सत्य इतना सस्ता नहीं
कि, जिसे हर कोई
बेचा ख़रीदा जा सके
सत्य पाने के लिए
सुकरात होना पड़ता है
पीना पड़ता है जहर !
लेकिन,
अन्य व्यवसायों की तरह
अध्यात्म बेचने खरीदने का
व्यवसाय भी खूब फल-फूल
रहा है इन दिनों,
परमात्मा को बेचने खरीदने की
भारी प्रतियोगिता चल रही है
टी. वी. के धार्मिक चैनलों पर,
इन गुरुओं की चिल्ल-पो में
सद्गुरु की अमृत वाणी भी
नक्कार खाने की तूती बनकर
रह गई है ...
ध्यान बेचा ख़रीदा जा रहा है
भारी रुपयों के ऐवज में,
रटे रटाये प्रवचन सुना
रही है छोटी बच्चियां भी
तोतों की तरह, और
मजे से सुन रहे है बड़े-बुजुर्ग
माँ-बहने लेकिन, कोई यह
क्यों नहीं कहते कि,
बिटिया, तुम्हारी खाने-खेलने
पढ़ने-लिखने की उमर है
प्रवचन सुनाने की नहीं ....!!
अरे प्रवचन न सुनाएँ तो भक्त कहाँ से आयेंगे , बच्ची से सुनवाएं तो बात ही कुछ अलग है ! इसी से देश का भला होगा ..
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार मिटाने के लिए यहाँ सब ताऊ हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ, भूखे पेट जंग लड़ रहे हैं!देश को बचाने के लिए पार्टियाँ बनाने को मजबूर हैं, खुद मिनिस्टर बनेंगे तभी देश से भर्ष्टाचार मिटेगा !!
हमें छोड़, सब चोर हैं , बरसों से साले गद्दी पर बैठे हैं , घोटाले पर घोटाले किये जा रहे हैं , हमें पता नहीं कब मौक़ा मिलेगा बरसों से कंगाल होकर बिपक्ष में बैठे बैठे गला फाड़ते हैं ! जमा पूँजी ख़तम होने को आई , इस बार सरकार हाथ आते ही देश में खुशहाली आ जायेगी ..
भ्रष्टाचार हो बर्बाद..
हा हा हा....सतीश जी आपको कितनी बार समझाया कि कोई सी भी ताऊ एंड पार्टी ज्वाईन कर लिजीये फ़िर कोई गिला शिकवा नही रहेगा.:)
हटाएंरामराम.
पार्टी भी ज्वाईन करेंगे और ताऊत्व को भी प्राप्त होंगे !
हटाएंकुछ लोग स्वास्थ्य की चर्चा करते है आप दुनिया में व्याप्त बिमारियों की चर्चा करते हो थोडा समय लगेगा समझने में, है तो सतीश जी आपके ही भक्त :)
अब इस आध्यात्म के व्यवसाय में बच्चियों को भी उतार दिया है ... सच को कहती अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबिकुल सही कहा है, ताकि व्यवसाय करने में आसानी हो,
हटाएंबहुत बहुत आभार !
दिल्ली के दिनों में ही मैं इस व्यवसाय से आशना हो गया था. और अब तो यह बद से बदतर होती जा रही है बदस्तूर.
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हटाएंबहुत बहुत आभार !
सही लिखा आपने, आजकल धर्म भी बिकता है. भारतीय जन मानस को धर्म के घूंट पिलाकर उससे माल खींचना अत्यंत सहज है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
लोगों की भावनाओं से खेलना इससे बड़ा अपराध कोई और है क्या ?
हटाएंलेकिन यह जुर्म किसी सेक्शन में नहीं आता इसलिए तो धड़ल्ले से चलता है !
अभी कुछ दिन पूर्व निर्मल बाबा सुर्ख़ियों में रहे लेकिन अब फिर से कुछ दिन पूर्व देखा चैनल पर,एक प्रकार से इन चैनलवालों में और बाबाओं में सोची समझी सांठ गांठ दिखाई देती है ! पैसे कमाने का आसान तरीका है दोनों के लिए !
धर्म की आड में जनता को भयभीत किया जाता है, इसी वजह से वास्तविक धर्म कहीं लुप्तप्राय हो गया है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वास्तविक धर्म को बताने वालों को तथाकथित धर्म कहाँ टिकने देते है ताऊ,
हटाएंइतिहास गवाह है ...बुद्ध को हमने यहाँ से खदेड़ दिया, महवीर को सताया,
ओशो पर तो अभी भी लांछन लगा रहे कुछ लोग "dont kill him" माँ शीला की पुस्तक पढ़िए !
