बुधवार, 6 अप्रैल 2011

बढ़ा दी इतना कहकर शमा ने परवाने की हिम्मत है जलना काम उनका जो है दिलवाले जिगरवाले .......

किसी शायर की यह पंक्तियाँ मैंने अपने प्यारे मित्र के नाम लिखे है! जीवन में सब कुछ होते हुये भी मित्र का अभाव हम सब को कही न कही खलता है ! जब उदासी हर पल बढ़ने लगती है तब मन ऐसा एक मित्र चाहने लगता है जिसके साथ उदासी के उन पलोंको बाँट सके,तब मित्र का साथ हमें संबल देता है ! मित्र की सहानुभूति ही अमोघ शस्त्र है जिससे हर परिस्थितियों से हँसते-हँसते लड़ा जा सकता है!

         बढ़ा दी इतना कहकर शमा ने परवाने की हिम्मत
         है जलना काम उनका जो है दिलवाले जिगरवाले !!
शमा की कही इतनी सी बात पर, परवाने को जलने की हिम्मत आजाती है !

7 टिप्‍पणियां:

  1. हिम्मत बढाने का काम शमां ने किया या उसकी किस्मत में जलना लिखा है बहुत सुन्दर

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  2. भ्रष्टाचार का वाइरस ब्लाग बंद कर दिया क्या आपने ?

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  3. आपकी पोस्ट को ये पंकियाँ याद आगई कि " बुझी हू शमां के साथ कोई क्या खाक जलेगा ; जलती हू समां के साथ लाखो परवाने जलते है "

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  4. सुनील जी,
    भ्रष्टाचार को तो कभी न कभी बंद होना ही है
    चाहे देश से हो चाहे.........

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  5. आनंद आ गया ...:-)

    यह लेख, लगता है दिल से निकला है...मन को छू गया ! आभार
    आज के समय में विश्वसनीयता की, हर जगह कमी खलती है ! संवेदनशील मन, इस बेईमान युग में किसका भरोसा करे !

    मुझे लगता है ब्लॉग उचित माध्यम है ....आप अपने मन की भावनाओं को विभिन्न रचनाओं के माध्यम से. व्यक्त कर सकते हैं ! हिम्मत को कामयाबी हमेशा मिली है ! आनंद तो तब है....

    "लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं
    हमने उस हाल में जीने की कसम खाई है "

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