मंगलवार, 3 मई 2011

कुछ फूल, कुछ कांटे........

गर किसीको फूलोंकी चाह दिलमे है तो, कांटो को भी गलेसे लगाना पड़ेगा ! यही जीवन की सच्चाई है ! जीवन में अगर सुख है तो दुःख भी है! फूल है तो कांटे भी है ! जीवन को समग्रता में स्वीकार ही समझदारी है ! हर संवेदनशील वेक्ति यही करेगा !  या करना चाहिए ! हर घर-घर में पति-पत्नी के बीच अक्सर कलह क्लेश होते ही रहते है कभी-कभी छोटे झगडे भी उग्र रूप धारण कर लेते है ! हमेशा सौ में से निंन्यानव झगडे ग़लतफ़हमीयों के कारण होते है ! इगो के कारण होते है ! कोई यह मानने को तय्यार ही नहीं होता की, गलती किसकी है ! इतना मन अहंकारसे भर गया है इसीलिए दोनों के बीच कभी सुलह नहीं हो पाती! रोज-रोज के इन झगड़ों,क्रोध, वैमनस्य,द्वेष,घृणा में लगता है जीवन का संगीत कही खो गया है ! अक्सर लोगोंको हमने कहते सुना है की घर में दो बर्तन है तो टकरायेंगेही टकरानेसे आवाज तो होंगी ! आवाज हो, पर सिर्फ कर्णकर्कश हो यह जरुरी तो नहीं है !  आवाज मधुर,सुरीली भी हो सकती है ! बशर्ते की बजाने वाला संगीतकार ठीक -ठाक हो उसके मस्तिष्क के तार (इगो) बिलकुल खिंचे हुये न हो ताकि विवेक से काम लिया जा सके ! और ह्रदय के तार बिलकुल ढीले -ढाले न हो ताकि प्रेम पैदा हो सके ! तभी जीवन से कुछ खुशियाँ पाने की उम्मीद हम कर सकते है ! अगर मस्तिष्क और ह्रदय दोनों में संतुलन करना हमें आजाता है तो घर में कलह क्लेश की सम्भावना बहुत कम रह जाती है !



19 टिप्‍पणियां:

  1. आपने सही कहा सुमनजी!...गलतफहमियां बहुत कुछ बिगाड कर रख देती है...बाद में टूटे हुए आशियानों क जुडना कठीन काम बन कर रह जाता है!

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  2. यह सच है कि अधिकतर समस्या, एक दूसरे के प्रति लापरवाही एवं गलतफहमियों के कारण ही होती है बाद में ईगो इसकी जगह ले लेता है और आखिरी मुकाम जिद पूरी कर देता है !

    बाद में पूरे जीवन शिकवे शिकायतें करते रहिये मगर एक बार पड़ी गाँठ पूरे जीवन खटकती रहती है !

    आपके होते दुनिया बाले मेरे दिल पर राज़ करें
    आपसे मुझको शिकवा है खुद आपने बेपरवाई की

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  3. कभी धूप और कभी छांह से भरे इस जीवन में जितनी समता से समय गुजारा जा सके वही समझदारी है ।

    क्या हिन्दी चिट्ठाकार अंग्रेजी में स्वयं को ज्यादा सहज महसूस कर रहे हैं ?

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  4. eham se eham takraayegaa to tootan hogi ,behtar ho ek chhotaa banke rah le ,
    fir eham ke takraane kee aisi vajahen bhi hoti hain jo pati patnee se taalluk hi nahin rakhtin ,unhen tool kyon diyaa jaaye ,yadi ek doosre ko samjhten hain to ....
    veerubhai .

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  5. सही कहा आपने गलतफहमियां दूर होना आवश्यक है सारगर्भित पोस्ट आभार

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  6. सारगर्भित विचार सुमनजी...... सहमत हूँ....

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  7. अच्छी पोस्ट......आपने सही कहा सुमनजी!

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  8. सभी मित्रोंका बहुत आभार !
    इस पोस्ट में एक बात कहना मै भूल गई थी
    गिटार बजाने वाला मेरा बेटा है !

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  9. बहुत सार्थक लेख ...क्रोध पर वश हो जाये तो सब सरल है

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  10. जी पहली ही लाइन से ठोस विचार... फूलों की चाह है तो कांटों को भी गले लगाना होगा। बहुत बढिया..

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  11. परिवार में पति पत्नी ... दोनो ही बराबर के संगीतकार होते हैं ... दोनो को ही अच्छा संगीत बजाना चाहिए ... आपके गीत जैसा मधुर ...

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  12. पहली दफा आपके ब्लॉग पर आना हुआ. बहुत अच्छा लगा आपके विचार पढकर.मस्तिष्क और हृदय में संतुलन की अति आवयश्कता है.
    सुन्दर लेख के लिए आभार.
    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,आपका हार्दिक स्वागत है.

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  13. बिलकुल सही और अच्छा लिखा आपने.बेटे को गिटार बजाते देख कर बहुत अच्छा लगा,उसे मेरी शुभकामनायें.

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  14. आप मेरे ब्लॉग पर आयीं इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका,

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  15. बहुत सही कहा है आपने ।

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  16. बहुत सुंदर और पठनीय पोस्ट बधाई सुमन जी

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  17. बहुत सुन्दर सुमन जी,
    जिद आदमी पे इतने हावी होती है कि .... उसके सामने सब कुछ छोटा हो जाता है .... हाला कि आवाज़ खतम होने के बाद शायद मन में माने पर, तब तक बहुत न मिटने वाली खरोचे लग चुकी होती है ......

    बहुत सुन्दर पोस्ट

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