चारोओर प्रेमपर मचा बवाल ! फिर भी,प्रेम शब्दोंमे व्यक्त नहीं हो पाया ! क्या है प्रेम ? कैसा है प्रेम क्या है उसकी परिभाषा? अरे! प्रेम कही वो तो नहीं? जिसने कल रात अपनी पत्नी को शक के आधार पर जिन्दा जला दिया था ! दस साल का प्रेम का गठबंधन पल भर मे तोड़ दिया था ! प्रेम कही वो तो नहीं ? जिसने अपनी ही क्लासमेट लड़की से प्यार किया था ! जब की प्यार एकतरफा था, लड़कीने प्रेम से इनकार किया तो,लडकेने असिड्से (acid) हमला कर उसके सुंदर चहरे को झुलसा दिया था ! बेचारी लड़की उपचार में अगर ठीक भी हो गई तो, अपने चहरे को रोज दर्पण में देख कर पल-पल मरा करेगी ! प्रेम के नाम से जिंदगीभर नफरत करेगी ! शायद प्रेम कही खो गया लगता है ! और हमारा मन कस्तूरी मृग बनकर उसको तलाश रहा है जंगलों, पहाडोंमे लहूलुहान -सा होकर, अपने ही अस्तित्व को अपनेही हाथों घायल ! कही प्रेम ये तो नहीं ......जिसके नाम मात्र से छाने लगती है खुमारी सुनाई देने लगते है मंदिर की, घंटियोंकी आवाजे! गूंजने लगते है कानोंमे पवित्र अजान के स्वर ! तब हम धरती से कई ऊपर किसी दिव्य लोक में पहुँच जाते है ! तब प्रेम प्रार्थना बन जाता है ! प्रिय के प्रति समर्पण बन जाता है प्रेम ! तन चन्दन मन धूप बन जाता है प्रेम ! कही हमारी ही नाभी से उठ रही कस्तूरी सुगंध तो नहीं प्रेम ?
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जवाब देंहटाएंप्रेम चाहे अध्यात्मिक हो अथवा मानवीय, इसको केवल अनुभव किया जा सकता है ...मानवीय अनुभूतियों के बारे में मेरी एक रचना पढ़ें ...
जवाब देंहटाएंhttp://satish-saxena.blogspot.com/2011/01/ii.html
सतीश जी,
जवाब देंहटाएंमानवीय प्रेम अध्यात्मिक प्रेम में बस थोडासा ही अंतर है !
फूल और सुगंध जितना ........
आजकल तो प्रेम का विकृत रूप ज्यदा दिखाई देता है....खासकर युवा वर्ग में...... सुंदर पोस्ट
जवाब देंहटाएंprem apeksha rahit samarpan hai shaayad..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आलेख .... प्रेम एक अहसास है जो दिखता नहीं महसूस करना होता है ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति .. संक्षेप में लेकिन पूर्ण
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द और भाव से सजी पोस्ट .
जवाब देंहटाएंकही हमारी ही नाभी से उठ रही कस्तूरी सुगंध तो नहीं प्रेम ?............Beautiful expression Suman ji.
जवाब देंहटाएंप्रेम तो समर्पण ही है । अपने प्रिय को दुख दे वह कैसा प्रेम । सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आलेख .... प्रेम एक अहसास है जो दिखता नहीं महसूस करना होता है ...
जवाब देंहटाएंप्रेम
जवाब देंहटाएंइक प्रार्थना है
इक समर्पण है
इक अनिभव है
और
निर्मल , शुद्ध , निश्छल
विचारों का प्रकटीकरण भी प्रेम ही है .
अभिवादन स्वीकारें .
कृपया
जवाब देंहटाएंऊपर ...
"अनिभव" को "अनुभव" पढ़ें .
(टंकण त्रुटि )
अच्छू पोस्ट....अहसास हैं यह तो!!
जवाब देंहटाएंआप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
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