कुछ रोज पहले एक कहानी पढ़ी! एक सर्कस में एक कुत्ते का पिल्ला वायलिन बजा रहा था सारे प्रेक्षक तल्लीनता से सुन रहे थे, इतने में एक डरावना कुत्ता उस पिल्लै पर झपट कर उसे उठा ले जाता है !
प्रेक्षक चिल्लाते है, "क्या हुआ-क्या हुआ ? इतने में सर्कस का संचालक कहता है कि माफ़ करना, दरअसल वो कुत्ता उस पिल्ले का बाप था और उसे डॉक्टर बनाना चाहता था, पर उस पिल्ले को संगीत में रूचि है !
पता नहीं, कहानी कहाँ तक सच है, किन्तु आजकल बच्चों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है! अभिभावक अपने अधूरे सपने पुरे करने के लिए अपने बच्चों पर जरुरत से ज्यादा बोझ डालते है, जो गलत ही नहीं ,एकदम अनुचित है ! पढाई का बोझ और ज्यादा आशाये बच्चों के विकास पर बुरा असर डालती है !
मै हमेशा पेरेंट्स,टीचेर्स मीटिंग में जाती थी अक्सर देखती कि पेरेंट्स एक-एक मार्क्स के लिए टीचर्स से झगड़ते है कि, हमारे बच्चे को इस सब्जेक्ट में एक नंबर कम क्यों आया ? बच्चे को ९० प्रतिशत नंबर मिले है, तो उन्हें ख़ुशी नहीं होती, पर दुसरे बच्चे से एक नंबर कम आया,इसका उन्हें खेद होता है ! क्या यह उचित है ? एक लड़का हमेशा क्लास में फर्स्ट आता है कभी-कभी सेकेंड या थर्ड आ जाता है तो उसके पेरेंट्स रिपोर्ट कार्ड पर साईन नहीं करते, उसे "पनिशमेंट " देते है ! वह लड़का हमेशा फर्स्ट आने के चक्कर में सदा पढता रहता है ! दुसरे बच्चों के साथ कभी नहीं खेलता, न ही उनके साथ टिफिन खाता है सारे क्लासमेंट्स उससे जलते है, वह भी उनसे उखड़ा-उखडा रहता है
सब माँ-बाप चाहते है कि उनके बच्चे दूसरों से प्रथम आये, डॉक्टर बने, इंजीनियर बने भले ही उनमे प्रतिभा हो या ना हो! हर बच्चा अनूठा होता है, उसमे प्रतिभा भी अलग-अलग होती है ! पेरेंट्स को परखना चाहिए कि अपने बच्चों में क्या कमी है! फिर उसके अनुरूप उसे अच्छा माहोल दे, अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए! हो सकता है वे चित्रकार बने, सिंगर बने, डान्सर बने जो भी बने उनकी मर्जी भला अपने बच्चों को अपने माँ-बाप से ज्यादा और कौन जान-समझ सकता है भला !
बिल्कुल सही कहा आपने....
जवाब देंहटाएंबच्चों पर ज्यादा बोझ नहीं होना चाहिए । न ही शिक्षकों द्वारा और न ही माता-पिता के द्वारा। ये ही उनके खेलने खाने के दिन हैं । जितनी शिक्षा जरूरी है , उतना ही उनका खेलना , स्वस्थ्य रहना , दोस्तों से मिलना-जुलना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आलेख सुमन जी ।
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सही बात है जब तक पिल्ले डाक्टर इंजीनियर न बनें तो ये जीना भी कोई जीना है!
जवाब देंहटाएंमै आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ .
जवाब देंहटाएंइस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं......
बहुत सुन्दर आलेख सुमन जी ।
जवाब देंहटाएंसुमन जी! बिलकुल सही कह रहीं हैं आप। सुंदर आलेख!
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
विचार योग्य लेख ...मगर इन पेरेंट्स को पढने की आदत ही नहीं सुमन जी , कौन पढ़ेगा कि बच्चों पर क्या बीत रही है ? शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंसुमन जी! बिलकुल सही कह रहीं हैं आप
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभ कामनाएं......