शिष्ठाचार हम बचपन में ही,सीखकर बड़े होते है ! इस शब्द से सुधी पाठक भली-भांति परिचित है ही, मै समझती हूँ अलगसे विस्तार करने की जरुरत नहीं
है ! शिष्ठाचार का पालन हम सब बड़ी निष्ठांसे करते है किन्तु बर्नाड शा जैसे लोग इसका पालन नहीं करते वे तो सीधे-सीधे अपनी बात सामनेवाले के मुह पर बोल देते है ! सत्याचार का पालन करते हुए लगते है बर्नाड शा ! कही न कही हम सब भी अन्दर से जानते है की, शिष्ठाचार केवल दिखावा है और कुछ नहीं, पर शिष्ठाचारवश किसीसे कुछ कहते नहीं! मैंने सुना है की, गांधीजी जब "गोलमेज-कांफ्रेस" के लिए लन्दन गए हुए थे ! उनका कोई गाँधीवादी भक्त बर्नाड शा से मिलने गया था! बातों-बातोंमे उन्होंने बर्नाड शा से पूछा की, आप गांधीजी को महात्मा मानते है या नहीं? तब बर्नाड शा ने जो उत्तर दिया हमारे सोचने लायक है ! उन्होंने कहा गांधीजी महात्मा है इसमें कोई शक नहीं किन्तु नंबर दो के है! हाँ यही सच है मै जादासे जादा उनको नंबर दो पर रखता हूँ! गांधीजी का भक्त बहुत परेशान हुआ सोचा होगा कैसे अहंकारी आदमी से पाला पड़ा है ! और नंबर एक आपकी नजर में कौन है ? लेकिन बर्नाड शा इमानदार आदमी प्रतित होते है उन्होंने कहा नंबर एक तो मै हूँ! क्या हर आदमी अंदरसे यही नहीं सोचता ? खुद को ही अंदरसे श्रेष्ठ समझता है पर उपरसे शिष्ठाचार का पालन करता हुआ लगता है !
अरबी में एक कहावत है की, परमात्मा जब किसी आदमी को बनाता है, और दुनियामे भेजने से पहले उसके कान में कहता है की, मैंने तुझसे अच्छा, तुझसे श्रेष्ट किसीको नहीं बनाया है और आदमी इसी मजाक के सहारे सारी जिन्दगी काट लेता है पर शिष्ठाचारवश किसीको कुछ नहीं कहता ! पर शायद उसे पता नही की परमात्मा ने यही बात सबके कान में कही हुई है ! लगता है बर्नाड शा ने सारी मनुष्य जाती पर करारा व्येंग्य किया है !
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जवाब देंहटाएंसच कहा है वर्नार्ड शा ने ...एक प्यारे लेख के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति से पूरित आलेख!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर एक सार्थक आलेख.... अच्छे उदहारण से बात सामने रखी है आपने....
जवाब देंहटाएंसुंदर एक सार्थक आलेख
जवाब देंहटाएंकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएं.....माफी चाहता हूँ..
बहुत अच्छा लिखा है आपने ....आप मेरे ब्लॉग पर आके टिपण्णी नहीं देती तो आपका इंतना अच्छा ब्लॉग मिलने में मुझे बहुत समय लगता...थोड़ी आलसी ब्लॉगर हू :) .........
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया ...अब मेरी आपके ब्लॉग पर हमेशा नज़र रहेगी (following you )
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ... इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई ।
जवाब देंहटाएंcoral ji,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका !
मुझे याद है आपने मेरी बिटिया की पेंटिंग्स
के बारे में पूछा था ! जब भी उसके बारे में लिखूंगी
जरुर उसकी पेंटिंग्स भी ब्लॉग पर लगाऊँगी !
धन्यवाद !
अरबी में एक कहावत है की, परमात्मा जब किसी आदमी को बनाता है, और दुनियामे भेजने से पहले उसके कान में कहता है की, मैंने तुझसे अच्छा, तुझसे श्रेष्ट किसीको नहीं बनाया है और आदमी इसी मजाक के सहारे सारी जिन्दगी काट लेता है पर शिष्ठाचारवश किसीको कुछ नहीं कहता ! पर शायद उसे पता नही की परमात्मा ने यही बात सबके कान में कही हुई है ! लगता है बर्नाड शा ने सारी मनुष्य जाती पर करारा व्येंग्य किया है !
जवाब देंहटाएंbahut hi achchhi rachna ,saath hi ye baate man ko chhoo gayi .