आज मेरे ब्लॉग पर किसी मित्र की टिप्पणी कम सुचना देखकर सोचा की, ब्लॉग जगत को मै जिस नजर से देखती हूँ आज उसीसे परिचित कराया जाए! ताकि मेरी बात समझने में शायद आसानी हो, सारी प्रकृति जिस प्रकारसे भगवान का उपवन है, उसी प्रकार ब्लॉग जगत भी हमारा अपना उपवन है ! इसमें विभिन्न किस्म के पेड़ है,पौधे है विभिन्न रंगोंके,खुशबुदार फूल है गुलाब,मोगरा,चमेली केवड़ा न जाने फूलोंके कितने प्रकार है साथ में घास के ऊपर खिले हुये फूल भी है ! कभी आपने इस घास के फूल के पास बैठे है ? शायद नहीं हमें तो गुलाब ज्यादा पसंद आते है ! पर मैने उसको करीब से महसूस किया है! जिस गुलाब के खिलने में इश्वर की उर्जा काम कर है वही उर्जा उस घास के फूल में भी कर रही है ! फिर भी घास का फूल कभी गुलाब होने की कोशीश नहीं करेगा ! वह तो सुबह उठते ही अपनेही आनंद में खिलता है हवा में नाचता है गाता है गुनगुनाता है, एक घास का फूल जितना इमानदार है हम मनुष्य उतने इमानदार नहीं हो सकते क्या ? उस इश्वर की उर्जा को महसूस क्यों नहीं करते ? इतना दरिद्री उसने किसी को नहीं बनाया है हर एक में कोई न कोई विशेषता है उसको पहचानिए ! हम अपने जैसे ही होने की कोशीश में लगे रहे जरुर एक दिन कामयाब होंगे !
और एक बात जब बच्चा सात -आठ महीनेका होता है तब बात करने की कोशीश में तुतलाता है माँ भी तुतलाकर उसका हौसला बढ़ाती है तब उस माँ को, हम सब को वह बच्चा बहुत प्यारा लगता है क्योंकि उसके तुतलाने में एक मिठास है एक माधुर्य है! एक सच्चाई है हमें भी उस सच्चाई का अनुसरण करना है ! भले ही अच्छा बोलने में कुछ दिन, साल लग जाए ! इस प्रकार के अपराध को मै बहुत बड़ा अपराध नहीं मानती ! उस बच्चे की तुतलाहट पर जो ध्यान नहीं देते मै उनको बहुत बड़ा आपराधी मानती हूँ ! हमारे परिवारों मे किसी कवि को सम्मान नहीं दिया जाता उनकी नजर में कवि होना निकम्मेपन की निशानी है ! अमेरिका में मैंने सुना है की बच्चोंको उनके स्कूल मे ही कवितायेँ लिखने का टेक्नीकल प्रशिक्षण मिलता है! बड़े अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है की हमारे पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है ! यह सच है की कुछ भौरोंको, कुछ तितलीयों को विशेष रंग, गंध के फूल ही बहुत भाते है ! हम भले ही घास के ऊपर खिले फूल है, है तो उसी इश्वर की रचना उसका
सम्मान करे!
सम्मान करे!
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जवाब देंहटाएंशायद आप जिस निगाह और नज़र की बात कर रही हैं, वह संवेदनशील लोगों के पास होती है ! कवि ह्रदय लोग दुनिया के बेहतरीन लोग होते हैं, ऐसे लोग घास पर बैठ, घास के फूल से गुलाब समझ, बातें करेंगे और शायद उसमें अधिक आनंद लेते हैं ! मगर इन मधुर दिल वालों की इज्ज़त करने वाले, समझने वाले कितने हैं ?
जवाब देंहटाएंप्यारा लेख ...आभार आपका सुमन जी !
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जवाब देंहटाएंसुमन जी ,
ये सच है की International schools में poetry writing सिखाते हैं , इसके लिए देश विदेश से बड़े-बड़े poets इन स्कूलों में आमंत्रित होते रहते हैं। poetry writing के competitions भी आयोजित होते हैं यहाँ ।
लेकिन सबसे अहम् बात यह है की कुछ बच्चे काव्य रचना में प्रारंभ से ही धनी होते हैं । उनकी इस विशेष कला/प्रतिभा को पहचानकर माता-पिता यदि प्रोत्साहित करें तो बच्चों की ये प्रतिभा बहुत निखरती है।
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सार्थक बात सामने रखी आपने....
जवाब देंहटाएंaapki post me aham baate likhi gayi ,jise padhkar achchha laga ,kai baate gaur karne laayak hai ,aapne sundar likha hai .
जवाब देंहटाएंलेख बहुत अच्छा है। विचारणीय है।
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