत हो उठते हैं. बस पीने वाले की पकड चाहिये पर इसका यह मतलब भी नही कि सारे दिन चाय की प्याली थामें ही बैठे रहें.:)
हटाएंरामराम.
बेहतरीन प्रस्तुति....यादों और रिश्तों का अनूठा सम्बन्ध है संग संग पी जाती इस चाय चाय की प्याली के साथ ...सादर !!!
जवाब देंहटाएंNice one!:)
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