अंधेरे का कोई अस्तित्व नहीं प्रकाश ही शाश्वत सत्य है ! लेकिन अंधेरा नहीं है ऐसा भी नहीं, वह है अर्थात होकर भी नहीं जैसा !यहाँ भारत में दिन है तो अमेरिका में रात है इसका मतलब तो यही हुआ न ...अर्थात ही अंधेऱा परिवर्तनशील है ! प्रकाश का अभाव मात्र अँधेरा है ! रात आप अपने स्टडी रूम मे बैठे कुछ पढ़ रहे है ...लिख रहे है ...अचानक बिजली चली गई ...कमरे मे घुप्प अंधेरा पसरा है मोमबत्ती जलाने के लिए आप माचिस ढूंढते है ऐसे में कई बार आप अपनी ही मेज कुर्सी से टकराएँ होंगे याद कीजिये ! अंधेऱा इतना सामर्थ्यवान है कि, मेज कुर्सी से टकराकर हमारे हाथ, पैर भी तुडवा सकता है ! कभी-कभी तो जानपर भी बन आती है ! इसलिए अँधेरे की सत्ता,महत्ता उसकी प्रभावी ताकत से इनकार नहीं किया जा सकता !
आज देशभर में भ्रष्टाचार का अंधेरा छाया हुआ है ! अन्ना हजारे जैसे ईमानदार लोग कितने है ? लेकिन अच्छाई की एक किरण ने छाया हुआ अंधेरा तिलमिलाने लगा है ! समय के साथ कभी बुराई का अनुपात बढ़ जाता है तो कभी अच्छाई का अनुपात ! आज बुराई का अनुपात बहुत ज्यादा बढ़ गया है इसलिए उल्लुओं का शासन चल रहा है ....लेकिन सवेरा होने की देर है अपनी दूम दबाकर भागने लगेगा अंधेरा देखना ! आप मानो अथवा मत मानो पर सारा खेल प्रकाश का है किन्तु एक प्रकाश की किरण हम जब तक नहीं चाहेंगे तब तक पूरा सूरज हमारा कैसे हो सकेगा ? बाहर के अंधेरों को दूर करने के लिए हमने मिट्टी के दीपों का बिजली के दीपों का इंतजाम किया है लेकिन हमारे भीतर भी एक अहंकार का अंधेरा है वह तो इन बाहर की रोशनियों से नहीं मिटता ....इसी अहंकार की वजह से भीतर का अंधकार दिखाई नहीं देता ! इसीलिए हमारे उपनिषद में प्रार्थना के मौलिक सूत्र मिलते है ..."तमसो मा ज्योतिर्गमय, असतो मा सद्गगमय,मृत्योर्मा अमृतं गमय" ! इन छोटी-छोटी प्रर्थानाओं में हमारे उपनिषद ही नहीं सभी धर्म ग्रंथों का सार आ गया है ! अहंकार के जाते ही प्रकाश ही प्रकाश, अहंकार के जाते ही सत्य ही सत्य , अहंकार के जाते ही अमृत ही अमृत !