जब भी हम घर में बाजार से नया कोई सामान खरीद कर लाते है, पुराना अनावश्यक सामान स्टोर रूम में रख देते है ! जैसे ही कोई त्योहार नजदीक आने लगता है सारे घर की साफ सफाई शुरू करते है ! घर को कलरिंग करते है ! ऐसे में स्टोर किया हुआ पुराना सामान या तो फ़ेंक देते है या फिर कबाड़ी वाले को बेच देते है ! हर साल फालतू का व्यर्थ सामान जमा होकर बहुत सारी घर की जगह को घेर लेता है ! इसलिए पुराना कबाड़ हटाना जरुरी है ! ताकि हम खुलकर सांस ले सके ! घर की साफ सफाई पर जीतना ध्यान देते है पर शायद ही कभी मन की सफाई पर ध्यान देते है !
काश हम दे पाते, ...नकारात्मक विचार भी कुछ ऐसे ही अनजाने में हम अचेतन मन (स्टोर रूम ) में जमा करते रहते है ! समय के साथ इन विचारों को अगर नष्ट नहीं किया गया तो, यही विचार अनेक रोगों के लिए न्योता बन जाते है ! हमारा तन और मन बिमारियों का घर बन जाता है ! नकारात्मक विचार हमारी कार्य कुशलता को नष्ट तो करते ही है साथ में इसका प्रभाव हमारे व्यक्तित्व पर भी पड़ने लगता है ! घर का अनावश्यक कबाड हटाना जितना जरुरी है उतने ही मन के अनावश्यक विचारों को हटाना ! ध्यान और योग की मदद से हम नकारात्मक विचारों को हटाकर जीवन रूपी बगिया को भीनी-भीनी सुगंध से महका सकते है ! इसके लिए अच्छे विचार रूपी बीजों को बोना होगा, तभी तो सकारात्मक विचारों के पौधे पनपेंगे !
आपने सही कहा,,,,,शायद ही कभी मन की सफाई पर ध्यान देते है !
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रस्तुति,,,,,
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बिल्कुल सहमत हूं
जवाब देंहटाएंमन के मैल को भी धोना जरूरी है।
बहुत बढिया
सटीक बात कही है
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच कहा आपने....
जवाब देंहटाएंघृणा और द्वेष हटेगा तो प्रेम को जगह मिलेगी....
मन का कबाड बेचना क्या....फेंकना भला...
:-)
सादर
अनु
बहुत ज़रूरी है..... सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा। काम, क्रोध, लोभ, मोह, निराशा, द्वेष, घृणा, ईर्ष्या, हिंसा आदि जैसे फ़ाल्तू और नकारात्मक विचारों से यथासम्भव बचना चाहिये।
जवाब देंहटाएंनकारात्मक उर्जा .......कहीं पर भी इक्कट्ठी नहीं होनी चाहिए ..फिर वह घर हो ...बहार हो ...या अंतर हो...!!! ....सकारात्मक सोच सुमनजी
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