एक बार उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था तब वो आचार्य रजनीश कहलाते थे, उनकी गलती सिर्फ़ इतनी ही थी कि वो अपने समय से काफ़ी पहले पैदा हो गये थे.
हटाएंसभी प्रज्ञावान आत्माओं के साथ यही व्यवहार हुआ है.
रामराम.
छोटे बच्चों के मुंह से धर्मपरायणता का पाठ पढवा कर ब्रेन वाश किया जाता है. आदमी सोचता है कि मैं तो तुच्छ हुं यह छोटी सी बालिका ही कितनी बडी शास्त्रवेता है. आदमी को हीन भावना से ग्रसित किया जाना और फ़िर उसका दोहन किया जाना ही इसका उदेष्य होता है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
लेकिन समस्या तो तब आती है जब ये बच्चियां बडी हो जाती हैं. एक तथाकथित माताजी, जिन्होने कितनों ही शिष्यों को ब्रह्मचर्य का पाठ पढाया उन्होनें आखिर शादी कर ही ली.
जवाब देंहटाएंवाकई यह अत्याचार है. इस धंधे के पीछे इनको ट्रेंड करने वालों के अलावा इनका आयोजन करवाने वाले भी चंदा रूपी मलाई जमकर खींचते हैं. इनका कोई विरोध करे या मनमाना चंदा देने से मना करे तो उसे अधर्मी बताकर जलील किया जाता है.
रामराम.
@एक तथाकथित माताजी, जिन्होने कितनों ही शिष्यों को ब्रह्मचर्य का पाठ पढाया उन्होनें आखिर शादी कर ही ली.
हटाएंब्रम्हचर्य पर गृहस्थाश्रम भारी पड़ गया होगा और क्या अच्छा हुआ देर आये दुरुस्त आये !
ताऊ तो धंधे का कोई मौका नही छोडता, हमने हमारी 3 साल की रामप्यारी को भी इसी धंधे में ट्रेंड किया हुआ है. सेंपल रूपी पोस्ट यहा माता रामप्यारी जी पढी जा सकती है जहां माताजी के प्रवचन होते हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ताऊ, मै तो तेरह,चौदह वर्ष की बच्चियों की बात कर रही थी आपने तो रामप्यारी को तीन वर्ष में ही ट्रेंड कर दिया इस धंधे में,? वाकई परमपूज्य माताजी का प्रवचन सुन कर मजा आ गया ...पूरी भजन मंडली को सतीश जी ने दस दस रुपये भी दिए है इनाम में, :)
हटाएंसतीश जी जैसे भक्त जनों से ही हमारा आश्रम आबाद रहता है.:)
हटाएंरामराम.
धर्म के नाम पर व्यापार चल रहा है और भोली जनता मूर्ख बन रही है..बहुत सटीक अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसही कहा है सार्थक टिप्पणी के लिए आभार !
हटाएंधर्म के आड़ में प्रबचन एक धंधा बन गया है,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
सुमन जी ,हिंदुस्तान का विभाजन भी धर्म के आधार पर ही हुआ है ,धर्म के धंधेबाज राजनीति में आ गए है ,वही चैनेल चला रहे हैं ,फिर धर्म के धंधे में ना कोई योग्यता की आवश्यकता है ना धन की ,ईश्वर के नाम से उल्टा सीधा कहानी बनाकर सुना दो अकल के अन्धो को और वसूल लो मनमानी फी .फिर यह प्रवचन दूध पीता बच्चा सुनाये या कोई १०० साल का बुड्ढा ,क्या फरक पड़ता है ?सरकार धर्म के नामपर पंगु हो जाते हैं.सुकरात बनने के लिए हिम्मत चाहिये ,है किसी राज नेता में यह हिम्मत जो कहे कि" बंद करो चनेलों में सब धार्मिक प्रवचन ,भविष्यवाणी जैसे भ्रामक प्रसारण. "
जवाब देंहटाएंlatest post मेरी माँ ने कहा !
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
सही कहा है धर्म दरअसल जोड़ता है तोड़ता नहीं,
हटाएंलेकिन सिर्फ देश दुनिया को ही नहीं तोड़ रहा है
तोड़ रहा है मनुष्य की जड़ों को जो की घातक है !
बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंसही...... तभी तो धर्म के मायने ही कुछ और हो गए हैं
जवाब देंहटाएंजब तक हम इस बात का मूल्यांकन नहीं करते कि आध्यात्मिक मार्ग पर कहां से चले थे और इतने वर्षों बाद कहां पहुंच पाए हैं,तब तक हमारी जड़ें यों ही कमज़ोर रहेंगी,शाखाएं यों ही फलती-फूलती जाएंगी।
जवाब देंहटाएंsarthak prastuti . gahan chintan.
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