मनुष्य के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन जितना जरुरी है उतना ही प्रेम भी जरुरी है ! एक गृहिणी अपने रसोई घर में केवल भोजन ही नहीं बनाती बल्कि भोजन के द्वारा परिवार के सदस्यों के लिये प्रेम भी परोसती है ! महान दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति कहते है कि "प्रेम मनुष्य को सभी दूसरे गुण प्राप्त करने के योग्य बनाता है और इसके बिना बाकी का कुछ भी कभी भी पर्याप्त नहीं होता है "!
सहमत हूँ .... प्रेम और स्नेह से पकाया और परोसा गया भोजन निश्चित रूप से स्वादिष्ट होता है...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल....
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ
जवाब देंहटाएंहमारी संस्कृति में भोजन करना एक यज्ञ माना गया है ।भोजन बनाना यज्ञ के लिए
जवाब देंहटाएंआहुति तैयार करने जैसा ही सात्विक कार्य है ।सही कहा है ..